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श्रीराम मनुष्य में मनुष्यता का समावेश करने के लिए अवतार लिए थे– चंद्राशु जी महाराज

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श्रीराम मनुष्य में मनुष्यता का समावेश करने के लिए अवतार लिए थे– चंद्राशु जी महाराज

 

मझौली कठहा में चल रही भागवत कथा का पूर्णाहुत चढोत्री व हवन पूजन के साथ हुआ समापन। विशाल भंडारा आज

 

*अरविंद सिंह परिहार सीधी*

उक्त कथन गहरवार परिवार कठहा (देवरी) में चल रही भागवत कथा के आज सातवें दिन सुदामा चरित्र का प्रासंगिक वर्णन करते हुए रामवल्लभा कुंज जानकी घाट अयोध्या धाम श्रद्धेय श्री डॉ.चंद्रांशु जी महाराज ने कहां की भगवान राम रावण का वध करने के लिए नहीं मनुष्य में मनुष्यता जागृत करने, परिस्थितियों से संघर्ष करने, दुख के चक्र से भय मुक्त रहने, जीवन के उद्धार के लिए धर्म अनुसार कर्म करने आदि के लिए अवतार लिए थे। प्रासंगिक अर्थ में चंद्राशु जी महाराज ने कहां की जो मनुष्य मोह और लालच फस आपने के साथ गलत कर जाता है वह कभी भी सुखी नहीं रह सकता, भाई -भाई की संपत्ति हड़पने के लिए लगे रहते हैं लेकिन यह नहीं जानते कि भाई की हड़पी संपत्ति कभी भी फली भूत नहीं होती। कथा का सार समझाते हुए महाराज जी ने बताया कि एक बार एक कुत्ता रास्ते में बैठा था उसी रास्ते से ब्राह्मण निकल रहा था उसे कुत्ते के सिर पर ब्राह्मण ने डंडे से मार दिया कुत्ता राजा राम के पास पहुंचा और बोला कि ब्राह्मण देवता ने मुझे मारा है राजा राम ने कहा तुम कुछ गलती किए होंगे या परेशान किए होंगे कुत्ता ने कहा मैंने ऐसा कुछ नहीं किया मैं चुपचाप बैठा था तो उन्होंने डंडे से मेरे सिर में मार दिया तब ब्राह्मण को बुलवाया गया और ब्राह्मण से पूछा गया तो ब्राह्मण ने कहा यह कुत्ता रास्ता में बैठा था भय के कारण मैं इसे मार दिया कि कही काट न ले। तब राजा राम ने कहा तब तो आप गलत किये आप दण्ड के भागीदारी हैं और कुत्ते से पूछा इसे क्या दंड दे दिया जाए तो कुत्ते ने कहा इसे किसी बड़े मठ का महंत बना दिया जाए राजा राम अचंभित भाव से कुत्ते की ओर देखा और बोला यह क्या दंड है यह तो उपहार है इन्हें महंत बना देंगे तो यह रसमलाई मारते मालामाल हो जाएंगे कुत्ते ने कहा है तो सही पर यह रसमलाई महंगी पड़ेगी पिछले जन्म में मैं भी बड़े मठ का महंत था जो चढोत्री आती थी रसमलाई झारता था और मालामाल हुआ करता था। शायद इसीलिए इस जन्म में कुत्ता हुआ हूं इसलिए यह भी प्राप्त चढोत्री से रसमलाई झारेंगे मालामाल होंगे और अगले जन्म में कुत्ता बनेंगे तब यह भी इसी तरह के डंडे पाएंगे तब इनको समझ में आएगा। राजा राम ने वैसा ही किया। इसी तरह भागवत कथा का प्रासंगिक वर्णन करते हुए मनुष्य में मनुष्यता लाने, भय मुक्त करने, परिस्थितियों से घबराने के बजाय संघर्ष करने, लालच में आकर किसी की संपत्ति हड़पने से होने वाले कष्ट, दीन दुखियों की सहायता करने से होने वाले फल आदि के बारे में बताते हुए कहे की मनुष्य जीवन बड़े भाग्य से मिलता है इसलिए मनुष्य को मनुष्यता के आधार पर जीवन जीना चाहिए। उक्त प्रवचन उपरांत पूर्णाहुत चावित्री एवं हवन पूजन के साथ कथा का समापन किया गया।जहां पर कथा का रसपान करने भारी संख्या में दूर दराज से पहुंचे कथा श्रोता आनंदित भाव से कथा का रसपान किये। बताते चलें कि सीधी जिले के मझौली गहरवार परिवार के कठहा देवरी निवासी किरण -पुष्पेंद्र सिंह, साधना- नागेंद्र सिंह, अंजना- लवकेश सिंह जीवन के उध्दार एवं पुण्य लाभ प्राप्त करने अपने गृह निवास में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन कर मुख्य श्रोत के रूप में पूज्य माता-पिता शांति- अनियार सिंह विराजमान परिवार सहित कथा श्रवण कर पुण्य लाभ प्राप्त किया चल रही इस भागवत कथा का ब्राह्मण भोज्य व विशाल भंडारा आज 10 मार्च को संपन्न होगा। आयोजन गहरवार परिवार द्वारा लोगों से प्रसाद ग्रहण करने का आग्रह किया गया है।

 

*हर्षोल्लास पूर्वक मना रुक्मणी विवाह*

 

भागवत कथा के छठवें दिन 8 मार्च को हर्षोल्लास पूर्वक झांकियों के साज सज्जा के साथ रुक्मणी विवाह कथा स्थल पर संपन्न हुआ इस दौरान क्या बूढ़े, क्या युवा, क्या पुरुष क्या महिलाएं सभी गीत गानों की धुन में जमकर नाचे -गाए एवं खुशियां मनाएं। इस दौरान भागवत कथा के साथ विवाह गीत गानों से पूरा पंडाल गूंज उठा।

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