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छत्तीसगढ़ राज्य गठन से लेकर अब तक संक्षिप्त इतिहास

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प्राइम संदेश ब्यूरो रिपोर्ट छत्तीसगढ़

संभाग हेड अजीमुदिन अंसारी

हेडलाइन

 

छत्तीसगढ़ राज्य गठन से लेकर अब तक संक्षिप्त इतिहास

 

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 की समीक्षा रिपोर्ट

 

प्रदेश के विधानसभा का यह 5 वॉ आम निर्वाचन 7 और 17 नवम्बर को दो चरणों में प्रदेश के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में छूट-पुट घटनाओं को छोड़कर शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। 1 नवम्बर सन् 2000 को अविभाजित मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय वर्ष 1998 में विधानसभा चुनाव हुआ था। उस समय केन्द्र में भाजपा समर्थित एनडीए की सरकार थी। अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। उन्हें मालूम था छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद नये छत्तीसगढ़ राज्य में भाजपा का बहुमत नहीं होने के बावजूद भी नये छत्तीसगढ़ राज्य गठन को मुर्त रूप दिया। 1 नवम्बर 2000 को कांग्रेस के अजीत जोगी ने प्रथम मुख्यमंत्री बने इस दौरान वे विधानसभा सदस्य नहीं थे। मरवाही से भाजपा से 1998 में विजयी रामदयाल उइके ने इस्तीफा देकर अजीत जोगी के लिए आरक्षित मरवाही विधानसभा सीट रिक्त किया राज्य गठन के 6 माह के भीतर अजीत जोगी को विधायक की सदस्यता लेना संवैधानिक प्रावधान के तहत लेना जरूरी था। राज्य गठन के बाद प्रथम उपचुनाव में अजीत जोगी प्रचण्ड बहुमत से विजयी हुए। जोगी शासनकाल में भाजपा के 12 विधायक दल बदल के तहत कांग्रेस में शामिल हुए। यह भाजपा के लिए बहुत बड़ा झटका था उस दौरान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा रमन सिंह थे। जिन्होंने केन्द्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पदभार ग्रहण किया था। अजीत जोगी एक पूर्व आईएएस अफसर रहे है। साम दाम दण्ड भेद का पूरा उपयोग करते हुए भाजपा के 36 विधायकों में एक तिहाई 12 विधायकों को तोड़कर कांग्रेस में प्रवेश दिलवाया इनमें तरूण चटर्जी और गंगूराम बघेल को जोगी ने अपने मंत्रीमंडल में स्थान दिया। उस दौरान कुल सदस्य संख्या का 15 प्रतिशत मंत्री होने की सीमारेखा तय नहीं थी। इसके पश्चात श्री पी ए संगमा लोकसभा अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान संसद में कुल सदस्य संख्या का 15 प्रतिशत ही मंत्रीमंडल का विस्तार करने का विधेयक लोकसभा में पारित किया गया।*

 

*3 साल अजीत जोगी ़ की सरकार रहने के बाद नवम्बर 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा स्पष्ट बहुमत से विजयी हुई और भाजपा को पूर्ण रूप से बहुमत दिलाने में स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव का बहुत बड़ा हाथ था और जनता ने उन्हें के नाम पर वोट भी दिया था पर इस बीच में एक मामला सामने आ गया पैसा खुदा नहीं है पर खुद से जुदा नहीं है और इसी मामले की वजह से उन्हें मुख्यमंत्री ना बना कर बीजेपी ने7 दिसम्बर 2003 को डा रमन सिंह को मुख्यमंत्री का ताज रखा गया इस दौरान वे विधायक नहीं थे उनके लिए डोगरगांव सीट से प्रदीप गांधी ने विधायक पद से इस्तीफा देकर डा रमन सिंह के लिए सीट खाली कराई गई और फिर उपचुनाव हुआ

 

*उपचुनाव में डा रमन सिंह विधायक चुन लिए गये। 3 साल कांग्रेस का जोगी शासन के बावजूद भाजपा पूर्ण बहुमत से विजयी हुई इसका कारण यह है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी ने रायपुर के सप्रे स्कूल मैदान में आयोजित आमसभा में प्रदेश वासियों से कहा था आप हमें लोकसभा में छत्तीसगढ़ की 11 सांसद दीजिए मेरे नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य का गठन होगा स्वर्गीय अटल जी की वाणी का प्रभाव था कि 11 में 10 सांसद भाजपा से चुने गये। इसके पश्चात पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल जी ने छत्तसीगढ़ राज्य का गठन किया। जोगी शासनकाल के बावजूद प्रदेश में हुए 2003 के आमचुनाव में भाजपा पूर्ण बहुमत से विजयी रही। तमाम अटकलों के बावजूद लोग यह कयास लगाते रहे हैं कि जोगी सरकार पुनः रिपीट हो रही है यह आशंका निराधार रही । भाजपा 2003, 2005 एवं 2013 के चुनाव में लगातार तीसरी बार डा रमन सिंह मुख्यमंत्री पद पर आसिन हुए। वर्ष 2018 के विधानसभा आमचुनाव में भूपेश बघेल मुख्यमंत्री चुने गये। छग की 90 विधानसभा में 67 सीट कांग्रेस के पक्ष में जनता ने अपना जनादेश दिया। 15 साल के भाजपा शासन के बावजूद मात्र 15 विधायक चुने गये। यह भाजपा के लिए चिंतन का विषय हो सकता है, और ये करारा झटका भी है। बीते साढे चार वर्षो में हुए उपचुनाव दंतेवाड़ा, खैरागढ़ एवं भानुप्रतापपुर में कांग्रेस के विधायक चुने गये। इस तरह मौजूदा कांग्रेस के पास 71 सीटों पर कांग्रेस के विधायक पद असीन रहे। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 22 सीटिग एमएलए का टिकट काटकर दूसरे को मौका दिया। अब यह देखना है कि 3 दिसंबर को होने वाले मतगणना में किसका पलड़ा भारी होता है अभी तक दोनों ही पार्टियां छत्तीसगढ़ में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने की अलग-अलग दावे कर रही है परेश दावे में कितनी सच्चाई है यह तो 3 दिसंबर को ही पता चलेगा वैसे

*छत्तीसगढ़ एक प्रमुख धान उत्पादक राज्य है। गांव, गरीब, किसान का हित चाहने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही फोकस करते हुए यह चुनाव लड़ा है दोनों ही दल किसानों को साधने के लिए अनेक लुभावने वायदे किये हैं इस बार के चुनाव में महिला मतदाताओं ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। महिलाओं के लिए भी अनेक वायदे घोषना पत्र में किये गये थे। शायद यह भी कारण हो जब महिला मतदान का प्रतिशत बढ़ा है। अब देखना यह है कि किसान किसे अपना सर्मथन किये है। यह तो मतगणना के दिन ही ज्ञात होगा कि ऊंट किस करवट बैठता है। 2023 के विधानसभा चुनाव में अनेक चौकाने वाले परिणाम आएंगे यह बात मैं पहले ही स्पष्ट कर चुका हूं। पर अभी वर्तमान सवाल महेंद्रगढ़ कोरिया भरतपुर सोनहत विधानसभा का चर्चा जोरों पर है किसी का कहना है की भैया लाल राजवाड़े जी 17000 वोटो से जीत रहे हैं और किसी का कहना है की अंबिका सिंह दीदी 7000 मतों से जीत रहे हैं पर कुल मिलाकर सभी दिल थाम कर इंतजार कर रहे हैं 3 दिसंबर का और आप भी कीजिए अब 3 दिसंबर ज्यादा दूर नहीं है।

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