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सड़क के अभाव में मूल भूत सुविधा ओं के लिए तरस रहे ग्रामीण देश की आजादी को 75 साल बाद भी पहुंचविहीनता का दंश झेल रहे हैं जिले के सुदूर इलाके।

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सड़क के अभाव में मूल भूत सुविधा ओं के लिए तरस रहे ग्रामीण देश की आजादी को 75 साल बाद भी पहुंचविहीनता का *दंश झेल रहे हैं जिले के सुदूर इलाके।*

 

 

*।जिला रायसेन।*

 

*दैनिक प्राईम संदेश जिला ब्यूरो चीफ राजू बैरागी जिला रायसेन*

 

सड़क के अभाव मे मूल भूत सुविधा ओ के लिए तरस रहे ग्रामीण देश की।

आजादी के 75 साल बाद भी पहुंचविहीनता का देश दंश झेल रहे हैं जिले के सुदूर इलाके सत्ताधारी दल के जनप्रतिनिधियों जिला पंचायत अध्यक्ष सांसद विधायक मंत्रीयों पर लगाया *सौतेलेपन भेदभाव के आरोप दी चेतावनी सड़क नहीं तो वोट नहीं*

 

*रायसेन सांची विधानसभा क्षेत्र के चिलवाहा पंचायत के सुदूर अंचल जंगल के महुआ खेड़ा गांव ग्राम पंचायत मड़की की बेरस कॉलोनी भोई कॉलोनी आमखेड़ा पंचायत के दो गांव सगोनिया से हिम्मतगढ़

हिनोतिया खास ग्राम पंचायत के आमापानी जनपद पंचायत गैरतगंज सोनकच्छ से सौजना मुंगालिया बरजोर पुर से सरार पिपरई से कारीटोर खेड़ा गांव दीवानगंज के नजदीक तक सड़क विहीन पड़े हुए हैं। सालों बाद भी यह गांव सड़क विहीन हैं। इन गांवों का नेतृत्व प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री व सांची सेट के भाजपा विधायक डॉ प्रभुराम चौधरी जिला पंचायत अध्यक्ष यशवंत बबलू मीणा करते हैं।इन सड़क विहीन गांवों के ग्रामीणजनों में

भारी आक्रोश पनप रहा है। पहले भी ग्रामीणजनों द्वारा जिला पंचायत अध्यक्ष यशवंत बबलू मीणा जनपद पंचायत सांची की अध्यक्ष अर्चना सुनील पर्ति जिला प्रभारी व सहकारिता मंत्री डॉ अरविंद भदौरिया सांसद रमाकांत भार्गव लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी को कई दफे आवेदन देकर सड़क निर्माण जल्द ही कराए जाने की मांग कर चुके हैं लेकिन नेतीजा जब सिफर निकला तो ग्रामीणजन लामबंद होकर कलेक्ट्रेट कार्यालय रायसेन जिला पंचायत कार्यालय रायसेन पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों को ग्रामीणजनों द्वारा ज्ञापन भी दिया और नारेबाजी करते हुए रोड नहीं *तो वोट नहीं ग्रामीण जन आक्रोशित नजर आए।*

 

*पीएम आवास का कार्य भी प्रभावित।*

पीएम आवास योजना के हितग्राहियों को सड़क के कारण आवास बनाना आसान नहीं है भवन सामग्री गिट्टी सीमेंट रेत छड़ ग्राम तक पहुंच पाना संभव नहीं है। 15किमी दूर सलामतपुर से गांव तक भवन सामग्री लेने के लिए चार बार परिवहन व्यय करना पड़ता है। इसके कारण आवास बनाने में अतिरिक्त राशि लग जाती है। यह कारण है 300 से अधिक आवास आज भी अपूर्ण है। इस मामले को लेकर जिपं सीईओ अंजू पवन भदोरिया कुछ माह पूर्व गांव में पहुंचीं थी उनके समक्ष भी ग्रामीणों ने सड़क *की समस्या को लेकर खासी नाराजगी जताई थी।*

 

नीमढाना के पूर्व सरपंच भगवान दास विश्वकर्मा मीडियाकर्मियों को बताया कि सड़क विहीन महुआ खेड़ा गांव देश की आजादी के 75 सालों से भी ज्यादा समय गुजर जाने के बाद भी पक्की सड़क से नहीं जुड़ सका है ।

*एंबुलेंस नहीं पहुंचने से हो चुके है10-15मौतें।*

 

तहसील रायसेन सर्किल के *अंतर्गत आने वाले इन सड़क विहीन उक्त गांवों।*

 

पटेल सुंदर पोर्ते भगवान सिंह विश्वकर्मा ने बताया कि एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंचने से तीन-चार लोगों की मौत हो चुकी है। आमुआखेड़ा में बीते वर्ष डिलीवरी कैस में गवा तक एंबुलेंस नहीं आने के कारण रामबाई नामक महिला की मौत हो गई थी। उसे खाट में दरकार महुआ खेड़ी डैम घट के नीचे ले जा रहे थे लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई थी। किसी के बीमार पड़ने पर *उसे अस्पताल पहुंचाना बड़ी चुनौती है।*

 

सभी समस्या ओं की जड़ सड़कें हैं सड़कों की स्वीकृती नहीं मिली है।यदि सड़क मंजर हो गई तब तो1 वर्ष के भीतर सड़क बन जाने से सभी समस्याएं दूर हो जाएगी बिजली के लिए फारिस्ट की मी भूमि होने के करण अनुमति लेकर सर्वे करा लिया जाए और मंजूरी *मिला जाए तो लाइट की समस्या हल हो सकती है।*

 

तहसील रायसेन के सुदूर क्षेत्र में बस कई ग्राम आज भी मूलभूत

सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं इन ग्रामों की सबसे बड़ी समस्या सड़कों की है इसकी वजह से अन्य मूलभूत सुविधाओं की भी कमी बनी हुई है वहीं कुछ ग्रामों को छोड़ दे तो आज भी कई मोहल्ले मंजरे टोले बिजली विहीन हैं। वहीं स्वास्थ्य स्कूल शिक्षा एंबुलेंस सेवा सहित राशन के लिए बरसात के दोनों में यहां कि

*रहवासियों को 15 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है।*

 

इन सड़क विहीन गांवों से जुड़े ग्रामीण आजादी के 75 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। दर्जनों मोहल्लेवासी बिजली के आभाव में अंधेरे में जीवन यापन करने को मजबूर हैं। इन गांवों में मोबाइल नेटवर्क के लिए कोई मोबाइल टावर भी नहींं हुए वर्षों से ग्रामीण सड़क बिजली

सहित अन्य आवश्यक सुविधाओं की मांग कर रहे हैं लेकिन सिर्फ

कागजी कोरे आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला है। वहीं वन भूमि पट्टा तो ग्रामीणों को मिला है लेकिन 15 वर्ष बीत जाने के बाद भी यह भूमि राजस्व

अभिलेख में इंद्राज सहित ऑनलाइन नहीं होने के कारण धान बिक्री भी नहीं हो पा रही है इसके किसानों को अर्धिक नुकसान पहुंच रहा है राशन स्वास्थ्य लाभ के लिए ग्रामीणों तथा स्कूल के बच्चों को 15 *किलोमीटर का सफर करना पड़ता है।*

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