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पांच हजार वर्ष पुरानी है बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा  इस वर्ष रिकॉर्ड 5 लाख श्रद्धालुओं ने अब तक किए दर्शन 

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लोकेशन बड़नगर

रिपोर्टर प्रकाश राणावत

 

पांच हजार वर्ष पुरानी है बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा

इस वर्ष रिकॉर्ड 5 लाख श्रद्धालुओं ने अब तक किए दर्शन

इंगोरिया। अमरनाथ यात्रा का समापन 19 अगस्त को हो रहा है। जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित यह हिंदुओं और सिक्खों का पवित्र तीर्थ स्थल है , स्वामी विवेकानंद भी यन्हा पधारे थे। समुद्र तल से अमरनाथ गुफा की ऊंचाई 3,888 मीटर है। हिमालय पर्वत श्रृंखला में प्राकृतिक हिम शिव लिंग का निर्माण गुफा में टपकते पानी की बूंदों से होता है। सावन माह में चंद्रमा के घटने बढ़ने पर हिम शिव लिंग का आकार भी घटता है और बढ़ता है । इस वर्ष 29 जून से यात्रा प्रारंभ हुई थी। जम्मू कश्मीर में अधिक तापमान बढ़ने से 6 जुलाई 2024 को प्राकृतिक हिम लिंग के पिघलने के समाचार मिलने के बावजूद भी श्रद्धालुओं की संख्या में इस वर्ष रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई।

पैदल यात्रा की कठिन चढ़ाई _

पहलगाम रूट से पवित्र अमरनाथ गुफा की दूरी 32 किलोमीटर है।और बालटाल रूट से 14  किलोमीटर ऊंची पैदल चढ़ाई करना पड़ती है। 6 अगस्त को हमारी यात्रा भी जम्मू के भगवती नगर बेस कैंप से सी आर पी एफ सेना के साथ कड़ी सुरक्षा में कोनवाय से प्रारंभ हुई ।   श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक 6 अगस्त तक 5 लाख श्रद्धालुओं के दर्शन का आंकड़ा पार हो रहा है। जम्मू के भगवती नगर बेस कैंप से शनिवार को रात साढ़े तीन बजे कड़ी सुरक्षा में 1700 तीर्थ यात्रियों का 40 वा जत्था गुफा के लिए रवाना हुआ। अधिकारियों ने बताया कि ये अभी तक का सबसे छोटा जत्था था। सन 2011 में 3.6 लाख सबसे कम श्रद्धालु अमरनाथ पहुंचे थे।

14 अगस्त को श्रीनगर से छड़ी मुबारक  दशनामी अखाड़ा यात्रा निकलेगी जो पवित्र गुफा में रक्षाबंधन के दिन पहुंच कर पारंपरिक पुजा के साथ अमरनाथ यात्रा का समापन करेगी।

पुराणों के अनुसार काशी में शिव लिंग दर्शन से 10 गुणा, प्रयाग से 100 गुणा और नेमी शारण्य तीर्थ से हजार गुणा अधिक पुण्य बाबा अमरनाथ के दर्शन से प्राप्त होता है ।

वायरल खबर_  क्या सच है?

सोशल मीडिया पर भ्रांति फैलाई जा रही है कि अमरनाथ गुफा की खोज एक मुस्लिम गडरिए ने की थी। 150 साल पहले बूटा मलिक नाम का एक गडरिया सबसे पहले बकरी चराते हुए पहुंचा था। एक साधु ने उसे कोयले से भरी बोरी दी थी, घर ले जाकर देखा तो कोयला सोने में परिवर्तित हो गया था। लोगों को लेकर गडरिया जब वन्हा जब पहुंचा तो साधु की जगह शिव लिंग मिला। गडरिए के पूर्वज गुफा के चढ़ावे का पांच प्रतिशत हिस्सा ले रहे थे । श्राईन बोर्ड बनने के बाद मुस्लिम परिवार को चढ़ावे में मिलने वाला हिस्सा बंद कर दिया गया । बूटा मलिक के गांव में उसका परिवार आज भी है जो श्राईन बोर्ड के इस फैसले से ना खुश हैं। मलिक अफजल बताते हैं कि 1850 में हमारे पूर्वजों ने गुफा की खोज की थी गुफा तक आने वाले यात्रियों की हम अब भी मेहमान नवाजी करते हैं। अमरनाथ में 15 नवंबर सन 2000 को जम्मू कश्मीर सरकार ने बिल पास कर श्राईन बोर्ड का गठन हुआ जबसे अमरनाथ गुफा का मुस्लिम कनेक्शन खत्म हो गया । धार्मिक ग्रंथों बिंदु संहिता और निज्मत पुराण में वर्णित उल्लेख के अनुसार काश्यप मुनि ने भगवान शिव को पवित्र छड़ी अमरनाथ ले जाने के लिए दी थी।

पुराणों के अनुसार 5000 वर्ष पूर्व सबसे पहले भृगु ऋषि ने यन्हा प्रवास किया और गुफा की खोज की थी । कश्मीर घाटी में मुस्लिम गडरिए का 150 साल पहले गुफा की खोज का दावा भ्रामक है।

बताया जाता है कि जब भगवान शिव माता पारवती को लेकर अमरत्व की कथा सुनाने गुप्त स्थान पर ले जा रहे थे तो पहलगाम मे सबसे पहले अपने वाहन नंदी को छोड़ा । अनंत नाग में सभी नागों को, शिवजी ने अपनी जटाओं से जिस जगह चंद्रमा को अलग कर दिया था उसे चंदनवाड़ी कहते हैं। शेष नाग में गले के शेष नाग को, गणेश टॉप पर गणेशजी को और पंच तरनी में पांच तत्वों का त्याग किया था। भगवान शिव के सिर की गंगा यन्ही पर छोड़ी थी, जो अमरावती नदी के नाम से प्रसिद्ध है। मां पारवती को लेकर जब भगवान शिव गुफा में अमरत्व का रहस्य बता रहे थे तब माता को नींद आ गई थी, दो कबूतर वह कथा सुन रहे थे वे अमर है आज भी उस गुफा में दिखाई देते हैं।

 

अमरनाथ यात्रा से लौटकर एम एल राणावत इंगोरिया। ने बताया

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