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क्या साइबर क्राइम आईजी पत्रकार धमकी मामले में करने वाले है बड़ा खुलासा ?

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क्या साइबर क्राइम आईजी पत्रकार धमकी मामले में करने वाले है बड़ा खुलासा ?

 

सूत्रों की माने तो संभागीय स्तर के आबकारी अधिकारी ने दी थी कॉल करके पत्रकार को गाली व धमकी ?

 

भोपाल के एक संभागीय आबकारी को मिल रहा शराब माफियाओं से संरक्षण

 

 

मनीष कुमार राठौर / 8109571743

 

भोपाल । प्रदेश आबकारी आयुक्त से अन्य जिला स्तर तक के अधिकारी सिर्फ खानापूर्ति की कार्यवाही कर है, लगातार खबर के माध्यम से आईना दिखाने पर आबकारी विभाग में बैठें भ्रष्ट अधिकारी सिर्फ मुह दिखाई की रस्म अदा कर इतिश्री कर लेते है । और जब पत्रकार खबर लिखता है उसे कॉल कर धमकी दी जाती है वही आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रदेश की राजधानी भोपाल में जब शराब माफिया के खिलाफ खबर लिखी जाती है तो उसका सीधा दर्द आबकारी विभाग में उच्च पद पर बैठे अधिकारियों को होता है । जिसके कारण आबकारी विभाग ही के ही अधिकारी पत्रकार को कुचलने की कोशिश करने लग जाते है, प्राईम संदेश के सूत्रों की माने तो भोपाल में शराब माफियाओं के खिलाफ खबर लिखने पर पत्रकार को धमकी देने का काम भी आबकारी विभाग से किया गया है ? जिसको लेकर प्राईम्स टीवी न्यूज़ जल्द बड़ा खुलासा करने वाला है । आखिर किन अधिकारियों के कहने पर पत्रकार को कॉल कर धमकाया और गाली गलौच की गई थी ? भोपाल में आबकारी विभाग में धृतराष्ट्र बनकर बैठे अधिकारियों के कारण ही देश का चौथा स्तंभ बार बार शर्मशार हुआ है ? आखिर किन अधिकारियों के कहने पर पत्रकार के साथ किया ये हादसा ? क्या इन अधिकारियों को शराब माफियाओं का संरक्षण है ? मध्यप्रदेश की राजधानी में इतनी बड़ी घटना हो जाती है और बंद कमरे में प्रेस कांफ्रेंस कर आबकारी विभाग को लगता है कि वो इस मामले से बच सकते है तो यह सोचने वाले अधिकारियों को सचेत हो जाना चाहिए की दैनिक प्राईम संदेश इस प्रकार की खबर को प्रमुखता से उठाता है पर्दा फाश करता आया है ? आपको जानकर हैरानी होगी की शहर में शराब माफियाओं के खिलाफ खबर लिखने पर धमकी मिलने लग जाती है ! क्या आबकारी विभाग अब गुंडा बन गया है ?

 

 

एफआईआर दर्ज होने के बाद भी भोपाल पुलिस दे रही आबकारी विभाग को संरक्षण

 

आपको बता दे की भोपाल जिले में अवैध शराब बिक्री को लेकर पत्रकार के द्वारा खबर लिखने पर पत्रकार को अज्ञात नंबर से कॉल कर धमकी मिलने पर एफआईआर होने के बाद भी आबकारी विभाग और पुलिस विभाग मूक दर्शक बन के बैठा है । आपको बता दे की आज फिर होने को 1 महीने हो चुके हैं परंतु भोपाल पुलिस विभाग के अधिकारी कार्यवाही करने से बच रहे आखिर क्या कारण है कि आबकारी विभाग में चल रहे माफिया राज की कॉल हिस्ट्री ना निकलते हुए पुलिस अधिकारियों को संरक्षण दे रही है ।

 

 

क्या कहना है पीड़ित पत्रकार का

 

शराब माफिया की गुंडागर्दी का शिकार बने अमित सेन अपने ही मामले में पुलिस की सुस्त कार्यप्रणाली से खिन्न हैं, उनका कहना है कि एक महीने से भी अधिक समय मे पुलिस की जांच का बेनतीजा रहना पुलिस की सुस्ती को उजागर कर रहा है। उन्होंने पुलिस द्वारा जानबूझकर आरोपी को बचने का समय देने की शंका जाहिर करते हुए कहा कि, एक पत्रकार के मामले में पुलिस के लचर रवैये से यह आंकलन किया जा सकता है कि आम ग्रामीणों के प्रकरण पर पुलिस कैसे कार्यवाही करती होगी।

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