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अलौकिक शक्ति पर्व हैं ” दशहरा ” पूजन 

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अलौकिक शक्ति पर्व हैं ” दशहरा ” पूजन

 

हमारी भारतीय संस्कृति मैं कई हिंदू त्योहार मनाए जाते है परंतु दशहरा पूजन बहुत खास होता है ऐसा माना जाता है कि आदिशक्ति मां दुर्गा ने दशमी के दिन महिषासुर राक्षस का वध किया था और राक्षसी शक्ति पर विजय हासिल की थी इसीलिए इस त्यौहार को सभी विजयदशमी के रूप में भी मनाया जाता हैं ।

भारतवर्ष में बड़ी धूमधाम से शारदीय नवरात्रि के समापन पर्व को दशहरे के रूप में मनाते हैं यहां दशहरे का अर्थ ( दस + हरा )जिसने की दस को हराया हो अर्थात रावण के दस सर को काटकर उसकी सभी बुराइयों को मिटाया था श्री राम ने इस प्रकार पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस पर्व को हम बुराइयों पर अच्छाई की जीत के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं और बुराई के प्रतीक रावण का दहन भी किया जाता है। कई जगह दशहरे के दिन रावण दहन की परंपरा है यहां रावण के साथ मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले भी जलाए जाते हैं। इस उत्सव को देखने वाले आयोजित कार्यक्रम स्थल पर सभी लोग रामलीला के समापन के साथ आनंद लेते हैं। इस दिन त्योहार पर कई स्थान पर एक दूसरे को पान खिलाकर मुंह मीठा करने की परंपरा भी है ।

दशहरा उत्सव हमारी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्री राम ने भी मां दुर्गा की आराधना करके शक्ति की उपासना की जिसके कारण माता प्रसन्न हुई और श्री राम को आशीर्वाद प्राप्त हुआ और इसी विजयदशमी के दिन श्री राम ने रावण का वध किया और रावण के अंत के साथ लंका पर विजय प्राप्त की । इसलिए यह उत्सव बड़े ही श्रद्धा से आदि शक्ति के साथ अस्त्र शस्त्रों का पूजन कर सभी बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं ताकि हम अपने जीवन में जो भी कर्म करें उसमें हमें सफलता प्राप्त हो ।

 

” दसों दिशाएं खुली हुई हैं

कृपा बरस रही है शक्ति की

राम भी दर्शन करते माता के

प्रेरणा देते सबको मां की भक्ति की ।।

 

आशी प्रतिभा ( स्वतंत्र लेखिका)

मध्य प्रदेश, ग्वालियर

भारत

मेरे द्वारा लिखा गया यह आर्टिकल सर्व अधिकार सुरक्षित है एवं अप्रकाशित स्वरचित मौलिक है।

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