अखबारों और समाचारों की आड़ में राज्यमंत्री मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल की इमेज डैमेज करने का षड्यंत्र ऐसे समझें
अखबारों और समाचारों की आड़ में राज्यमंत्री मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल की इमेज डैमेज करने का षड्यंत्र ऐसे समझें
*दैनिक प्राईम संदेश जिला ब्यूरो चीफ राजू बैरागी जिला *रायसेन*
नरेन्द्र शिवाजी पटेल एक ऐसा नाम जिसे व्यक्ति लेता है या सुनता है तो केवल एक ही बात दिमाग में आती है और वो है उनकी सहजता-सरलता-सौम्यता।
जो भी व्यक्ति नरेंद्र शिवाजी पटेल के व्यक्तित्व को जानता है वो इस बात को अच्छे से जानता है कि नरेंद्र शिवाजी पटेल अपने सिद्धांतों के साथ समझौता न करने वाले व्यक्तित्व हैं। इसी का परिणाम है कि मंत्री बनते ही उन्होंने क्षेत्र में शराब माफियाओं के अवैध धंधों पर लगाम लगवाकर उन्हें रोड पर ला दिया। ठीक ऐसे ही रेत माफियाओं का हाल किया।
अपनी कर्मशीलता और निष्ठा को दर्शाते हुए उन्होंने पिछले दिनों स्वयं रेत से लबालब भरे अवैध डंपरों का पीछा कर उन पर कानूनी कार्रवाई करवायी और अपने राजधर्म को निभाया।
नरेन्द्र शिवाजी पटेल अच्छे लोगों के लिए फूल से ज्यादा कोमल तो बुरे लोगों के लिए वज्र से ज्यादा कठोर हैं।
हमें यह भी विचार करना चाहिए कि
क्या अखबारों और समाचारों में नकारात्मक एजेंडे के माध्यम से उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है।*?
क्या उनके पीछे इन माफियाओं का भी सुनियोजित षड्यंत्र है
हमेशा कानून का स्वयं पालन कर दूसरों को भी कानूनसंगत कार्य करने की सलाह देने वाले नरेंद्र शिवाजी पटेल पर हम सभी को अटूट विश्वास है।
बीते दिनों भोपाल में हुई घटना में डेनिस मार्टिन नाम का जो व्यक्ति सामने आया है वह क्रिश्चियन है और उसकी पत्नी अलीशा हिंदू है, बताया जा रहा है कि उसके धर्मांतरण कराने वाले लोगों से भी कनेक्शन हैं और इन कामों को वह कैसे अंजाम देता है धीरे-धीरे सब सामने आ जाएगा।
*विचार कीजिए कि वह कथित पत्रकार अभिज्ञान पटेल और उनके दोस्तों को उकसाकर डेविड मार्टिन के यहां ही क्यों गया
क्या ये मार्टिन और कथित पत्रकार को माफियाओं को सुनियोजित संरक्षण मिला हुआ था।
ऐसा नहीं है कि जिस थाने में अभिज्ञान पटेल के साथ पुलिसकर्मियों द्वारा अभद्रता की गई उस थाने में पुलिसकर्मी न जानते हो लेकिन इसके बावजूद भी षड्यंत्र के तहत अभिज्ञान पटेल के साथ पुलिसकर्मियों ने अभद्रता की और अनुचित व्यवहार किया। मेडिकल रिपोर्ट भी इस बात का प्रमाण हैं लेकिन अखबारों से मेडिकल रिपोर्ट की बात गायब है।
इस बात से आप सभी भी सहमत होंगे कि किसी भी आम आदमी या सामान्य नागरिक के बेटे के साथ अगर थाने में इस तरह कानून को ताक पर रखकर बुरी तरह से अभद्रता और मारपीट की जाती तो दुनिया में किसी भी बेटे का बाप अपने पैरों को स्थिर नहीं रख सकता।
वह बेटे के पास कैसी भी स्थिति में पहुंचेगा ही।
रही बात इस घटना पर नरेंद्र शिवाजी पटेल के थाने पहुंचने की तो फिर आप सभी ऐसे समझिए सत्य क्या है
शरीर पर टीशर्ट-लोवर और पैरों में चप्पल पहनें नरेंद्र शिवाजी पटेल अपने पिताधर्म को निभाते हुए थाने पहुंचे थे ना कि मंत्री की हैसियत से।
जब TI ने कहा कि अंदर आइए तो उनका कहना था कि मैं मंत्री के नाते आपके थाने नहीं आया हूं बल्कि मैं एक बेटे के पिता के रूप में आया हूँ।
उन्होंने इस बात को बार बार कहा कि आप कानून संगत कार्रवाई कीजिए हमें एक प्रतिशत भी कोई आपत्ति नहीं है बस आपत्ति इस बात कि है कि थाने के अंदर मारपीट करने का अधिकार आपको किसने दिया, किस कानून में ऐसा लिखा है।
थाने पहुंचे शीर्ष अधिकारियों ने भी यह बात समझी और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया।
हमें इस बात को भी समझना चाहिये कि कोई भी अधिकारी किसी के कहने पर ऐसा निर्देश नहीं देता क्योंकि यदि सामने वाले पुलिसकर्मी जब कोर्ट में अपनी बात रखेंगे तो उन्हीं शीर्ष अधिकारी को प्रमाण देना पड़ेगा और कोई अधिकारी नहीं चाहता कि उसकी नौकरी खतरे में आए इसलिए सस्पेंड जो हुए वह मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर हुए क्योंकि पुलिसकर्मियों को मारने का अधिकार था ही नहीं।
जिस तरह से मीडिया में सुनियोजित षड्यंत्र के तहत बताया जा रहा है उस पर आंख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए।
हम सभी नरेंद्र शिवाजी पटेल के व्यक्तित्व से अच्छी तरह से परिचित हैं।
वह तो अच्छा हुआ कि नरेंद्र शिवाजी पटेल का बेटा था अगर किसी और नेता का बेटा होता तो जमीन आसमान एक कर देता।
जो पार्क पर कब्जे की बात सामने लाई जा रही उस कॉलोनी के अध्यक्ष के तार कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के साथ अच्छे खासे जुड़े हुए हैं अब उससे सच की उम्मीद क्या ही की जा सकती है। क्योंकि उस कॉलोनी के लोग स्वयं इस बात के गवाह हैं कि पार्क में सभी के लिए प्रवेश है वह सभी का पार्क है। उसमें सब लोग मिलकर त्योहार भी मनाते हैं और कॉलोनी के लोग बैठने भी जाते हैं और उनके बच्चे पार्क में खेलते भी हैं।
यह सत्य है कि नरेंद्र शिवाजी पटेल बड़े संघर्ष के बाद इस पद पर पहुंचे जिनके सौम्य व्यक्तित्व के कायल हजारों लोग हैं। यही वजह कि आज भी सरकार, संगठन और लोगों को उनके आचरण और व्यवहार पर पूरा भरोसा है।
इसलिए अपना विश्वास और अपना भरोसा मजबूत रखें
किसी ने सही लिखा है कि
मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है।
बंजर माटी में पलकर मैंने मृत्यु से जीवन खींचा है।
मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ शीशे से कब तक तोड़ोगे।
मिटने वाला मैं नाम नहीं-
तुम मुझको कब तक रोकोगे।
तुम मुझको कब तक रोकोगे