News By- हिमांशु उपाध्याय/ नितिन केसरवानी
भरवारी/कौशाम्बी: नगर स्थित नेशनल इंटरमीडिएट कॉलेज के संस्थापक स्व मंगला प्रसाद तिवारी “जर्मन मास्टर” की मंगलवार को 21वीं पुण्यतिथि पर कालेज के प्रबंधक, प्रधानाचार्य व अध्यापकों ने प्रतिमा पर पुष्प व माल्यार्पण किया l
कार्यक्रम में कॉलेज के प्रबंधक रवि नारायण तिवारी व प्रधानाचार्य बिनोद कुमार मिश्रा ने पुण्यतिथि पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के बारे में बताया कि देश की आजादी के लिए अंग्रेज हुक्मरानों की नींद हराम करने वाले मंगला प्रसाद तिवारी उर्फ जर्मन मास्टर 1942 में 25 वर्ष की युवावस्था में कलकत्ता (अब कोलकाता) विश्वविद्यालय से बीकाम की डिग्री प्राप्त करने के बाद आगे की पढ़ाई छोड़कर देश की आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे। सुभाषचंद्र बोस के दिशा-निर्देशों पर अंग्रेजों के खिलाफ जंग छेड़ दिया था। पहली बार गोरे हुक्मरानों ने इन्हें 1942 में रात के समय एक गोपनीय बैठक में जाते समय गिरफ्तार कर लिया था। 10 माह की सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया। सजा पूरी कर बाहर आने पर देश की आजादी का जुनून और बढ़ गया। विभिन्न सभाओं में अंग्रेजों के खिलाफ अपने ओजस्वी भाषण से उनकी नींद हराम कर दी थी। ऐसे में 1943 में फिर दो माह की कठोर सजा सुनाकर सलाखों के पीछे भेज दिया गया। सजा काटकर बाहर आने पर अंग्रेजी प्रशासन इन्हें पकड़ने में नाकामयाब रहा। जर्मन भाषा का अच्छा ज्ञान होने के कारण देश के पहले प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा इन्हें जर्मन मास्टर की उपाधि दी गई थी। इसी नाम से यह लोगों के बीच पहचाने जाते रहे। जर्मन मास्टर द्वारा 1950 में नेशनल इंटर कालेज की स्थापना की गई और 1967 में दो बैलों की जोड़ी के चुनाव विह्न पर सिराथू विधानसभा से चुनाव लड़कर विधायक बने। 22 अप्रैल 2004 को उनका निधन हो गया। हमें उन्हीं के आदर्शो पर चलना चाहिए l इस दौरान अशोक कुमार तिवारी, भुनेश्वर तिवारी सहित अन्य सभी शिक्षक गण मौजूद रहे l
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को भुला नगर प्रशासन l
नगर पालिका परिषद भरवारी में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व मंगला प्रसाद तिवारी “जर्मन मास्टर” की पुण्यतिथि पर नगर प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार का कोई कार्यक्रम नहीं किया गया वही नगर पंचायत से नगर पालिका बने सात वर्ष बीतने को हुए लेकिन किसी भी चौराहे का नाम भी स्वतंत्रता सेनानी के नाम नहीं है न ही कोई प्रतिमा स्थापित की गई l इस संबंध में अधिशासी अधिकारी रामसिंह ने बताया कि मुझे जानकारी नहीं थी, अगली बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव दिया जाएगा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम से चौराहे व प्रतिमा स्थापित कराई जाएंl