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राष्ट्रीय लोक गायिका मान्या पांडे तमिलनाडु की कला और संस्कृति से हुईं अवगत

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राष्ट्रीय लोक गायिका मान्या पांडे तमिलनाडु की कला और संस्कृति से हुईं अवगत

*अरविंद सिंह परिहार सीधी*

 

सीधी। मध्य प्रदेश की बेटी राष्ट्रीय लोक गायिका मान्या पांडे ने दक्षिण भारत की लोक संस्कृति से रूबरू होने के अपने दौरे के दौरान तमिलनाडु सरकार के संग्रहालय कला एवं संस्कृति निदेशक आईएएस कविता रामू, उप निदेशक कला एवं संस्कृति बी हेमनाथन से मुलाकात कर तमिल लोक संस्कृति एवं लोक कला के बारे में विस्तार से चर्चा की और मध्य प्रदेश की कला एवं लोक संस्कृति के बारे में जानकारी प्रदान की। तमिलनाडु के कला एवं संस्कृति विभाग ने मान्या पांडे को संगीत महाविद्यालयों एवं संगीत विद्यालयों का भ्रमण कराया। जहां मान्या पांडे ने संगीत शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं से चर्चा कर तमिल लोक संस्कृति के बारे में जानकारी प्राप्त की। राष्ट्रीय लोक गायिका पूरे देश में अपने बघेली लोकगीतों का परचम लहरा रही हैं। मीडिया से बात करते हुए राष्ट्रीय लोक गायिका मान्या पांडे ने बताया कि तमिलनाडु में खासकर चेन्नई में ज्यादातर लोग टूटी-फूटी हिंदी बोलते और समझते हैं और ज्यादातर पढ़े-लिखे लोग अंग्रेजी में बात करते हैं। तमिलनाडु सरकार अपने राज्य की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन पर विशेष ध्यान देती है। तमिलनाडु में उरुमी, नादस्वरम और विल्लुपडु, धनुष्कार आदि वाद्य यंत्र वर्षों से पारंपरिक रूप से बजाए जाते हैं। इसके साथ ही तमिल का प्रसिद्ध लोकगीत विल्लुपाहु है जो कि एक कहानी कहने की शैली है, जिसमें धनुष के आकार का वाद्य यंत्र इस्तेमाल किया जाता है। उरुमी मेलम एक लोकप्रिय लोकसंगीत है, जिसे अक्सर ग्रामीण तमिलनाडु में उरुमी और नादस्वरम के साथ बजाया जाता है। तमिल लोकगीत न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि ये सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं को भी दर्शाते हैं। मान्या पांडे ने कहा कि तमिलनाडु में लोकसंगीत की लंबी परंपरा है और यहां के लोकसंगीत का इतिहास हजारों साल पुराना है। तमिल में लोग शादियों और मंदिर उत्सवों में लोकसंगीत गाते हैं

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