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मजदूर नहीं उनके भूत करते हैं वन विभाग में मजदूरी

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News By- Nitin Kesarwani

*चायल और मंझनपुर रेंज में एक दिन एक समय एक साथ उन्ही मजदूरों की उपस्थित भरकर किया जा रहा सरकारी खजाने से भुगतान*

*कौशाम्बी।* वन विभाग का भी खेल निराला है जहां पौधारोपण में हेरा फेरी करके विभागीय अधिकारी मालामाल हो रहे हैं वही पुराने हरे भरे फलदार पेड़ को कटवा कर भी वन विभाग के अधिकारी अकूत संपत्ति के धनी बनने का सपना संजोए बैठे हैं इतने पर भी पर विभाग के अधिकारियों का पेट नहीं भर रहा तो मजदूरो से काम कराने के बाद उनकी मजदूरी भी वन विभाग के अधिकारी डकार जाते हैं जिससे मजदूर परेशान है वन विभाग में काम करने के बाद मजदूरी न मिलने की शिकायत कई बार जिला अधिकारी कार्यालय में भी हो चुकी है इतना ही नहीं वन विभाग में मजदूरों की फर्जी उपस्थिति भरकर के उनके मजदूरी का भुगतान विभागीय अफसर के रहमों करम पर हो रहा है

बताया जाता है कि जिन मजदूरों की उपस्थिति चायल रेंज में जिस तारीख जिस दिन जिस समय दिखाई गई है उसी दिन उसी तारीख उसी समय में उन्ही मजदूरों की मंझनपुर रेंज में भी मजदूरी दिखाई गई है इतना ही नहीं दोनों रेंज में मजदूरों की एक साथ मजदूरी का भुगतान भी ऑनलाइन बैंक खाते से किया जा रहा है अब सवाल उठता है कि एक मजदूर एक समय में एक साथ दो स्थान पर कैसे मजदूरी कर सकता है विभागीय अफसर के कारनामे के चलते तो अब लगता है कि वन विभाग में मजदूर नहीं उनके भूत काम करते हैं भूत बनकर काम करने वाले मजदूरों के कारनामे के चलते विभागीय अफसरो की निष्ठा पर बड़े सवाल खड़े हैं मजदूरों की मजदूरी में हेरा फेरी के इस मामले में चायल रेंज के एक वाचर की भूमिका सवालों के घेरे में है जो मंझनपुर रेंज क्षेत्र में मजदूरों का नाम बता कर विभाग से सरकारी रकम का भुगतान करवा रहा है सूत्रों की माने तो चायल रेंज क्षेत्र के सैकड़ो मजदूरों के नाम पर मंझनपुर रेंज क्षेत्र से मजदूरी का फर्जी भुगतान किया गया है जबकि दोनों रेंज के बीच में 35 किलोमीटर से अधिक की दूरी है और दूरी अधिक होने के चलते चायल क्षेत्र के मजदूर मंझनपुर क्षेत्र में मजदूरी करने नहीं आते हैं बल्कि चायल क्षेत्र के मजदूर प्रयागराज शहर जाकर के अधिक मजदूरी में काम करते हैं मजदूरो की एक साथ दो रेंज में उपस्थिति दर्ज करके सरकारी खजाने से भुगतान किए जाने का यह मामला बेहद गंभीर है और मामले में यदि शासन स्तर से उच्च स्तरीय जांच कराई गई तो दोनों रेंज अफसर के कारनामों का बड़ा खुलासा होगा लेकिन क्या वन विभाग में तेजी से बढ़ते भ्रष्टाचार पर विभागीय अफसर रोक लगा पाएंगे या फिर मजदूरों की मजदूरी के नाम पर विभाग में इसी तरह बड़ा खेल अफसरो के संरक्षण में चलता रहेगा यह सवाल वन विभाग की भ्रष्ट व्यवस्था पर खड़ा है।

 

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