- पशुपालन विभाग में जांच के नाम पर मंत्री, पीएस, और डायरेक्टर के इर्दगिर्द घूम रही फाईल
क्या भ्रष्टाचार और घोटालों के 300 पन्नों की जांच में लगेंगे 300 दिन ?
- टेबल से दूसरे टेबल भटकती जांच की फाईल, अधिकारी ने कर दिया दूसरा घोटाला
मनीष कुमार राठौर / 8109571743
भोपाल / धार । प्रदेश में भ्रष्ट अधिकारियों की भरमार हो गई है ऐसा प्राईम संदेश नही लोकायुक्त और आर्थिक अपराध ब्यूरो के रिकार्ड बोल रहे है । जहा पर एक एक दशक से लेकर पांच से सात साल तक भ्रष्ट और रिश्वतखोर अधिकारियों की जांच लंबित है, यह तो समझ आता है की इन विभागों पर पूरे प्रदेश में घोटालेबाज अधिकारियों पर कार्यवाही की जिम्मेदारी है, परंतु पशुपालन जैसा महत्वपूर्ण विभाग जिसमें संभागीय स्तर के संचालक दोषी करार देते हुए जांच कर फाईल ऊपर भेज देते है । वही प्रदेश स्तर पर ऐसी कौन जांच होती है जिसमें महीनों और सालों लग जाते है तब तक भ्रष्ट अधिकारी दूसरा घोटाला कर देता है । आपको जानकर हैरानी होगी की प्रदेश का पशुपालन विभाग ऐसा ही है जहा पर विभाग जांच के नाम पर लीपापोती चल रही है । जिस देश में पशुओं को पूजा जाता है, गाय को माता का दर्जा दिया जाता है वेद पुराण से लेकर वर्तमान में स्कूल में भी गाय को माता कहा जाता है और वही इनको संचालित करने वाला विभाग जब अपने कर्तव्य का पालन न करें तब तो इनका भगवान भी मालिक नहीं है क्योंकि इनको इसकी चिंता ही नही है ।
क्या है उप संचालक धार का मामला
ताजा मामला धार जिलें में पदस्थ उप संचालक जी डी वर्मा का है जिनके द्वारा जिलें में उन्ही के अधीनस्थ कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियोे द्वारा क्षैत्रीय विधायक और विभाग प्रमुख को शिकायत की गई की डाॅ.जी.डी.वर्मा, उप संचालक,पशु चिकित्सा सेवाएं, जिला धार एवं कार्यालय में पदस्थ श्रीमती अमिता सोलंकी, सहायक वर्ग-3 के द्वारा घोटाला किया जा रहा है , साथ ही इनके अत्याचार बढ़ते जा रहे है जिसके कारण क्षेत्र में कार्य करने में परेशानी हो रही है । साथ ही विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियोे द्वारा इनके विरूद्ध कार्यवाही करने की मांग भी की गई परंतु जांच के नाम पर महीनों से फाईल एक टेबल से दूसरे टेबल पर घूम रही है । जबकि आपको बता दे की पिछले अंक में दैनिक प्राईम संदेश और प्राईम्स टीवी न्यूज़ ने बताया था कि किस प्रकार उप संचालक जी डी वर्मा ने नीमच जिलें में पदस्थ रहते हुए केंद्र सरकार की योजना में आर्थिक अनियमितता की थी जिसके बाद साथ साल जांच चलाने के बाद भी कार्यवाही मुंह दिखाई की हुई जबकि इस मामले में भी तात्कालिक संभाग संचालक ने अपनी जांच रिपोर्ट में दोषी बताया हुआ था । वही इस बार भी इंदौर संभाग के अधिकारी ने अपनी जांच रिपोर्ट में दोषी पाया और डायरेक्टर से लेकर विभाग प्रमुख ने स्वीकार किया था की आर्थिक अनियमितता हुई है, जिसके बाद भी आज दिनांक तक कार्यवाही रुकी हुई है । आखिर कौन रोक रहा है कार्यवाही करने से उच्च अधिकारियों के हाथ ?
क्या कहना है ।
जांच रिपोर्ट आई थी कार्यवाही कर भेज दी गई है इसकी जानकारी विभाग आपको दे पायेगा ।
लखन पटेल मंत्री मध्यप्रदेश शासन पशुपालन विभाग
जानकारी लेने के लिए निरंतर अलग अलग दिन कॉल किया गया, परंतु मीडिया से बचाने के लिए किसी प्रकार का कोई कॉल मैसेज का जवाब नही दिया गया ।
राजेंद्र कुमार डायरेक्टर पशुपालन विभाग भोपाल
दैनिक प्राईम संदेश PDF