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स्टेशन के नो पार्किंग जोन में रेलवे ठेकेदार का 25 वर्षों से है कब्जा, नो पार्किंग जोन में गुजरने वाले वाहनों से ठेकेदार के कर्मी जबरन वसूलते हैं पार्किंग चार्ज

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धनबाद

 

*धनबाद स्टेशन के नो पार्किंग जोन में रेलवे ठेकेदार का 25 वर्षों से है कब्जा, नो पार्किंग जोन में गुजरने वाले वाहनों से ठेकेदार के कर्मी जबरन वसूलते हैं पार्किंग चार्ज*

 

रिपोटर मिलन पाठक

 

*धनबाद :* धनबाद रेलवे स्टेशन परिसर के पोर्टिको में नो पार्किंग जोन में 25 वर्षों से रेलवे ठेकेदार का कब्जा है. वहां खड़ी गाड़ियों और उधर से गुजरने वाले वाहनों से ठेकेदार के कर्मी जबरन पार्किंग चार्ज वसूलते हैं.

विरोध करने पर मारपीट पर उतारू हो जाते हैं. यहां तक कि गोली मारने की भी धमकी देते हैं. पार्किंग को लेकर कई बार मारपीट व चाकूबाजी की घटनाएं हो चुकी हैं. इतना ही नहीं रेलवे अधिकारियों से शिकायत के बाद जांच में दोषी पाए जाने और नो पार्किंग जोन में खड़ी गाड़ियों से पार्किंग चार्ज लेते समय पकड़े जाने पर दस-दस हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है. इसके बावजूद ठेकेदार के कर्मी खड़ी गाड़ियों से जबरन वसूली करने से बाज नहीं आ रहे हैं. इससे ठेकेदार को रोजाना हजारों रुपए की अवैध कमाई हो रही है.

धनबाद स्टेशन भवन के सामने कार, ऑटो, बाइक, रिक्शा व बस के लिए अलग-अलग वाहन पड़ाव है. जहां गाड़ियां खड़ी करने पर ठेकेदार के कर्मी पार्किंग चार्ज लेते हैं. ट्रेन से आने-जाने वाले यात्रियों के लिए प्रवेश व निकास द्वार के बगल से थ्रू लेन बनाया गया है, लेकिन उस लेन से कोई व्यक्ति कार लेकर जाता है और ट्रेन में बैठाने के लिए परिजनों को उतारता है, तो उसे 30 रुपये देना पड़ता है. जबकि थ्रू लेन में न तो गाड़ी पार्क करना है और ना ही उस गाड़ी चालक से पार्किंग चार्ज लेना है.

 

नो पार्किंग जोन से रोजाना लगभग 500 गाड़ियों से प्रति गाड़ी 30 रुपये के हिसाब 15 हजार रुपये की अवैध वसूली हो रही है. कोई व्यक्ति किसी यात्री को कार से उतार कर एक मिनट में निकास द्वार से निकल जाए या फिर 24 घंटे खड़ी करे, उसे ठेकेदार के कर्मी को 30 रुपये देना होगा. विरोध करने या सवाल-जवाब करने पर मारपीट तय है. लोग झंझट से बचने के लिए 30 रुपये देकर निकल जाते हैं.

टैक्सी ड्राइवरों ने बताया कि धनबाद रेवले स्टेशन परिसर में 200 टैक्सी ड्राइवर हैं, जो पिछले कई वर्षों से टैक्सी लगा रहे हैं. वे लोग दिसंबर 2023 तक हर महीने ठेकेदार के कर्मियों को 1000 रुपये देते थे, लेकिन ठेकेदार का नया फरमान जारी हुआ है कि अब हर माह प्रति टैक्सी 2000 रुपये देना पड़ेगा.

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