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बाजार में 36 रुपये किलो का आटा निकल रहा गरीबों का दम, महंगाई डायन की मार से

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बाजार में 36 रुपये किलो का आटा निकल रहा गरीबों का दम, महंगाई डायन की मार से

 

*दैनिक प्राईम संदेश जिला* *ब्यूरो चीफ राजू बैरागी जिला* *रायसेन*

 

आमजन परेशान।। रायसेन

बाजार में 36 रुपये किलो का आटा निकल रहा गरीबों का दम, महंगाई डायन की मार से आमजन परेशान।

 

बाजार में 36 रुपये किलो का आटा निकल रहा गरीबों का दम, महंगाई डायन की मार से आमजन परेशान।

 

रायसेन। बाजार में महंगाई डायन का असर आटे पर भी पड़ रहा है।जिससे आमजन कमर तोड़ महंगाई की मार से बुरी तरह से परेशान हैं।आलम यह है कि बाजार में 36 रुपए किलो का आटा इस समय गरीब परिवारों का दम निकाल रहा है। इस खाद्य महंगाई से घरेलू बजट बिगड़ रहा है। इस मूल्यवृद्धि को कंट्रोल करने केंद्र सरकार ने 27.50 रुपए किलो का भारत आटा का दस किलो पैकेट निकाला है। जिसका रायसेन में भी बे सब्री से इंतजार है। लोग मान रहे हैं कि इस आटा का वितरण शुरू होने से बाजार के दाम से राहत मिलेगी।

 

देखा जाए तो जिले में गेहूं की करीब 2 लाख से ज्यादा हैक्टेयर में खेती होती है। नवम्बर के अंत और दिसंबर माह के पहले सप्ताह तक इसकी बुवाई शत प्रतिशत पूरी हो जाएगी। इसकी फसल मार्च-अप्रेल तक आ जाएगी। इस बीच बाजार में मांग बढ़ने से जुलाई से नवम्बर तक लगातार दाम बढ़ते चले गए। कृषि उपज मंडी में थोक भाव 26 रुपए किलो है, तो किराना दुकान और चिल्लर बाजार में 30 रुपए में उपलब्ध है। गेहूं का पैकबंद आटा का न्यूनतम मूल्य 36 रुपए किलो है। अच्छी क्वालिटी का आटा 40 रुपए किलो पहुंच गया है। इससे गरीब और निम्न मध्यम वर्ग का घरेलू बजट बिगड़ गया है। लोग इस खाद्य महंगाई से तंग है। आगे नई फसल आने तक चार माह तक यह स्थिति बनी रह सकती है।

 

फिलहाल केंद्र सरकार की ओर से निकाले गए भारत आटा पैकेट राहत की खबर है। इसका दो दिन पहले भोपाल में रिटेल काउंटर खोला गया। इसके साथ ही तीन स्थानों पर मोबाइल वैन से आटा बेचा जा रहा है। नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन ऑफ इंडिया को इसका जिम्मा दिया गया है। प्रदेश के दूसरे जिलों की तरह रायसेन में भी यह आटा पहुंचेगा। फिलहाल गरीब परिवार इसका इंतजार कर रहे हैं।आटा की मांग कमजोर होने से कंट्रोल होंगे दाम।

 

सरकारी भारत आटा आने से बाजार में उपलब्ध निजी कंपनियों के आटा की मांग कमजोर होगी तो दाम में बढ़ोतरी रुक जाएगी। फिलहाल इस क्षेत्र में कोई सरकारी कंपनी न होने से मूल्यवृद्धि देखने को मिल रही है। इसका नुकसान गरीब परिवारों को उठाना पड़ रहा है।

 

कांग्रेस-भाजपा के घोषणा पत्र से कीमतें दिखा रहीं आंखें।

 

इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-भाजपा दोनों ने ही गेहूं का समर्थन मूल्य से ज्यादा दाम पर खरीदी का वादा किया है। कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में 2600 रुपए प्रति क्विंटल तथा भाजपा ने एमएसपी पर बोनस समेत 2700 रुपए देने की बात कही है। अनाज व्यापारी मान रहे हैं कि चुनावी घोषणा से बाजार में तेजी बनी है। तीन दिसम्बर को जिस भी दल की सरकार आएगी, उसके रुख पर गेहूं के दाम भी घटते-बढ़ते रहेंगे। फिलहाल जनता को राहत देने भारत आटा आने से कीमतें कंट्रोल हो सकती है।डेढ़ साल से राशन दुकानों में भी कम गेहूं

 

पिछले साल 2022 की फरवरी-मार्च में रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते केंद्र सरकार ने राशन दुकानों में गेहूं का कोटा घटा दिया था। पहले के एक सदस्य को पांच किलो गेहूं मिलता था।अब उसे एक किलो तक सीमित कर दिया गया। इससे 2.76 लाख परिवार रियायती गेहूं कम होने से बाजार पर निर्भर हो गए। इससे बाजार में गेहूं की मांग बढ़ी और दाम बढ़ गए। सरकार की ओर से अभी तक इस गेहूं के अनुपात को दोबारा पांच किलो पर वापस नहीं किया गया है।

 

इनका कहना है।

 

भारत आटा के छिंदवाड़ा में वितरण के आदेश का इंतजार है। इसमें कौन एजेंसी इसका जिम्मा संभालेगी। तब ही स्पष्ट हो पाएगा। -संदीप भार्गव फ़ूड निरीक्षक रायसेन।

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