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रिश्तो की कदर भी धन की तरह करनी चाहिए_बापूजी

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रिश्तो की कदर भी धन की तरह करनी चाहिए_बापूजी

 

 

राजू पटेल कसरावद(खरगोन)

 

कसरावद तहसील क्षेत्र के

अयोध्या धाम बैरागढ़ ग्राम लेपा पुनर्वास में 9 दिवसीय श्रीराम कथा हो रही हे कथा के सातवें दिन सोमवार को सद्गुरु श्री दिनेशानंद जी बापू ने कहा कि संबंध को जोड़ना एक कला है लेकिन संबंध को निभाना एक साधना है इसीलिए बड़े बुजुर्गों ने कहा है कि रिश्तो की कदर भी धन की तरह करनी चाहिए क्योंकि दोनों को कमाना मुश्किल है पर गवाना बड़ा आसान है,मोह ही विनाश का कारण है और मैं और मेरा यदि यही माया की डोर है, तन को जो ढके उसे पट कहते हैं और मन को जो ढके उसे कपट कहते हैं, गंगा किनारे भगवान श्री राम और केवट संवाद के माध्यम से बापूजी ने कहा कि भक्ति कैसी होनी चाहिए,भक्ति निश्चल होनी चाहिए,निस्वार्थ होनी चाहिए, भक्ति कि ओ शक्ति है जिससे भगवान स्वयं चले आते है, परमात्मा कोई व्यक्ति नहीं है स्मरण रखना परमात्मा केवल आनंद की अनुभूति का नाम है,अमृत का साक्षात्कार है, चैतन्य की प्रतीति हे, परमात्मा केवल अनंत ऊर्जा का स्रोत है और इसी ऊर्जा शक्ति को जागृत कर गोराज केवट में प्रभु श्री राम का दर्शन किया, प्रेम चाहिए तो समर्पण खर्च करना होगा और विश्वास चाहिए तो निष्ठा खर्च करनी होगी, भक्ति दो प्रकार की होती है एक कामना रहित भक्ति दूसरी भय रहित भक्ति कभी अभिमान नहीं करना चाहिए,बापूजी ने कहा ब्रह् का परिचय वाणी नहीं दे सकती,दुखों से घबराओ मत, दुख तुम्हारी भलाई के लिए तुम्हारे पास आते हैं और दुखों को पिछले जन्म का कर्म समझो, दुख की प्राप्ति से कर्म का भोग पूरा हो जाता है तुम कर्म फल के बंधन से मुक्त होकर के निर्मल हो जाते हो,तुम्हारे प्रत्येक सुख दुख का विधान भगवान तय करते हैं भगवान परम दयालु है उनका कोई विधान ऐसा नहीं होता जिसमें तुम्हारा कल्याण न भरा हो, राम कथा यही संदेश देती है जीवन मिल जाना ही पर्याप्त नहीं है, जीवन जीना भी आना चाहिए,परमात्मा द्वारा हमें विभिन्न भोग योनियां भी प्रदान की जाती है इसीलिए मानव जीवन केवल भोगों को भोगने के लिए नहीं होना चाहिए हमें भोग योनी इसीलिए प्राप्त होती है ताकि भोगों से प्राप्त नश्वर सुख के प्रति हमारा आकर्षण कम हो एवं मन शाश्वत सुख की खोज में लग जाए,जीवन हमारा है इसके कल्याण का साधन भी हमको ही करना होगा इस यात्रा का सुगम मार्ग केवल राम कथा ही हे जो जीवन में जीवन से मुक्त नहीं होता वह मरने के बाद भी मुक्त नहीं होता राम कथा यही संदेश देती है इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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