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भोपाल में अवैध गैस एजेंसी के सिलेंडरों का काला कारोबार, जिम्मेदार कौन ?

भोपाल में HP एजेंसी पर आरोप, गोडाउन से ढाबों तक ब्लैक सप्लाई!

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भोपाल में अवैध गैस एजेंसी के सिलेंडरों का काला कारोबार, जिम्मेदार कौन ?

 

भोपाल में HP एजेंसी पर आरोप, गोडाउन से ढाबों तक ब्लैक सप्लाई!

 

देखिए सिलेंडर ब्लैक में, ग्राहक लाइन में प्रशासन कब जागेगा?

 

मनीष कुमार राठौर / 8109571743

भोपाल। राजधानी में खुलेआम पनप रही इस अवैध गैस सिलेंडरों की मंडी के पीछे आखिर किसका संरक्षण है ? उपभोक्ताओं को मिलने वाली सुविधाओं में काट छांट कर, मोटी कमाई की यह साजिश आम जनता की जेब पर सीधा डाका डाल रही है। कार्रवाई की बातें तो होती हैं लेकिन सवाल अब भी वही है, क्या इस ब्लैक सिलेंडर के धंधे पर वास्तव में लगाम लगेगी ? राजधानी में अवैध धंधों का बोलबाला किसी से छुपा नहीं है। अब इनमें अवैध गैस सिलेंडरों की कालाबाजारी का काला खेल भी तेजी से पनप रहा है। सूत्रों के अनुसार, इस गोरखधंधे में न केवल गैस एजेंसियों का सहयोग है बल्कि कहीं न कहीं प्रशासन की ढिलाई भी साफ झलकती है। यही वजह है कि आम जनता को समय पर सिलेंडर उपलब्ध नहीं हो पाता और काला बाजारी करने वाले ठेकेदार खुलेआम चांदी काटते हैं। फोटो वीडियो सहित सारे सबूत प्राईम संदेश के पास उपलब्ध है जिस पर सोमवार बड़ी कार्यवाही होगी ।

 

ग्राहकों को मिलती है परेशानियां

 

 

सिलेंडर लेने के लिए वैध उपभोक्ताओं को कई झमेलों से गुजरना पड़ता है। बुकिंग, पर्ची, गोडाउन और लंबी लाइनें उनकी रोजमर्रा की परेशानी बन चुकी हैं। ऑनलाइन बुकिंग करने के बाद भी उपभोक्ताओं को 7 से 8 दिन तक गैस सिलेंडर नहीं मिलता। वहीं एजेंसी से जुड़े ठेकेदार बहाने बनाकर उपभोक्ताओं को टालते रहते हैं, आज गैस खत्म हो गई, कल सबसे पहले आपके घर भिजवा देंगे।

 

इस तरह होता है खेल

 

 

मिली जानकारी के मुताबिक, पॉपुलर गैस एजेंसी (HP) के नारियलखेड़ा गोडाउन से अवैध सिलेंडरों का कारोबार बेखौफ चलता है। गोडाउन मैनेजर टिकराम उर्फ महाराज प्राइवेट कर्मचारियों की मदद से बिना बुकिंग और पर्ची के होटल, ढाबों और रेस्टोरेंट में मोटी रकम लेकर गैस सप्लाई कराता है। वहीं वैध ग्राहकों को समय पर सिलेंडर उपलब्ध नहीं कराया जाता। यह स्पष्ट रूप से कालाबाजारी को बढ़ावा देने जैसा ही है।

 

 

प्रशासन ने जताई सख्ती

 

फूड कंट्रोलर भोपाल, चंद्रभान सिंह जादौन ने कहा, आपके द्वारा जानकारी सामने आई है, यदि इस प्रकार का अवैध कारोबार चल रहा है तो निश्चित रूप से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

 

 

एजेंसी मालिक ने दी सफाई

 

जब इस मामले में एजेंसी मालिक राकेश मराठे (सेवानिवृत्त आईपीएस) से बात की गई तो उन्होंने मामले से अनभिज्ञता जताई। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी प्रकार की जानकारी नहीं है और पत्रकार से ही विवरण मांगा। सवाल यह उठता है कि यदि जनता और पत्रकार तक यह कालाबाजारी स्पष्ट रूप से दिख रही है तो फिर एजेंसी मालिक की अनजान बनने वाली प्रतिक्रिया को क्या कहा जाए? क्या यह सीधे-सीधे मिलीभगत की ओर इशारा नहीं करता?

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