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तीज महापर्व पर महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत, गणेश स्टेज में रात्रिकालीन जागरण कर की प्रभु आराधना

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तीज महापर्व पर महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत, गणेश स्टेज में रात्रिकालीन जागरण कर की प्रभु आराधना

 

ज्ञानेंद्र पांडेय अनूपपुर,

 

जिले के नगर परिषद बरगवां-अमलाई में श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाए जाने वाले हरियाली तीज महापर्व के पावन अवसर पर नगर परिषद बरगवां के वार्ड क्रमांक 9, अमलाई मोहड़ा स्थित गणेश स्टेज पर महिलाओं द्वारा पूरे श्रद्धा-भाव और भक्ति के साथ तीज व्रत रखा गया। पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए क्षेत्र की सैकड़ों महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर रात्रिकालीन जागरण एवं सामूहिक भजन-कीर्तन कर प्रभु शिव-पार्वती की आराधना की।

 

महिलाओं ने अपने और समाज के कल्याण, सुख-समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना की। रातभर चले जागरण में महिलाएं ‘फुलहरे’ (फूलों से सजे झूले) को पालने की तरह हिलाकर प्रभु का स्मरण करती रहीं, जिससे वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। आयोजन में महिलाओं की भागीदारी और समर्पण भाव ने इस धार्मिक पर्व को एक उत्सव में बदल दिया।

 

तीज व्रत: तप, त्याग और श्रद्धा का प्रतीक

 

हरियाली तीज का व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा किया जाता है, जो देवी पार्वती के उस कठोर तप की स्मृति में मनाया जाता है जिसमें उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने हेतु वर्षों तक तपस्या की। इस दिन महिलाएं पूर्ण निर्जला व्रत रखती हैं — अर्थात ना अन्न, ना जल। यह व्रत केवल शारीरिक संयम नहीं बल्कि मानसिक दृढ़ता, भक्ति और आत्मनियंत्रण का जीता-जागता उदाहरण है।

 

इस व्रत का उद्देश्य न केवल पति की लंबी उम्र और दांपत्य सुख की प्राप्ति है, बल्कि यह सामाजिक और आध्यात्मिक शुद्धि का माध्यम भी माना जाता है। कन्याएं इस व्रत को अच्छे वर की कामना से भी करती हैं।

 

 

गणेश स्टेज बना भक्ति का केंद्र

 

गणेश स्टेज, वार्ड क्रमांक 9 तीज महोत्सव के दौरान भक्ति और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बन गया। यहाँ रात्रिकालीन जागरण में भजन-कीर्तन, देवी-देवताओं की स्तुति और पारंपरिक लोकगीतों ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। महिलाओं द्वारा किए गए सामूहिक कार्यक्रम में पीढ़ियों का संगम देखने को मिला — बुजुर्गों के अनुभव और युवतियों की ऊर्जा ने इस आयोजन को अनोखी गरिमा प्रदान की।

 

 

एकता, संस्कृति और श्रद्धा का संगम

 

अमलाई मोहड़ा की यह भक्ति-मयी रात सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत उदाहरण रही। इस आयोजन ने जहां धार्मिक आस्था को बल दिया, वहीं समाज में सामूहिक सहयोग और सौहार्द का संदेश भी प्रेषित किया। तीज जैसे पर्व समाज को जोड़ने, स्त्रियों को आध्यात्मिक शक्ति देने और हमारी परंपराओं को जीवित रखने का कार्य करते हैं।

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