मध्यप्रदेश में राजस्व अधिकारियों की हड़ताल शुरू: पटवारी भी आंदोलन में शामिल
तहसीलदार, नायब तहसीलदार और पटवारियों का संयुक्त विरोध प्रदर्शन, प्रशासनिक कामकाज ठप
मध्यप्रदेश में राजस्व अधिकारियों की हड़ताल शुरू: पटवारी भी आंदोलन में शामिल
तहसीलदार, नायब तहसीलदार और पटवारियों का संयुक्त विरोध प्रदर्शन, प्रशासनिक कामकाज ठप
भोपाल। मध्यप्रदेश में प्रशासनिक तंत्र को झटका देते हुए राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारी सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए। इस आंदोलन की अगुवाई मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ और कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ कर रहे हैं, जिसे अब मध्यप्रदेश पटवारी संघ का भी पूर्ण समर्थन मिल गया है।
राज्यभर में हजारों तहसीलदार, नायब तहसीलदार और पटवारी कामकाज छोड़कर विभिन्न जिलों में प्रदर्शन और धरना दे रहे हैं, जिससे राजस्व से संबंधित कार्य, नामांतरण, भूमि रिकॉर्ड, सीमांकन, और राजस्व वसूली जैसे प्रमुख कार्य पूरी तरह से ठप हो गए हैं।
क्या हैं मांगें?
आंदोलनकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की मुख्य मांगों में शामिल हैं:
राजस्व अधिकारियों की पदोन्नति प्रक्रिया में पारदर्शिता
कनिष्ठ अधिकारियों को समय पर नियमितीकरण और स्थायी नियुक्ति
पुरानी पेंशन योजना की बहाली
कार्यभार के अनुपात में संसाधन और मानवबल की व्यवस्था
राजस्व अधिकारी संघ का कहना है कि सरकार बार-बार आश्वासन तो देती है, लेकिन व्यवहार में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे कर्मचारियों में आक्रोश है।
पटवारी संघ भी कूद पड़ा मैदान में
मध्यप्रदेश पटवारी संघ, जो पहले इस आंदोलन से अलग था, अब खुलकर समर्थन में आ गया है। पटवारी संघ के नेताओं ने कहा कि उनका भी शोषण लंबे समय से हो रहा है और अगर अब आवाज़ नहीं उठाई गई तो समस्याएं कभी हल नहीं होंगी।
प्रशासनिक व्यवस्था पर सीधा असर
राजस्व विभाग की यह हड़ताल राज्य के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में आम जनता के कामकाज पर सीधा असर डाल रही है। जमीन संबंधी कामकाज, जाति/आय/निवास प्रमाण पत्र, नामांतरण और फसल गिरदावरी जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों की प्रक्रिया पूरी तरह रुक गई है।
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री सचिवालय ने राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव से इस मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी है और वार्ता के संकेत दिए हैं।
विशेष टिप्पणी:
राज्य में इस हड़ताल का राजनीतिक असर भी हो सकता है, क्योंकि विधानसभा उपचुनाव की तैयारियां चल रही हैं और जनता में यदि आक्रोश बढ़ा तो सरकार की छवि पर असर पड़ सकता है।