रेंट एग्रीमेंट में 500 रुपए की जगह 1000 का स्टांप शुल्क, प्रॉपर्टी एग्रीमेंट पर 1000 से अब 5000 रुपए का स्टांप शुल्क
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भारतीय स्टांप (मध्यप्रदेश द्वितीय संशोधन विधेयक 2025) के विरोध में कांग्रेस
“जनता पर आर्थिक बोझ डाल रही है सरकार” – नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में मंगलवार को उस समय राजनीतिक गर्मी बढ़ गई, जब राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत भारतीय स्टांप मध्यप्रदेश द्वितीय संशोधन विधेयक 2025 का कड़ा विरोध करते हुए कांग्रेस विधायक दल ने सदन से वॉकआउट कर दिया। इस वॉकआउट का नेतृत्व नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने किया।
विधानसभा में नारेबाजी, परिसर में प्रदर्शन
विधेयक का विरोध करते हुए कांग्रेस विधायकों ने सदन से बाहर निकलते ही विधानसभा परिसर में जोरदार नारेबाजी की। उन्होंने इस संशोधन विधेयक को “जनविरोधी” और “आर्थिक रूप से बोझ बढ़ाने वाला” बताते हुए, इसे तुरंत वापस लेने की मांग की। कांग्रेस विधायकों ने हाथों में तख्तियाँ लेकर सरकार के खिलाफ नारे लगाए और इसे आम जनता के हितों के खिलाफ बताया।
क्या है विधेयक और क्यों है विरोध?
सरकार द्वारा लाया गया यह द्वितीय संशोधन विधेयक भारतीय स्टांप अधिनियम में कुछ प्रमुख परिवर्तन प्रस्तावित करता है, जिनके अंतर्गत स्टांप शुल्क दरों में संशोधन, नवीन शुल्क संरचनाएं और आर्थिक लेनदेन के दस्तावेजों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने जैसी व्यवस्थाएं शामिल हैं।
कांग्रेस का आरोप है कि इस संशोधन के माध्यम से सरकार घर, जमीन, ऋण व अन्य कानूनी दस्तावेजों पर अतिरिक्त शुल्क लगाकर जनता की जेब पर भार डालने का प्रयास कर रही है।
उमंग सिंघार ने सरकार को घेरा
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मीडिया से बातचीत में कहा:
“एक ओर सरकार विकास के दावे करती है, दूसरी ओर गरीब, किसान, व्यापारी और मध्यम वर्ग पर आर्थिक बोझ बढ़ा रही है। यह विधेयक आम नागरिकों से जुड़ी जरूरतों को महंगा और जटिल बना देगा। कांग्रेस इस जनविरोधी फैसले का हर स्तर पर विरोध करेगी।”
सरकार ने क्या कहा?
सरकार की ओर से वित्त मंत्री ने सदन में विधेयक का बचाव करते हुए कहा कि ये संशोधन राज्य के राजस्व संसाधनों को मजबूत करने, डिजिटल ट्रांजैक्शनों को ट्रैक करने और कानूनी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से लाए जा रहे हैं।
सरकार ने यह भी कहा कि इन बदलावों से आम नागरिकों को नहीं, बल्कि बड़ी लेनदेन करने वालों पर ही प्रभाव पड़ेगा।
राजनीतिक माहौल गरमाया
इस घटनाक्रम से विधानसभा का माहौल तीखा हो गया। विपक्ष ने जहां सरकार पर “जनता विरोधी नीतियाँ” अपनाने का आरोप लगाया, वहीं सत्तापक्ष ने कांग्रेस पर “गैर-जरूरी राजनीतिकरण” करने का पलटवार किया।
📌 विशेष टिप्पणी:
इस मुद्दे ने राज्य की राजनीति को एक बार फिर गरम कर दिया है। आगामी नगर निकाय और पंचायत चुनावों से पहले यह मामला राजनीतिक दलों के बीच जनमत संग्रह का आधार बन सकता है। विपक्ष जहां इसे जनता के हित से जोड़कर मुद्दा बना रहा है, वहीं सरकार इस विधेयक को राजकोषीय अनुशासन और राजस्व सुधार की दृष्टि से देख रही है।