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Harda News : रहटगांव तहसीलदार और नायब तहसीलदार मुख्यालय से नदारद, भटक रहे किसान

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जब तहसीलदार ही नही रहते मुख्यालय पर तो पटवारी और आरआई का क्या कहना !

 

प्रतिदिन टिमरनी से रहटगांव आने जाने में हो रहा समय और शासन की राशि का दुर्पयोग

 

हरदा । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के आदेश को ठेंगा दिखाते हरदा जिलें के रहटगांव तहसील में तहसीलदार और नायब तहसीलदार, जिनकी लापरवाही का खामियाजा आम जनता को भुगतना पढ़ रहा है क्योंकि यहा पर पदस्थ तहसीलदार श्वेता बम्होरे और नायब तहसीलदार रश्मि धुर्वे अपनी सुविधा को श्रेष्ठ रखते हुए टिमरनी में रहना पसंद करते है । जबकि इनका कार्यक्षेत्र राहटगांव तहसील है पर बहा निवास नहीं करती दोनो मैडम के द्वारा शासकीय वाहन की सुविधा लेते हुए किसानों और जनता के पैसों को डीजल पेट्रोल में बहाया जा रहा है जिसका कोई ओचित्य नही है । यदि वही मैडम के द्वारा मुख्यालय पर ही निवास किया जाता तो समय और पैसे दोनो की बचत होती और किसानों को अधिकारी का ज्यादा से ज्यादा समय मिल पाता परंतु विलासिता ने मैडम को पकड़ लिया है । तो आप ही हिसाब लगाइए कितनी राशि मासिक खर्च होती है जब सर्वे सर्वा की मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के आदेश की धज्जियां उड़ाते है तो फिर कोई पटवारी सीएम के आदेश को मानते होंगे, ज्यादा से ज्यादा किसान को फायदा हो उसके लिए शासन ने आदेश दिया की अधिकारी अपने मुख्यालय पर ही रहेंगे परंतु सरकारी आदेश को अपने फायदे के लिए कुचलना तो कोई इन अधिकारी से सीखें ।

क्या रहटगांव तहसीलदार, नायब तहसीलदार की तानाशाही ?

शासन के नियम अनुसार अधिकारी कर्मचारियों को अपने मुख्यालय पर रहना होता है लेकिन रहटगांव तहसील के यह आलम है की तहसीलदार श्वेता बम्होरे एवं नायब तहसीलदार रश्मि धुर्वे मुख्यालय पर नहीं रहती यह टिमरनी से आना जाना करती हे। टिमरनी से रहटगांव की दूरी लगभग 15 किलोमीटर है यहां से रोजाना आना जाना करती है रहटगांव तहसील क्षेत्र में सबसे ज्यादा ग्राम आदिवासी ग्राम है जो कि दूर दराज से अपने राजस्व के काम से रहटगांव तहसील कार्यालय आते हैं पर अधिकारियों के न मिलने के कारण कई घंटे उन्हें इंतजार भी करना पड़ता है और कभी-कभी स्थित है बनती है कि उन्हें वापस भी लोटना पड़ता है ग्रामीण भूरा, कोडुमल मोटू ने यह भी बताया कि खेती किसानी से संबंधित काम के लिए हमें तहसील कार्यालय आना पड़ता है लेकिन अधिकारियों के न होने के कारण हमें परेशानियों का सामना करना पड़ता है कभी कभी तो हमें रोटी भी साथ में लाना पड़ता हे क्योंकि जंगल में बस समय समय पर चलती तो हमें कभी बस नही मिलती तो कभी हमें कई किलोमीटर पैदल ही चलना पड़ता है ।

 

*मैडम अधिकारी मस्त और जनता त्रस्त*

 

हरदा जिलें में इन बेलगाम अधिकारियों के कारण ग्रामीणों को भी परेशान होना पड़ रहा है जिला के उच्च अधिकारियों और स्थानीय नेताओं की साट गाट होने के कारण इनका कोई कुछ नहीं कर सकता हमेशा की तरह आम जनता को ही परेशान होना पड़ता है क्योंकि अब लोकसभा चुनाव भी पास में आ गया है तो कई प्रकार की क्षेत्र में समस्याएं भी रहती है जो कि इन अधिकारियों के मुख्यालय पर नहीं रहने के कारण आम पब्लिक को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है? राजस्व से जुड़े मामले में मुख्यमंत्री का ध्यान होने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्र में पदस्थ अधिकारी अपनी मनमर्जी चलाते हुए शासन के दिशा निर्देश को ठेंगा दिखाते है और वही दूर दराज से मुख्यालय आने वाले किसानों को परेशानी का सामना करना पढ़ता है ।

 

इनका कहना है ।

 

शासन के पूर्व से ही दिशा निर्देश हे की मुख्यालय पर रहना चाहिए लापरवाही बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी आपके द्वारा जानकारी लगी हे में दीखबाता हूं।

आदित्य सिंह कलेक्टर हरदा

 

इस संबंध में रहटगांव तहसीलदार से फोन पर संपर्क करना चाहा पर उन्होंने फोन नहीं रीसीब कीया।

श्वेता बम्होरे तहसीलदार रहटगांव

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