Breaking News in Primes

लंबा अरसा गुजरने के बाद भी नहीं हो सका रैन-बसेरा निर्माण

0 176

लंबा अरसा गुजरने के बाद भी नहीं हो सका रैन-बसेरा निर्माण

रायसेन।//18 दिसंबर 2023

*दैनिक प्राईम संदेश जिला* *ब्यूरो चीफ राजू बैरागी जिला *रायसेन*

 

कड़ाके की ठंड में बेसहारों को यहां वहां भटककर गुजारने पड़ रहे दिन।। सांची जिला रायसेन

 

वैसे तो यह स्थल विश्व विख्यात पर्यटक स्थल कहा जाता है तथा इस स्थल पर बेसहारा निराश्रितों भीख मांगकर अपना पेट भरने वालों को रैन बसेरा निर्माण शुरू होते ही उम्मीद जगी थी कि अब उन्हें एक ठिकाना मिल जायेगा परन्तु लंबा अरसा गुजरने के बाद भी रैन बसेरा निर्माण अधूरा ही पड़ा रहा गया जिससे इन बेसहारा लोगों के अरमानों पर पानी फिर गया । तथा यह लोग इस कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे अपनी गुजर-बसर करने पर मजबूर हो चुके हैं ।

जानकारी के अनुसार नगर में बेसहारा निराश्रितों एवं इस स्थल पर आने वालों के लिए नगर परिषद प्रशासन ने रैन-बसेरा निर्माण शुरू कराया था तथा तब ऐसा लगता था कि यह रैन-बसेरा निर्माण जल्द ही पूरा हो जाएगा तथा रैन-बसेरा निर्माण में गरीब गुमठी धारी जो रोज कमा कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे रैन-बसेरा के नाम पर उनकी दुकानदारी चौपट करते हुए तोड़ फोड़ कर डाली परन्तु रैन-बसेरा निर्माण की नींव ही भर पाई थी कि निर्माण एजेंसी लापता हो गई तब इस रैन-बसेरा को गंदगी ने अपनी चपेट में ले लिया एवं यहां पूर्व से ही एक ट्यूब वेल लगा हुआ है जिससे नगर में पेयजलापूर्ति सुचारू बनाईं जाती है परन्तु इस ट्यूबवेल को भी गंदगी ने अपनी जकड़ में जकड़ लिया तथा लोगों ने इस रैन-बसेरा एवं ट्यूबवेल स्थल को मूत्रालय का रूप दे दिया तथा गंदगी भरे ट्यूबवेल से ही नगर वासियों को गंदगी भरा पेयजलापूर्ति व्यवस्था जुटाई जाती रही इस न तो गंदगी की ओर न ही ट्यृववैल की ही नगर परिषद प्रशासन को सुध लेने की फुर्सत मिल सकी तथा बेसहारों को भी ठिकाना नहीं मिल सका हालांकि इस स्थल पर निराश्रितों के साथ ही बेसहारा लोगों का जमावड़ा लगा रहता है तथा वह यहां वहां भटककर लोगों से भीख मांग कर अपने पेट भरने की व्यवस्था जुटा पाते हैं परन्तु नगर परिषद प्रशासन को सुध लेने की फुर्सत नहीं मिल सकी । वैसे इन दिनों नगर को कड़ाके की ठंड ने अपनी आगोश में जकड़ लिया है तथा जहां लोग अपने घरों में आग जला कर एवं ऊनी कपड़े एवं अपने घरों में रहकर ठंड से बचाव करते दिखाई देते हैं तो दूसरी ओर बेसहारा निराश्रितों को इस कड़ाके की ठंड में भी खुले आसमान के नीचे न तो आग का ही सहारा होता है न ही गर्म कपड़ों की ही पूर्ति हो पाती है तब फटे चिथड़े बिछाए एवं ओढ़ कर अपनी जिंदगी फुटपाथ एवं खुले खंडहर पड़े यात्री प्रतीक्षालय में सोकर गुजारते हुए आसानी

 

से देखा जा सकता है जिससे इस भयावह कड़कती ठंड से जीवन लीला का भी समाप्त होने से इंकार नहीं किया जा सकता परन्तु इनकी सुध लेने वाला कोई दिखाई नहीं देता तथा ऐसे लोगों के लिए ही निर्मित होने वाला रैन-बसेरा निर्माण भी सालों से अधूरा रहकर दिखावा साबित हो चुका है । हालांकि इस रैन-बसेरा के घटिया निर्माण पर भी सवालिया प्रश्न खड़े हो चुके हैं इस अधूरे रैन-बसेरा निर्माण की न तो नप प्रशासन न ही जिला प्रशासन को ही सुध लेने की फुर्सत मिल सकी है अब जब न ई सरकार ने कमान संभाली तबसे ही लोगों को उम्मीद जगी दिखाई देने लगी है परन्तु जिम्मेदार मुंह मोड़ कर चुप्पी साधे हुए हैं खुले आसमान के नीचे जिंदगी गुजारने वालों को कब रैन-बसेरा की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी कहना मुश्किल दिखाई देता है बहरहाल निराश्रितों बेसहारों को अभी भी रैन-बसेरा निर्माण की आस लगी हुई है जिससे उन्हें खुले आसमान के नीचे जिंदगी गुजारने से छुटकारा मिल सकेगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

Don`t copy text!