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भूख हड़ताल के 31वें दिन आदिवासी चौपाल का फैसला, नहीं करेंगे मतदान।

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भूख हड़ताल के 31वें दिन आदिवासी चौपाल का फैसला, नहीं करेंगे मतदान।

आदिवासी के पास जमीन है तो सब कुछ है जमीन नहीं तो कुछ भी नहीं-उमेश तिवारी।

 

राजेश सिंह गहरवार सीधी

 

टोंको-रोंको-ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा के अगुवाई में मझौली उपखंड के ग्राम मूसामूड़ी में भूमि अधीग्रहण को निरस्त करने तथा भूमि अधिग्रहण में धोखाधड़ी के दोषियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण कायम किए जाने हेतु 18 सितंबर से पीड़ित आदिवासी किसानों द्वारा अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की जा रही है। किसानों की हड़ताल को जिला प्रशासन के अनदेखी करने से आज दिनांक 18 अक्टूबर 2023 को भूख हड़ताल के 31वें दिन आदिवासी चौपाल का आयोजन किया गया। चौपाल को संबोधित करते हुए क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने कहा कि आदिवासियों के पास जमीन है तो सब कुछ है जमीन नहीं है तो कुछ नहीं है। आर्य पॉवर कंपनी के लिए उनकी जमीन दे दी जाएगी तो इनका वजूद मिट जाएगा जमीन आदिवासी के पहचान का जरिया भर नहीं है मान सम्मान का साधन भी होती है। आदिवासी का जींस मेहनतकस का है वह व्यावसायिक मानसिकता का नहीं है आदिवासी की जमीन लेकर मुआवजा कितना भी दे दिया जाए कुछ दिन में वह फकीर हो जाता है। आदिवासी के संघर्ष की अनदेखी करते हुए जिला प्रशासन चिरनिद्रा में चला गया है। आदिवासी चौपाल को संबोधित करते हुए मार्क्सवादी रेडस्टार के राज्य सचिव का. बद्री मिश्रा ने कहा कि हम भुमका मूसामूड़ी के आदिवासियों को क्रांतिकारी सलाम करता हूं क्योंकि यहां का आदिवासी जमीन की लड़ाई लड़ रहा है मुआवजे की नहीं। आदिवासी का सुनहरा इतिहास है उनके पुरखे अंग्रेजों से भी लड़कर अपनी जमीन बचाए हैं। चौपाल को संबोधित करते हुए जनपद सीधी के पूर्व उपाध्यक्ष प्रभात वर्मा ने कहा कि यह लड़ाई 12 साल से चल रही है आप सब लड़ रहे हैं संघर्ष के दौर में कई मोड़ आए हैं कई तरह की बाधाएं आई है उनसे मुकाबला करते चले आ रहे हैं यह संघर्ष जमीन वापसी तक चलता रहे। चौपाल को संबोधित करते हुए आरएमपी मिश्रा अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के जिला सचिव ने कहा कि आप लोग जब से अधिग्रहण हुआ है तभी से लड़ रहे हैं इस लंबी लड़ाई के बाद से आपको अपने पराये की पहचान हो गई होगी समझ चुके होंगे कि आपका जन प्रतिनिधि आपकी जमीन लूट को रोकने में आपके साथ है कि नही विश्वास घात करने वालो की पहचान कर आप इसी एकता के साथ लगातार संघर्ष को जारी रखें। दुनिया का इतिहास है कि बिना लड़े कुछ नहीं मिला है सरकारें उद्योगपतियों की गुलाम होती हैं। चौपाल को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय क्रांतिकारी महिला संगठन की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उर्मिला रावत ने कहा कि धरती को माता नहीं मानेंगे तो चली जाएगी माता मानकर लड़ाई लड़ें। अधिग्रहण वहीं हो रहा है जहां आदिवासी है ऐसा इसलिए की आदिवासी को कमजोर माना जा रहा है। आदिवासी की जमीन लूटने का कारण यह भी है कि पुरखों की जमीन को उसका आज भी पट्टा नहीं दिया गया है।

चौपाल को सरोज सिंह, शिवकुमार सिंह, अमोल सिंह, लालदेव सिंह, दलप्रताप बैगा, शिवकुमार कुशवाहा, राजेश कुशवाहा, विजय बहादुर सिंह ने भी संबोधित किया।

 

आदिवासी चौपाल में मतदान न करने का फैसला

चौपाल में आदिवासी किसानों ने चर्चा में कहा कि लोकतंत्र में लोगों के मौलिक अधिकार और स्वतंत्रता की रक्षा होनी चाहिए परंतु चिंता की बात है की सीधी जिले का प्रशासन ऐसा नहीं कर रहा है। नागरिक चुनाव में सक्रिय रूप से भाग लेकर यह सुनिश्चित करते हैं कि उनकी आवाज सुनी जाए, बोलने और समानता स्वतंत्रता के अधिकारों की रक्षा की जाए। जमीन लूट के खिलाफ मूसामूड़ी भुमका के आदिवासी किसानों का संघर्ष 2011 से चल रहा है सरकार और जिला प्रशासन द्वारा अनदेखी की जा रही है इस कारण भुमका और मूसामूड़ी के मतदाताओं का निर्णय है कि हम मतदाता 17 नवंबर 2023 के विधानसभा निर्वाचन के मतदान का बहिष्कार करेंगे और वोट डालने पोलिंग बूथ पर नहीं जाएंगे। आदिवासी चौपाल में यह भी निर्णय किया गया की 18 सितंबर 2023 से जारी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल आज 18 अक्टूबर2023 से स्थगित की जाती है विधानसभा चुनाव के बाद पुनः शुरू की जाएगी।

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