जन की बर्बादी को रोकने के लिए “रघुराज पीपल मैन फाउंडेशन” ने “प्रयास एक आशा ट्रस्ट” के संचालन में गाज़ियाबाद में चलाया जनजागरूकता अभियान
जन की बर्बादी को रोकने के लिए “रघुराज पीपल मैन फाउंडेशन” ने “प्रयास एक आशा ट्रस्ट” के संचालन में गाज़ियाबाद में चलाया जनजागरूकता अभियान
“थाली में भोजन उतना ही ले जितना आप खा सकें।पैसे जरूर आपके हैं संसाधन सभी के हैं।” अभियान के शुत्राधार,दूर दृस्टि विजन की सोच रखने वाले “रघुराज पीपल मैन फाउंडेशन” के संस्थापक: पीपल मैन डॉ. रघुराज प्रताप सिंह पर्यावरणविद् और फाउंडेशन के सदस्य श्री सिकंदर कुमार जौनपुर उत्तर प्रदेश, धर्मेंद्र कुमार पटेल प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश ने “प्रयास एक आशा ट्रस्ट ” की संस्थापक श्रीमती जयश्री सिन्हा पर्यावरणविद सामाजिक कार्यकर्ता,श्री सुनील सिन्हा जी के संचालन में भोजन की बर्बादी को रोकने के लिए गाज़ियाबाद उत्तर प्रदेश के लगभग 70-80 रेस्टोरेंट, होटलों, डाबों में पम्पलेट लगाकर कर होटल के मालिकों और कर्मचारियों के साथ रेस्टोरेंट, होटलों में उपस्थित नागरिकों को भोजन ना बर्बाद करने की संकल्प के साथ उनको जागरूक किया साथ ही पम्पलेट लगाकर कर अन्य लोगों को जागरूक करने के लिए भी आग्रह किया क्योंकि संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार, कम से कम 828 मिलियन लोग – या दुनिया की आबादी का 10 प्रतिशत – हर रात भूखे सोते हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 46 मिलियन अधिक है। वही स्थिति भारत की हैं की जिनके पास सांसधान हैं उनके लिए तो पर्याप्त भोजन उपलब्ध हैं ।
लेकिन आज भी भारत की कई रिपोर्ट्स के अनुसार लोगों को पर्याप्त पोष्टीक भोजन की उपलब्धता नहीं हैं इसी को देखते हुए पीपल मैन डॉ. रघुराज पिछले कुछ सालों से मानवता के हित के लिए भोजन, और किसान, राष्ट्र के सम्मान के लिए लोगों को भोजन ना बर्बाद करने का संकल्प दिलाते हैं और पम्पलेट के माध्यम से नागरिकों के साथ स्कूल, कॉलेज, रेस्टोरेंट में बैबिनार कर जागरूक कर रहें हैं जिनकी प्रेरणा से आज यह अभियान पुरे भारत में धीरे धीरे एक जनजागृति का माध्यम और भोजन ना बर्बाद करने की क्रांति बनता चला जा जा हैं जरुरत हैं ।
आप सबके सहयोग की तो आइये शपथ लेते हैं की हम ” उतना ही लेंगे भोजन थाली में जितना हम खा सकेंगें, क्योंकि पैसे जरूर हमारे हैं लेकिन सांसधान सभी के हैं यानि आने वाली पीढ़ी के भी हैं क्योंकि जो भी हमें प्रकृति से मुफ्त में मिल रहा हैं वह सिमित हैं इसलिए हमें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना होगा तभी राष्ट्र महान बनेगा और विश्व, राष्ट्र और हमारे गाँव, और हमारे पड़ोस में कोई भी भूखा नहीं सोयेगा ना ही भूख से मरेगा हम यह संकल्प लेते हैं।