News By- हिमांशु उपाध्याय / नितिन केसरवानी
कौशाम्बी: जिलाधिकारी मधुसूदन हुल्गी ने पराली प्रबंधन जन-जागरूकता वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
उप कृषि निदेशक सतेन्द्र तिवारी ने कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के अनुसार फसल अवशेष जलाया जाना एक दण्डनीय अपराध है। राजस्व विभाग द्वारा पर्यावरण को हो रहे क्षतिपूर्ति की वसूली के निर्देश दिये गये हैं। इसमें 02 एकड़ से कम क्षेत्र के लिए रुपए-2500, 02 से 05 एकड़ क्षेत्र के लिए रुपए-5000 तथा 05 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए रुपए-15000 तक पर्यावरण कम्पन्सेशन की वसूली के निर्देश हैं। कृषकों से आवाहन किया कि फसल अवशेष प्रबन्धन यंत्र का उपयोग अवश्य किया जाय,जिससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। कोई भी कृषक अपने खेत की पराली न जलायें, पराली गौशाला में देकर गोबर की खाद मुफ्त में प्राप्त करें।