खंटी मौदी दहमेड़ी भीमकुंडी में फल-फूल रहा जुए का अड्डा, अनिल खुलेआम प्रशासन को दे रहा चुनौती
देखिए खबर प्रशासन बना मूकदर्शक मैनेजमेंट सेट की खुलेआम चर्चा
खंटी मौदी दहमेड़ी भीमकुंडी में फल-फूल रहा जुए का अड्डा, अनिल खुलेआम प्रशासन को दे रहा चुनौती
अनूपपुर::अमरकंटक थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले खंटी मौदी दहमेड़ी भीमकुंडी गांव में इन दिनों एक ऐसा जुए का अड्डा संचालित हो रहा है, जो न सिर्फ कानून व्यवस्था को चुनौती दे रहा है, बल्कि पूरे क्षेत्र में सामाजिक पतन का कारण बनता जा रहा है। धरहर निवासी अनिल द्वारा संचालित यह अवैध फड़, अब एक संगठित अपराध का रूप ले चुका है, जो लाखों के दांव के साथ जिले और प्रदेश के कुख्यात बुकी नेटवर्क से जुड़ चुका है।
हर दिन लगते हैं लाखों के दांव, डिंडोरी-बिछिया से पहुंचते हैं बुकी
स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस फड़ में हर दिन लाखों रुपये का सट्टा खेला जा रहा है। डिंडोरी और बिछिया जैसे इलाकों से नामी बुकी इस अड्डे का हिस्सा बन चुके हैं। अनिल के इशारे पर संचालित यह खेल गांव के युवाओं को तेज़ी से जुए की लत में धकेल रहा है।
बताया जा रहा है कि डिंडोरी का एक कुख्यात बुकी इस फड़ का स्थायी सदस्य बन चुका है, जो बिछिया के प्रभावशाली जुआरियों के साथ मिलकर पूरे नेटवर्क को संभाल रहा है।
प्रशासन बना मूकदर्शक, ‘मैनेजमेंट सेट’ की खुलेआम चर्चा
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह अवैध धंधा प्रशासनिक संरक्षण के बिना संभव नहीं है। गांव में यह बात आम हो चुकी है कि “मैनेजमेंट सेट है, कुछ नहीं होगा।”
पुलिस और प्रशासन की चुप्पी, अनिल और उसके गुर्गों के हौसले बुलंद कर रही है। सवाल यह उठता है कि क्या वाकई यह लापरवाही है या किसी सत्तारूढ़ दल के पदाधिकारी का राजनीतिक संरक्षण?
युवाओं का भविष्य खतरे में, गांव में असुरक्षा का माहौल
गांव के लोगों की मानें तो यह फड़ अब सिर्फ अवैध जुआ नहीं, बल्कि एक संगठित आपराधिक नेटवर्क का अड्डा बन चुका है। युवाओं को लालच देकर इसमें उतारा जा रहा है, जिससे उनके शिक्षा और भविष्य पर गहरा असर पड़ रहा है।
ग्रामीणों में डर, असुरक्षा और तनाव का माहौल है। महिलाएं और बुजुर्ग इस बात से चिंतित हैं कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो गांव पूरी तरह अपराध की गिरफ्त में चला जाएगा।
‘जुए का गढ़’ बनता जा रहा खंटी मौदी दहमेड़ी भीमकुंडी
स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि लोग अब खंटी मौदी दहमेड़ी भीमकुंडी को ‘जुए का गढ़’ कहने लगे हैं। अनिल द्वारा चलाया जा रहा यह जुआ साम्राज्य, प्रशासन की निष्क्रियता का फायदा उठाकर आसपास के क्षेत्रों में भी अपने पैर पसार रहा है।
राजनीतिक संरक्षण की आशंका, सत्ताधारी दल पर सवाल
सूत्रों की मानें तो इस पूरे फड़ के संचालन में सत्ताधारी पार्टी के एक प्रभावशाली पदाधिकारी के खास व्यक्ति का नाम भी सामने आ रहा है। आरोप है कि वह राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर इस धंधे को बचाव प्रदान कर रहा है।
यदि यह सच है, तो मंचों से अवैध कारोबार पर विराम की बातें करने वाले बड़े नेताओं की साख पर प्रश्नचिन्ह लगना स्वाभाविक है।
ग्रामीणों की चेतावनी: कार्रवाई नहीं हुई तो हालात होंगे बेकाबू
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि यदि इस जुए के अड्डे को जल्द बंद नहीं किया गया, तो गांव पूरी तरह अपराध की गिरफ्त में आ जाएगा और आने वाली पीढ़ी का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।
यह केवल एक स्थानीय अवैध धंधा नहीं है, बल्कि एक गंभीर सामाजिक चेतावनी है। यदि समय रहते प्रशासन ने कठोर कदम नहीं उठाए, तो यह नेटवर्क आसपास के इलाकों को भी अपने शिकंजे में ले लेगा।
अब वक्त आ गया है कि प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाए और किसी भी प्रकार के राजनीतिक दबाव या संरक्षण को दरकिनार करते हुए निर्भीक कार्रवाई करे।