बड़ी खबर::स्कूलों में सोमवार भी ताले लटके मिले
स्कूलों में नहीं पहुंच रहे हैं शिक्षक, ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकतर स्कूलों के भी यही हाल
*झिरन्या। खरगोन*
*संवाददाता दिलीप बामनिया*
*कई स्कूलों में सोमवार को ताले लटके मिले*
*स्कूलों में नहीं पहुंच रहे हैं शिक्षक, ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकतर स्कूलों के भी यही हाल*
खरगोन जिले के झिरनिया क्षेत्र में जिले में शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत चौंकाने वाली है। शासकीय स्कूलों में शिक्षकों का ग्रीष्मकालीन अवकाश 1 जुन से समाप्त हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद झिरन्या क्षेत्र की कई स्कूलों में सोमवार को ताले लटके हुए मिले। यह नजारा न केवल शिक्षा विभाग की निष्क्रियता को उजागर करता है, बल्कि शिक्षको की मनमानी और गैरजिम्मेदार रवैये का भी खुला प्रमाण है। प्राईम टीवी न्यूज चैनल की टीम द्वारा सोमवार को झिरनिया क्षेत्र की विभिन्न स्कूलों का औचक निरीक्षण किया गया। इस दौरान, कोटबैडा संकुल के अंतर्गत आनेवाले वाली शासकीय माध्यमिक शाला धुपा शासकीय प्राथमिक शाला , मलगांव कोंटा, काकोड़ा, मांझल । जैसे स्कूलों में ताडे लगे मिल। जब स्पष्ट रूप से आदेश है कि शिक्षकों को प्रतिदिन सुबह 10.30 बजे से शाम 4.30 बजे तक स्कूल में उपस्थित रहकर प्रशासनिक व शैक्षणिक कार्य करना हैए तब भी शिक्षकों की अनुपस्थिति गंभीर चिंता का विषय है यह न केवल विभागीय आदेशों की अवहेलना है, बल्कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम की भावना के भी ख़िलाफ़ हैं। शिक्षकों की गैरहाजिरी से सबसे बड़ा नुक़सान उन नौनिहालों का हो रहा है, जिनका भविष्य इन स्कूलों में आकार लेता है। विद्यालयों में ताडे लटके होना यह दर्शाता है कि ना तो शिक्षकों को प्रशासन का डर है और न ही बच्चों कि शिक्षा की कोई परवाह। जिला शिक्षा विभाग ने प्रत्येक स्कूल की निगरानी के लिए जनशिक्षकों की नियुक्ति कर रखी है, ताकि प्रति दिन निरीक्षण कर रिपोर्ट जिला शिक्षा केन्द्र को सौंपी जा सके। लेकिन स्थिति यह है न तो
*शिक्षा विभाग में लापरवाही उजागर*
अब सवाल यह उठता है आखिर इस लापरवाही के जिम्मेदारो पर कब गिरेंगी गाज। क्या शिक्षा विभाग सिर्फ कागजों में सख्त है। या वास्तव में कोई ठोस कार्रवाई भी की जाएगी। अगर यही हाल रहा तो ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों की शिक्षा सिर्फ एक मज़ाक बनकर रह जाएंगी शिक्षाको की लापरवाही जनशिक्षकों की निष्क्रियता और विभाग की चुप्पी मिलकर शिक्षा व्यवस्था की जड़ो को खोखला कर रही है। जरुरत है कि अब जिला कलेक्टर और शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी स्वयं फील्ड में उतरे और ऐसे गैरजिम्मेदार शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई करे। वरना स्कूलों में ताले लटके रहेंगे और बच्चों का भाविष्य अंधेरें में डुबता रहेंगे
जनशिक्षक जिम्मेदारी निभा रहे और न ही उच्च अधिकारी इन खामियों पर कोई कठोर कदम उठा रहे हैं। जब निरीक्षण की ही व्यवस्था दम तोड चुकीं हो तब निचे के स्तर पर जवाबदेही की उम्मीद करना बैमानी है।
*झिरन्या से संवाददाता दिलीप बामनिया कि रिपोर्ट*