News By-नितिन केसरवानी
कौशाम्बी। समाजवादी पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को कौशाम्बी पुलिस अधीक्षक से मंझनपुर पुलिस कार्यालय में मुलाकात कर सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर भेदभावपूर्ण कार्यवाही के आरोपों से संबंधित ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि सत्तापक्ष और विपक्ष के लिए दोहरे मानक अपनाए जा रहे हैं, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है।
ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि बीते कुछ महीनों में सपा कार्यकर्ताओं पर मंझनपुर, संदीपनघाट और चरवा थानों में सोशल मीडिया टिप्पणियों को लेकर एफआईआर दर्ज की गई हैं। वहीं दूसरी ओर सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं द्वारा समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ की जा रही आपत्तिजनक टिप्पणियों पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
प्रतिनिधिमंडल ने यह भी आरोप लगाया कि 18 अप्रैल को सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो, जिसकी सत्यता की पुष्टि नहीं की गई थी, के आधार पर सपा के दो कार्यकर्ताओं, दो पत्रकारों और 10-15 अज्ञात लोगों पर साइबर क्राइम थाना मंझनपुर में एफआईआर दर्ज की गई। यह कार्रवाई पूरी तरह से सत्तापक्ष के दबाव में की गई है और इसे उत्पीड़न की संज्ञा दी गई है।
सपा जिलाध्यक्ष दया शंकर यादव ने कहा, यह लोकतंत्र की हत्या है। अभिव्यक्ति की आजादी सभी का अधिकार है, लेकिन सत्तापक्ष के दबाव में प्रशासन चुनिंदा कार्रवाई कर रहा है।
वहीं प्रयागराज के एमएलसी डॉ. मानसिंह यादव ने कहा, अगर जल्द ही इस उत्पीड़न को बंद नहीं किया गया तो समाजवादी पार्टी जिलेभर में व्यापक धरना-प्रदर्शन और आंदोलन करेगी। हम न्याय की मांग को लेकर सड़क से सदन तक आवाज उठाएंगे।
प्रतिनिधिमंडल ने निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए स्पष्ट किया कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो पार्टी आंदोलन के लिए बाध्य होगी। इस मौके पर दीपक दर्जी, आफताब शेख, मोहम्मद फैजान, राम गुलाब यादव समेत दर्जनों की संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे।