सांसों और नाम के बीच की यात्रा को जीवन कहते हैं-बापूजी
राजू पटेल कसरावद(खरगोन)
कसरावद तहसील क्षेत्र के
अयोध्या धाम बैरागढ़ ग्राम लेपा पुनर्वास में 9 दिवसीय श्रीराम कथा हो रही हे कथा के छठे दिन रविवार को सद्गुरु श्री दिनेशानंद जी बापू ने कहा कि सेवा और त्याग दैविक गुण है जो समाज में मनुष्य के मूल्य अथवा उपयोगिता का निर्धारण करता है,जिस मनुष्य के जीवन में सेवा और त्याग है वही मनुष्य समाज में मूल्यवान भी हे,जीवन में हमेशा प्रशंसक बनने का प्रयत्न करें, निंदक नहीं क्योंकि प्रशंसा हमेशा सकारात्मक ऊर्जा को जन्म देती है और निंदा हमेशा नकारात्मक सोच की ओर ले जाती है, दुख का कारण श्रेष्ठ कर्म का अभाव और सुख का कारण श्रेष्ठ कर्मों का प्रभाव होता है,श्रीराम कथा के छठे दिवस पूज्य बापूजी ने कथा प्रसंगो के माध्यम से कहा कि संत, असंत और भगवंत यह तीन प्रकार के संत होते हे,संत मिलते हैं तो सत्संग की प्राप्ति होती है और सत्संग से ही भगवंत की प्राप्ति होती है जिसका बचपन सुधर गया उसकी जवानी सुधर जाएगी और जिसकी जवानी सुधर गई उसका बुढ़ापा सुधर जाएगा,अपनी वाणी और संस्कार आपके जीवन का भूत,भविष्य और वर्तमान खोल देते है,बापू जी ने कहा कि सत्य के समान कोई धर्म नहीं और झूठ के समान कोई पाप नहीं,सुख मन के भीतर की संपदा है जो धन से नहीं धैर्य और संतोष से प्राप्त होता है मनुष्य अहंकार और गलतफेमी के कारण महत्वपूर्ण चीजों से दूर रहता है,गलतफहमियां सच नहीं बताती और अहंकार सत्य को देखने नहीं देता,परीक्षा अकेले में होती हे लेकिन उसका परिणाम सबके सामने होता हे इस लिए कोई भी कर्म करने से पहले परिणाम पर जरूर विचार करें,संबंध बड़ी-बड़ी बातें करने से नहीं पर छोटे-छोटे भाव समझने से दृढ़ होते हैं आज की राम कथा हमें यही संदेश देती है की गंगा स्नान शरीर को शुद्ध करता है और श्रीराम कथा हमें अपने दोषों से भली भांति अवगत कराती है क्योंकि जरूरतें और नींद जिंदगी में कभी पूरी नहीं होती जन्म के समय नाम नहीं होता मात्र सांसे होती है और मृत्यु के समय नाम तो होता है पर सांसे नहीं होती इन्हीं सांसों और नाम के बीच की यात्रा को जीवन कहते हैं