Breaking News in Primes

चाय और साहब की जुगलबंदी

0 437

चाय और साहब की जुगलबंदी

 

सुबह, दोपहर, और फिर शाम सच में दवा सी जरुरी है चाय

 

भोपाल से अमित सेन / 80856 61177

Bhopal/भोपाल शहर अपनी खासियतों के लिए मशहूर है जैसे झीलों की नगरी, तालाबों का शहर, अनगिनत पार्कों का शहर, भोपालीयों का शहर भोपाल, पान के शौकीनो का शहर, रातों को जागने वाला शहर और सबसे ज्यादा मशहूर _चाय की चुस्कीयों का शहर भोपाल

आप किसी भी भोपाली को पूछ लो क्यों खा चाय हो जाए फिर मिया मना करें सवाल ही पैदा नहीं होता । इसी से शुरुआत होती है *चाय मेरे इश्क की* और ऐसे शख्सियत की जो बोलते है जय श्री महाकाल भाई चाय हो जाए । जो भोपाल की खासियतों के तौर पर शुमार है ।

 

हम बात कर रहें है भोपाल के वरिष्ठतम पत्रकारों में से एक, जांबाज, निडर, निष्पक्ष और अपनी बातों पर अडिग रहने, एक समाचार या लेख से शासन, प्रशासन की आँखें खोल देने वाले, चाय के जबरा फैन, परिवार से लेकर जिंदादिली दोस्ती यारी निभाने वाले मेरे बड़े भाई श्री भारत भूषण विश्वकर्मा जी की जिनका आज पृथ्वी अवतरण दिवस है ! इनके बारें में लिखूं तो इंटरनेट पर स्पेस खत्म हो जाए जो सिर्फ रिश्ते निभाने में विश्वास रखते हैं फिर भी एक किस्सा है मेरी और उनकी पहली मुलाकात का तो चलिए शुरू करते है।  

 

यह बहुत ही यादगार और आपके लिए सुनना बेहद ही जरुरी है बात है उन दिनों की जब मैं नई नई पत्रकारिता की सीढ़ी चढ़ना शुरू कर रहा था, राजधानी भोपाल के एक वरिष्ठ पत्रकार जिनके बारे में मैंने कई लोगों से सुना और जाना था जिनसे भोपाल के एक पुलिसया वरिष्ठ अधिकारी के कहने पर मेरी उनसे पहली मुलाक़ात एक रेस्टोरेंट में हुई ! आते ही बातें जय श्री महाँकाल से शुरू होकर एक दूसरे को जानने तक पहुंची और चाय की अंतिम चुस्कीयों पर आकर खत्म होकर अगले पढ़ाव के लिए शुरू हों गई वहीं वो पहली मुलाक़ात भी बहुत यादगार थीं और उस पहली मुलाक़ात से शुरू हुई दोस्ती दिन ब दिन और गहरी होती गई और मेरी पत्रकारिता उनके मार्गदर्शन में निरंतर निखरती और बड़ती चली गई !

 

वहीं सिखाने की ललक इतनी की अ से ज्ञानी बना दें मगर सीखने वाले की कैफ़ीयत अनुसार ही वो ग्रहण कर सकता है मगर फिर भी उन्होंने पत्रकार होने के साथ-साथ एक अच्छा इंसान कैसे बनता है, समाज को किस नजरिए से देखना है तो क्या वर्षों पहले रेस्टोरेंट से चालू हुई मेरी पाठशाला आज भी चल रही जिसके गुरु को आप सब जानते ही है । जिन्होंने सिखाया कि “जिंदगी के हर के मोड़ पर ऐसी कोई समस्या नहीं बेटा जो चाय से बड़ी हो जाए या चाय के माध्यम से खत्म न हो जाए” इसलिए जीवन में समस्याओं से डरना नहीं, झिझकना नही, लड़ना आना चाहिए समस्या चाहें जितनी भी बड़ी हों हल तो चाय से निकला जा सकता है इसलिए वो कहते है *चाय मेरा इश्क, चाय मेरी जान*

 

आज उनके ही ख़ास जन्मदिन के अवसर पर उनको मेरी और से समर्पित श्री भारत भूषण विश्वकर्मा जी को जन्मदिवस की अनंत-अनंत शुभकामनायें एवं ढेरों बधाई !

 

बाबा महाकाल महाराजा की दया आप पर हमेशा बनी रहे आप हमेशा स्वास्थ्य एवं मस्त बने रहे !

 

वहीं पहली मुलाक़ात से शुरू हुई दोस्ती आज भी *_चाय_मेरा_इश्क़_* की तरह बरकरार है !

Leave A Reply

Your email address will not be published.

Don`t copy text!