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अमानक मिठाइयों की जमकर हुई खरीदी बीमारी फैलाने की संभावना।

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अमानक मिठाइयों की जमकर हुई खरीदी बीमारी फैलाने की संभावना।

 

जिम्मेदार खाद्य विभाग अपनी जिम्मेदारियां का कर रखा है नजर अंदाज।

*अरविंद सिंह परिहार सीधी*

 

भाई बहन के पवित्र पावन पर्व रक्षाबंधन के अवसर पर जिले भर के साथ उपखंड क्षेत्रों में भी मिलावटी अपमिश्रित खोबे की केमिकल युक्त मिठाइयों से बड़े प्रतिष्ठान सजाए गए हैं जहां दूर दराज से पहुंचे लोगों द्वारा भारी मात्रा में इन मिठाइयों की खरीदी किया जाना देखा गया है। कई दिनों की मिलावटी खोवे एवं केमिकल युक्त खरीदी गई मिठाईयां खाने से बीमारी फैलने की संभावना से नकारा नहीं जा सकता। वही बाहरी बड़े प्रतिष्ठानों के केमिकल युक्त सुंदर मिठाइयां क्षेत्र के छोटे देसी खोवे से मिठाइयां बनाने वाले व्यवसायों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। एक तरफ जहां अपमिश्रित खोबे के अच्छी दिखने के लिए भारी मात्रा में केमिकल प्रयोग कर बनाई गई मिठाई बिक्री कर लोगों के जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है वही मनमानी पूर्वक बिना रेट निर्धारित ज्यादा राशि भी प्रतिष्ठान संचालकों द्वारा खरीदारों से बिना बिल दिए लूटी जा रही है।दसक पूर्व की माने तो ऐसे मौके पर एक दिन पूर्व खाद्य विभाग द्वारा प्रतिष्ठानों की जांच कर सेंपलिंग ली जांच उपरांत कार्यवाही की जाती थी साथ ही खुले में रख खाद्य पदार्थ बिक्री किए जाने पर प्रतिष्ठान संचालक के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही की जाती थी लेकिन विगत एक दशक से जिम्मेदार विभाग पूरी तरह से आंख बंद कर रखा है जिससे प्रतिष्ठान संचालक निर्धनता पूर्वक मिलावटी केमिकल युक्त खाद्य पदार्थ मनमानी कीमत पर बिक्री कर बीमारी फैलाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। देखा जाए तो बड़े प्रतिष्ठान जो बाहरी व्यवसाईयों द्वारा राजस्थान मिष्ठान भंडार के नाम से जिले में संचालित कर रखे थे वो जहां कार्यवाही होने पर अब जिले के बाहर क्षेत्र में अपना प्रतिष्ठान जमा लिए हैं अब देखना होगा कि खबर प्रशासन के बाद क्या कुंभकर्णी नींद में सोए जिम्मेदारों की आंख खुलेगी जो क्षेत्र में भ्रमण कर ऐसे प्रतिष्ठानों पर कार्यवाही कर पाएंगे।

 

*भारी रैटों पर बेची जा रही राखियां*

रक्षाबंधन भाई बहन के प्रेम वा रिश्तों का पवित्र पावन पर्व माना गया है इस दिन बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध अपनी सुरक्षा की कामना करती हैं जिससे इस पर्व पर राखी का विशेष महत्व होता है इसी का फायदा उठा दुकानदारों द्वारा मनमानी पूर्वक बिना बिल दिए भारी भरकम राशि वसूली जा रही है देखने व सुनने को तो यहां तक मिला है कि 5 से 20 रुपये रेट की राखियां 50 से 100 रू तक बेची गई है। जिसका विल रद्दी कागजों पर जोड़कर दिया जा रहा है ग्राहकों द्वारा पक्का बिल मांगे जाने पर उनके साथ अभद्रता किए जाने की भी खबर है।

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