Breaking News in Primes

Breaking News : गैर मान्यता प्राप्त / झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्त हुई मध्यप्रदेश की मोहन सरकार

0 1,858

Breaking News : गैर मान्यता प्राप्त / झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्त हुई मध्यप्रदेश की मोहन सरकार

 

नियंत्रित कर आवश्यक कार्यवाही करने के जारी किए निर्देश

 

प्रदेश के समस्त कलेक्टर एवं जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को दिए आदेश

 

 

गैर मान्यताधारी व्यक्तियों/झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा प्रदायित चिकित्सकीय व्यवसाय को नियंत्रित करने विषयक।

 

संदर्भ:- 1. संचालनालयीन पत्र क्र./ विनियमन /2023/151 दिनांक 31/03/2023

 

2. संचालनालयीन पत्र क्र./ विनियमन /2021/61 दिनांक 11/02/2021

 

3. संचालनालयीन पत्र क्र./ विनियमन /2020/367 दिनांक 31/12/2020

 

4. म.प्र. मानव अधिकार आयोग का प्रकरण क्र. 5837/ डिंडोरी/2016 में की गई अनुशंसा 14/11/2017

 

5. शासन का आदेश क्र./10.10/2017/17/भेडि-2 भोपाल दिनांक 6. शासन का आदेश क्र. एफ-02-01/2017/17/मेडि-2 भोपाल दिनांक 01/03/2017

 

7. संचालनालयीन पत्र क्र./अ.प्रशा/सेल-6/एफ-12/2017/85, दिनांक 18/01/2017

 

विषयांतर्गत लेख है कि प्रदेश में निजी उपचर्यागृह (नर्सिंग होम) तथा सजोपचार संबंधी स्थापनाएं (क्लीनिक) का विनियमन, म.प्र उपचर्यागृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम, 1973 तथा नियम्, 1997 यथा संशोधित 2021 के

 

स्थापित प्रावधान अनुसार किया जाता है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कई अपात्र व्यक्तियों द्वारा फर्जी चिकित्सकीय डिग्री/सर्टीफिकेट का प्रयोग कर झोलाछाप चिकित्सकों के रूप में अमानक चिकित्सा पद्धतियों के उपयोग से रोगियों का उपचार किया जा रहा है। अधिकांश ऐसे अपात्र व्यक्तियों द्वारा एलोपैथी पद्धति की औषधियों का उपयोग किया जा रहा है।

 

विदित हो कि बिना उपयुक्त चिकित्सकीय ज्ञान के अनुचित उपचार, रोगियों के लिए प्राणघातक सिद्ध हो सकता है। ऐसे कई प्रकरण उजागर हुए है जिसमें झोलाछाप चिकित्सको द्वारा गलत औषधियों के उपयोग करने से Abscess, Gangrene, Hypersensitivity reaction, Anaphylaxis, Shock आदि होने एवं यथोचित उपचार के अभाव में रोगियों की मृत्यु हुई है। माननीय राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एवं म.प्र मानव अधिकार आयोग द्वारा भी समय-समय पर विद्याराधीन विभिन्न प्रकरणी में झोलाछाप चिकित्सकों के विरूद्ध कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए है।

 

निर्देशित किया जाता है कि-

 

1. प्रदेश में अपात्र व्यक्तिमी / झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा अनैतिक चिकित्सकीय व्यवसाय को

 

नियंत्रित करने हेतु समस्त जिलों में ऐसे अमानक क्लीनिक्स व चिकित्सकीय स्थापनाओं को

 

तत्काल प्रतिबंधित किया जाए। 2. जन समुदाय में ऐसे अपात्र व्यक्तियों से उपचार प्राप्त करने पर संभावित दुष्परिणामों के संबंध

 

में जागरूकता लाई जाए एवं शासन द्वारा ग्रामीम स्तर तक उपलब्ध कराई जा रही स्वास्थ्य सेवाओं के सबंध में व्यापक प्रचार प्रसार सुनिश्चित की जाए।

 

ज्ञातव्य हो कि म.प्र उपचर्यागृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम, 1973 की धारा 3 में “Ne person shall open, keep or carry on a

 

संचालन उक्त विनियामक अधिनियम का उल्लधन है एवं विधिक कार्यवाही उपरान्त दण्डनीय

 

अपराध है।

 

5. यह भी उल्लेखनीय है कि चिकित्सा शिक्षा संस्था (नियंत्रण) अधिनियम, 1973 यथा संशोधित्त अधिनियम, 1975 एवं संशोधन अधिनियम, 2006 की धारा 7-ग अनुसार ‘डॉक्टर अभिधान का उस व्यक्ति के नाम के साथ उपयोग किया जा सकेगा, जो कोई मान्यता प्राप्त चिकित्सकीय अर्हता धारित करता हो और जो तत्समय प्रवृत्त विधि द्वारा स्थापित किसी बोर्ड या परिषद् या किसी अन्य संस्था में चिकित्सा व्यवसायी के रूप में रजिस्ट्रीकृत है तथा अन्य कोई व्यक्ति स्वयं को चिकित्सा व्यवसायी के रूप में अभिव्यक्त करने के लिए ‘डॉक्टर अभिधान का उपयोग नहीं करेगा”।

 

6. उपरोक्त वर्णित अधिनियम की धारा 7-ग के उल्लंघन में कारावास की कालावधि 3 वर्ष तक व जुर्माना पचास हजार रुपये तक का प्रावधान है। उल्लेखनीय है कि धारा 7-ग का संबंध गैर मान्यता प्राप्त चिकित्सकों से है।

 

7. म.प्र उपचर्यागृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम, 1973 की धारा 3 का उल्लघंन, न्यायालय में दोषसिद्धी (Conviction) होने पर दण्डनीय है

 

जिसके प्रावधान धारा 8 में वर्णित हैं।

 

8. निजी चिकित्सकीय स्थापनाओं के पंजीयन एवं अनुज्ञापनकर्ता अधिकारी जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी है। अतएव, गैर मान्यता प्राप्त संस्थाओं, अपात्र व्यक्तियों द्वारा संचालित चिकित्सकीय स्थापनाओं का संचालन पाए जाने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा उचित विधिक कार्यवाही हेतु संबंधित जिला अभियोजन अधिकारी (District Prosecution Officer) को प्रकरण के समस्त तथ्य तत्काल उपलब्ध कराए जाए ताकि उचित वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित हो सके।

 

कृपया अधीनस्थ जिले में संचालित समस्त अपंजीकृत चिकित्सकीय संस्थानों एवं अपात्र व्यक्तियों/झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा किए जा रहे अमानक चिकित्सकीय व्यवसाए को नियंत्रित करने हेतु सतत् प्रयास किए जाए। तदानुसार की गई

Leave A Reply

Your email address will not be published.

Don`t copy text!