मझौली नगर प्रशासन ने जल गंगा संवर्धन /अभियान की उड़ाई धज्जियां।
अर्ध रात्रि के समय उपयोगी कूप को किया ध्वस्त, एसडीएम से हुई जांच कार्यवाही की मांग।
*अरविंद सिंह परिहार सीधी*
यह कोई पहला मामला नहीं है की नगर प्रशासन मझौली द्वारा मनमानी पूर्वक नियम कायदे कानून को दरकिनार करते हुए मनमानी पूर्वक कार्य किया जाकर लोगों को समस्या एवं परेशानी में डाला गया हो बल्कि मानसिक परेशानी भी दी जा रही है। अभी दो माह पूर्व कलेक्टर सीधी के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए नए बस स्टैंड वार्ड क्रमांक 5 स्थित पूरनिहा तालाब जिसमें भरे पानी का उपयोग मुख्य रूप से वार्ड क्रमांक 5 एवं 6 के आदिवासी- हरिजन नहाने धोने व पशुओ पानी पीने के लिए होता था रातों-रात जेसीबी मशीन से खुदाई करवा पानी निकाल दिया गया।तालाब के खरपतवार भी निकलवाया जाना उचित नहीं समझा गया कि बचे पानी का उपयोग किया जा सके। वही अभी हाल ही में वार्ड क्रमांक चार स्थित उपयोगी कूप को सोई परी रात एक दर्जन ट्रैक्टर से मिट्टी गिरा जेसीबी मशीन से पल भर में पटा दिया गया। जबकि वर्तमान में शासन द्वारा जल संरक्षण को लेकर जल गंगा संवर्धन/ संरक्षण अभियान चलाया जाकर जल स्रोतों को जीवित किए जाने का निर्देश है। फिर भी नगर प्रशासन भले ही चाहे इस अभियान के तहत एक भी खरपतवार जल स्रोतों से निकलवाने की कवायत ना किया हो लेकिन राजनीतिक द्वेष भावना से प्रेरित जन प्रतिनिधि के दबाव एवं बहकावे में आकर 19 जून की देर रात्रि 12 बजे से 1बजे के बीच जब पूरे मोहल्ले वासी गहरी नींद में सो रहे थे उसे समय नगर परिषद के कर्मचारी एवं जनप्रतिनिधि के सहयोगी पहुंच कूप को ध्वस्त कर दिए। उक्त कूप से प्रभावित हितग्राहियों द्वारा 20 जून को एसडीएम मझौली को आवेदन पत्र सौंप जांच कार्यवाही कराए जाते हुए उपयोगी कूप को जीवित करने की मांग की गई है।
आवेदन पत्र में उल्लेखित किया गया है कि आज से 25-30 वर्ष पूर्व जब मझौली ग्राम पंचायत थी उस समय आराजी नंबर 206 के अंश भाग में कच्चा मार्ग एवं कूप का निर्माण कराया गया था जो वर्तमान में मध्य प्रदेश शासन भूमि अंकित है मेरे पूर्वजों द्वारा बताया जा रहा था कि कूप एवं रोड के लिए कुछ जमीन दी गई है। जिस सार्वजनिक कूप का निर्माण सिंचाई एवं अन्य कार्यों की योजना को लेकर कराए जाने की जानकारी दी गई थी। उक्त सार्वजनिक कूप को दो वर्ष पूर्व भी तत्कालीन पार्षद द्वारा रात्रि में ही गिराए गए परमट भवन का मलमा(ईटा,पत्थर, मिट्टी )लाकर तीन चार ट्राली एक तरफ से जगत को तोड़ते हुए गिरा दिया गया था।हम लोगों के विरोध के बाद तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर परिषद द्वारा रोक तो दिया गया था पर कार्यवाही कुछ नहीं हुई थी। फिर भी इस कूप में अभी मार्च अप्रैल तक भरपूर पानी था। जिसका उपयोग हम मोहल्ले वासी किया करते थे। कूप में जगत भी बनी हुई थी जो एक तरफ से टूटी हुई थी।अभी पटाई किए जाने के दो-तीन दिन पूर्व रात्रि के समय ही कूप में ट्रैक्टर से मिट्टी गिराई जा रही थी विरोध करने पर रोक दिया गया था। जिसका सुधार न करवाते हुए 19 जून की दरमियानी रात पल भर में ही उपयोगी कूप को ध्वस्त कर दिया गया। उक्त कृत राजनीतिक द्वेष भावना को लेकर नगर प्रशासन पर दबाव बना अवैधानिक रुप से किया गया है। चुनाव के समय वार्ड पार्षद के पति द्वारा धमकी दी गई थी कि पर्चा खींच लो अन्यथा जिस कूप का उपयोग कर रहे हो नष्ट करवा देंगें।जब रात्रि में कूप पटाया जा रहा था सीएमओ एवं उपयंत्री नगर परिषद मझौली को कई बार फोन लगाया गया लेकिन इन्होंने फोन रिसीव करना उचित नहीं समझा।
*सीएमओ ने एसडीएम पर फोड़ा अपने कृत्य का पिटारा*
बिना वैधानिक कार्यवाही पूर्ण किए देर रात्रि पटाए जा रहे कूप के संबंध में जब लोगों की सूचना पर मीडिया के लोगों द्वारा मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर परिषद मझौली अजय गुप्ता को फोन लगाकर पटाए जाने की जानकारी चाही गई तो साफ तौर पर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मझौली पर संपूर्ण दोषारोपण लगाते हुए कहा गया कि एसडीएम के आदेश- निर्देश पर पटाया जा रहा है उन्हीं से बात करिए। सुबह कार्यालय में जब मीडिया के लोग व्हाइट बयान लेने पहुंचे तो कहा गया हा मैं अभी भी कहता हूं एसडीएम के आदेश -निर्देश पर ही कार्यवाही की गई है। यह जानकारी होने पर की एसडीएम द्वारा अंकित की केवल विधि सम्यक कार्यवाही है।मुख्य नगर पालिका अधिकारी अजय गुप्ता द्वारा पल्ला पलटते हुए कहा गया कि एसडीएम के टीपं अनुसार उपयंत्री से जांच करवाया गया जिसमें पानी नहीं था हमने खुद जाकर देखा है इसलिए पटा दिया गया। रात्रि में पटाए जाने के संबंध में पूछे जाने पर कहा गया कि रात्रि में तालाब की खुदाई हो रही थी इसलिए पटाया गया है।सवाल यह नहीं है कि उपयोगी कूप को ध्वस्त किया गया हो सवाल यह है कि बिना वैधानिक कार्यवाही परिषद के बैठक पूर्ण करने के बजाय रातों-रात कूप को नष्ट किया जाना नगर प्रशासन की मनमानी को इंगित करता है। जानकारों की माने तो बिना परिषद बैठक के निर्णय के बिना कोई ऐसी कार्यवाही किया जाना उचित नहीं होता है। जिससे साथ जाहिर होता है कि नगर प्रशासन पूर्ण रूपेण मनमानी पर उतारू है हितग्राहियों के विरोध के बाद भी मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा कहीं ना कहीं दबाव एवं अन्य गतिविधियों के कारण बिना परिषद के बैठक निर्णय के एक साधारण आवेदन पत्र पर कूप को नष्ट कर दिया गया। अब देखना होगा जबकि बार्ड एवं मोहल्ले वासियों ने जांच कार्यवाही की किए जाने तथा कूप को जीवित करने की मांग की गई है। क्या कुछ इनको न्याय मिल पाता है।
इनका है कहना
1– खसरा नंबर 206 अंश भाग पर आज से 25-30 वर्ष पूर्व जब ग्राम पंचायत थी कूप निर्माण कराया गया था जो वर्तमान में मध्य प्रदेश शासन भूमि अंकित है जिसे देर रात ट्रैक्टरों से मिट्टी गिरा जेसीबी मशीन लगाकर पटा दिया गया। कूप में अप्रैल, मई तक पानी भरा था जिसका उपयोग किया जाता था लेकिन वार्ड पार्षद के राजनीतिक द्वेष भावना के चलते नगर प्रशासन के द्वारा इसे 19 जून की देर रात पटा दिया गया है। सीएमओ एवं उपयंत्री को कई बार फोन लगाया गया लेकिन फोन नहीं उठाए। हम लोग एसडीएम को आवेदन पत्र सौंप जांच कार्यवाही कराए जाते हुए मांग किए हैं कि उक्त उपयोगी कूप को पुनः जीवित किया जाए।
राघवेंद्र सिंह पीड़ित किसान वार्ड क्रमांक 4 नगर परिषद मझौली।
2–एसडीम मझौली के आदेश एवं पार्षद व ग्रामीणों के द्वारा दिए गए आवेदन पत्र में एसडीएम के अंकित टीप के तहत नगर परिषद के उपयंत्री से जांच कराई गई हमने खुद जाकर देखा कूप में पानी नहीं था। जगत टूटी हुई थी दुर्घटना हो सकती थी इसलिए कूप को पटाया गया है।
अजय गुप्ता मुख नगर पालिका अधिकारी नगर परिषद मझौली।
3– मेरे बालक की तबीयत खराब है मैं बाहर था। मुझे इस संबंध में किसी तरह की कोई जानकारी नहीं है।
शंकर लाल गुप्ता अध्यक्ष नगर परिषद मझौली।
4–हमें पार्षद सहित कुछ ग्रामीणों के हस्ताक्षरित आवेदन पत्र प्राप्त हुआ था इसके मूल प्रति पर ही विधि सम्यक कार्यवाही करने टीप अंकित कर सीएमओ मझौली को दे दिया गया था। आज पुनः ग्रामीणों से हस्ताक्षरित आवेदन पत्र प्राप्त हुआ है जिसके कार्यवाही के लिए सीएमओ मझौली को भेजा जाएगा।
आर. पी. त्रिपाठी एसडीएम मझौली