शहडोल गणेश केवट की रिपोर्ट
अमरकंटक हिन्दू तीर्थ क्षेत्र में हिन्दू आस्था को ठेस पहुंचाया
विषयान्तर्गत लेख है कि भारत वर्ष की प्रमुख तीर्थ क्षेत्रों में अमरकंटक का स्थान बहुत
ही प्रमुखता से पुराणों में बखान किया गया है, यह एक शक्तिपीठ है, जहां माँ सती का नितम्भ
गिरा था, साथ ही हिन्दूओं के लिए अत्यधिक आस्था का केन्द्र माँ नर्मदा नदी का उद्गम स्थल
है जो एक तपो भूमि है, जहां पर हजारो साल से ऋषिमुनि, साधु, संत जंगलों (एकान्त) में
रहकर तपस्या करते आये है। इसी तहत कई जगह उनके तपो स्थल स्थापित है, उसी में से
एक औघड़ बाबा पुराना तपो स्थल है। जिसमें भगवान शंकर एवं माँ नर्मदा की पुरानी मूर्ति जो
बहुत ही सुन्दर थी, उसमें लगभग 150 साल पुराना एक कच्चा मंदिर बना हुआ था, जिसमें पूजा
पाठ हेतु कच्चा टपरा नुमा छोटा सा पुजारी निवास बनाकर एक संत रहकर माँ नर्मदा की सेवा
किया करते थे, किन्तु रात्रि 3:00 बजे कच्चा मंदिर माँ नर्मदा की सहित
मूर्ति को तोड़ दिया गया। ऐसा अनुमान है कि यह कृत्य वन विभाग द्वारा बिना पूर्व सूचना के
द्वेषवश घृणित कार्य किया गया, जिससे सनातन धर्म को मानने वाले अनुयायियों को भारी ठेस
पहुंची है, साथ ही अमरकंटक तीर्थ क्षेत्र जो तपों भूमि है, उसमें साधना करने वाले संत समाज
अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे है ।
क्या अब भारत वर्ष में स्थित अमरकंटक तीर्थ धाम पर जहाँ हजारों साल से साधु-संत
तपस्या करते आये है, वहां अब पूजा पाठ साधना करना भी कठिन हो गया है। ऐसे दोषी व्यक्ति
जिन्होंने माँ नर्मदा की मूर्ति जानबूझ कर तोड़ी है।
अतः इस पूरे विषय को गम्भीरतापूर्वक निष्पक्ष जांच कराते हुये, दोषी व्यक्तियों पर कठोर
दण्डात्मक कार्यवाही करते हुये, प्रतिमा की पुर्नः स्थापना की जाये ।