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इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज ने निःशुल्क नेत्र शिविर में लोगों को किया संबोधित

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हिमांशु उपाध्याय/ नितिन केसरवानी

*482 मरीजों के आंखों की हुई जांच, 298 मरीज मिले मोतियाबिंद के*

कौशाम्बी: न हिंदू बनो न मुसलमान बनो। एक अच्छा इंसान बनो। मां-बाप की इज्जत करो। अपने से छोटो को प्यार व बड़ों को सम्मान दो। यह बात हम नही इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. गौतम चौधरी ने शनिवार को कस्बे में दोआबा विकास एवं उत्थान समिति के तत्वाधान में आयोजित निःशुल्क नेत्र शिविर के मौके पर दीप प्रज्ज्वलित कर लोगों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा की गीता, कुरान रामायण पढना व समझना आसान हैं लेकिन जीवन में अमल करना काफी कठिन है। कहा कि वह अपना जजमेंट 60 प्रतिशत हिंदी में ही लिखते हैं। क्योंकि मैं अपने हिंदी भाषा के प्रति जिम्मेदार हूं। उन्होंने लोगों से अपील किया कि बच्चों को अंग्रेजी के साथ हिंदी जरूर पढ़ाएं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की अधिवक्ता नाहिद खान ने वंदे मातरम के गीत प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हेरम चतुर्वेदी व संचालन संस्था के मोहम्मद रेहान ने किया। इस मौके पर एडीजे व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव पूर्णिमा प्रांजल ने कहा कि नेत्रदान सबसे बड़ा दान है। उन्होंने कहा कि लगातार 33 साल से निः शुल्क नेत्र शिविर करना बहुत बड़ी बात है। इसके लिए संस्था के सभी सहयोगी बधाई के पात्र है। इस मौके पर मनोहरदास नेत्र चिकित्सालय के निदेशक डॉ. संतोष व पूर्व निदेशक डॉ. एसपी सिंह, डॉ. जमीर डॉ. दिव्या डॉ. तृप्ति डॉ. संजना ने मरीजों के आंखों की जांच कर दवाएं दी। कार्यक्रम में ग्राम न्यायालय के मजिस्ट्रेट हेमेंद्र, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष कमलेश, सदस्य बेबी नाज, पूर्व ब्लॉक प्रमुख अशर्फी लाल शास्त्री, आदि मौजूद रहे।

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