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अभिभावकों के द्वारा फीस नहीं भरने पर, थर्ड क्लास के बच्चे को किया क्लास से बाहर खड़ा

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लोकेसन=धामनोद

*धामनोद में शिक्षा या शोषण? बच्चा बना फीस नीति का शिकार*
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अभिभावकों के द्वारा फीस नहीं भरने पर, थर्ड क्लास के बच्चे को किया क्लास से बाहर खड़ा
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धामनोद- से एक दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आई है। मामला है शिशु कुंज स्कूल धामनोद का, जहां फीस न भरने पर एक मासूम बच्चे को क्लास के बाहर धूप में खड़ा कर दिया गया। बताया जा रहा है कि क्लास थर्ड के छात्र तरुण सोलंकी को केवल इस वजह से सज़ा दी गई क्योंकि उसके अभिभावक समय पर स्कूल फीस जमा नहीं कर पाए थे।

मासूम तरुण को स्कूल प्रबंधन ने लगभग एक से दो घंटे तक धूप में खड़ा रखा, जिससे बच्चे की तबीयत बिगड़ गई। बच्चे के परिजनों ने बताया कि जब वे स्कूल पहुंचे, तब तक तरुण रोता हुआ पाया गया। यह घटना अभिभावकों में आक्रोश का कारण बन गई है।अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन के इस व्यवहार को “अमानवीय और शर्मनाक” बताया। लोगों का कहना है कि शिक्षा का मंदिर कहलाने वाले स्कूल में अगर बच्चे को पैसे न होने की सज़ा दी जाएगी, तो यह समाज के लिए बेहद गलत संदेश है।

सूत्रों के मुताबिक, स्कूल के प्राचार्य ने कहा कि “बच्चे को सज़ा नहीं दी गई थी, केवल अनुशासन हेतु बाहर खड़ा किया गया था।” लेकिन अभिभावकों ने इस बयान को पूरी तरह से झूठ बताया है। उनका कहना है कि बच्चा धूप में खड़ा था और उसने प्यास और सिर दर्द की शिकायत भी की।

बाल संरक्षण अधिनियम (Juvenile Justice Act) के तहत किसी भी बच्चे के साथ इस तरह का व्यवहार कानूनी अपराध है। ऐसे मामलों में स्कूल प्रशासन पर कार्रवाई की जा सकती है।

यह घटना न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि क्या अब स्कूल संवेदनशीलता खो रहे हैं? क्या फीस अब इंसानियत से भी बड़ी हो चुकी है?

समाज को यह समझना होगा कि शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का है, और उसे किसी आर्थिक कारण से अपमानित या प्रताड़ित करना न केवल अन्याय है, बल्कि मानवता के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।

: बच्चे का पिता रामेश्वर सोलंकी :

 

रामेश्वर सोलंकी ने इस घटना की घोर निंदा की है, ताकि आने वाले समय में कोई भी स्कूल बच्चों के साथ इस तरह का व्यवहार करने से पहले सौ बार सोचे।
-प्रिंसिपल गुप्ता जी शिशुकुंज स्कूल-
प्रिंसिपल महोदय के द्वारा बताया गया कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है हमने किसी बच्चे को बाहर नहीं खड़ा किया

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