*झिरन्या। खरगोन संवाददाता दिलीप बामनिया*
भारतीय ज्ञान परंपरा पर वेबिनार का आयोजन अपनी जड़ों से जुड़कर लोक मंगल करें
झिरन्या। भारतीय ज्ञान परंपरा में लोक कल्याण की भावना निहित है। इस ज्ञान में दक्ष होकर कर हम आत्म साक्षात्कार कर सकते हैं और विश्व की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। आधुनिकता की अंधी दौड़ में हमने अपने मूल स्वरुप को भूला दिया है। सत्य, न्याय नैतिकता, परोपकार, ईमानदारी जैसे जीवन मूल्य कम हो गये हैं। हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना होगा, प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति को समझना होगा, ताकि हम लोक मंगल कर सकें और इंसानियत का आदर्श कायम कर सकें।
उक्त विचार शासकीय महाविद्यालय झिरन्या द्वारा आयोजित एक दिवसीय वेबिनार में इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय दिल्ली के सहायक प्राध्यापक डॉ. जयप्रताप सिंह ने व्यक्त किये। इस आयोजन में बुद्ध महाविद्यालय कुशीनगर के सहायक प्राध्यापक डॉ. राजीव रॉय ने कहा कि भारत की परंपरागत शिक्षा से व्यक्ति के समग्र व्यक्तित्व, चरित्र और कौशलों का विकास होता रहा है। वेद, वेदांग, उपनिषद,पुराण,गणित, खगोल, अध्यात्म व योग की शिक्षा ने हमारे नैतिक स्तर को ऊँचा उठाया है। आज इस ज्ञान को नई शिक्षा नीति के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है, ताकि भारत ज्ञान संपन्न होकर पुनः विश्वगुरू के पद को प्रतिष्ठित कर सके।
वेबिनार में प्राचार्य डॉ. एम.एल. मोरे, संयोजक डॉ. प्रवीण मालवीया, सह संयोजक डॉ. अंजू चौहान, सचिव अमन यादव,सदस्य डॉ. ओमवती सोलंकी, डॉ. एस. चौहान,डॉ. विक्रम सिंह चौहान, प्रो. लक्ष्मण डावर, प्रो. पी. सी. निहाले व बसन कन्नौजे सहित विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक, विद्वान्, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।
*झिरन्या से संवाददाता दिलीप बामनिया की रिपोर्ट*