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भोपाल कलेक्टर का आदेश हवा हवाई !

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भोपाल कलेक्टर का आदेश हवा हवाई !

 

क्या यह सिस्टम की मजबूरी है या कर्मचारियों की दबंगई ?

 

ट्रांसफर के बाद भी अंगद के पैर की तरह जमे हैं कर्मचारी 

 

आदेशों की उड़ रही धज्जियां, शासन व्यवस्था पर उठे सवाल

 

दैनिक प्राईम संदेश मनीष कुमार राठौर 8109571743

 

भोपाल । राजधानी के कलेक्टर कार्यालय से जारी आदेश अब मज़ाक बनते जा रहे हैं ये हम नहीं कागज कह रहे है । क्योंकि शासन की गरिमा और प्रशासनिक अनुशासन पर सवाल उठाते हुए एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें कलेक्टर भोपाल के आदेशों को भी कर्मचारियों ने ठेंगा दिखा दिया है। कलेक्टर कार्यालय से जारी ताज़ा आदेश (क्रमांक 833 / राजस्व शाखा / 2025 दिनांक 14/10/2025) में साफ लिखा गया था कि जिन लिपिक कर्मचारियों और सहायक ग्रेड के अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया है, उन्हें एक पक्षीय रूप से कार्यमुक्त कर नई पदस्थापना स्थल पर तत्काल उपस्थित होना अनिवार्य है, लेकिन भोपाल कलेक्टर के आदेश को भी कुछ कर्मचारियों ने कागज़ का टुकड़ा समझकर रद्दी में फेंक दिया। *जिला प्रशासन के भीतर चर्चा है कि ये वही प्रभावशाली कर्मचारी हैं जिनकी पहुँच ऊँचाई तक है, और शायद यही कारण है कि अपर कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर और स्वयं कलेक्टर भी इन पर अंकुश लगाने में असफल साबित हो रहे हैं। भोपाल जैसे राजधानी ज़िले में अगर कलेक्टर के आदेश भी हवा हवाई बन जाएँ, तो छोटे जिलों में शासन की स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।*

 

आदेश जारी हुआ पर कुछ कर्मचारी वहीं के वहीं

 

कलेक्टर कार्यालय के आदेश के अनुसार, कर्मचारियों को विभिन्न तहसीलों और कार्यालयों में तत्काल प्रभाव से अस्थायी रूप से स्थानांतरित किया गया था। आदेश में यह भी उल्लेख था कि अगर कोई कर्मचारी निर्धारित समय में रिलीविंग नहीं लेता तो उसके खिलाफ नियम अनुसार अनुशासनात्मक एक पक्षीय कार्यवाही की जाएगी पर हकीकत यह है कि ना कुछ अधिकारी ने रिलीव कराया, ना कुछ ने नई जगह पदभार ग्रहण किया, और ऊपर से एक तो रिटायरमेंट तक वही बैठे रहे और अब ट्रांसफर भी हो गया और रिटायरमेंट भी वहीं से हुए सूत्रों की मानें तो कुछ कर्मचारी ऐसे भी हैं जिनका ट्रांसफर महीनों पहले हुआ, लेकिन उन्होंने न केवल नई जगह पदभार ग्रहण नहीं किया, बल्कि उसी पुराने पद से सेवानिवृत्त (रिटायर) भी हो गए। यह मामला न केवल सेवा शर्तों का उल्लंघन है, बल्कि कलेक्टर के आदेश की खुली अवहेलना भी है।

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