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जेल की दीवारों के भीतर भी गूंजा मिशन शक्ति का स्वर, निरुद्ध महिलाओं को मिला न्याय का संबल, 10 महिलाओं को मिला निःशुल्क अपना वकील

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News By- हिमांशु उपाध्याय / नितिन केसरवानी

कौशाम्बी: अब हमें भी मिलेगा न्याय, हमारी आवाज़ अब कोई नहीं दबा सकेगा,यह भाव था उन महिला बंदियों के चेहरे पर जो आज पहली बार कानूनी अधिकारों और निःशुल्क विधिक सहायता की जानकारी से रूबरू हुईं। मिशन शक्ति अभियान फेज-5.0 के अंतर्गत मंगलवार को जिला कारागार कौशाम्बी में महिलाओं को न्याय तक पहुँच का अधिकार दिलाने हेतु एक विशेष शिविर आयोजित किया गया, जिसने जेल की दीवारों के भीतर भी आशा की नई किरण जगा दी। कारागार में इस समय 21 महिला अंडर ट्रायल और 6 सजायाफ्ता महिला बंदी निरुद्ध हैं। इनमें से 10 महिलाओं को निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराते हुए उन्हें सरकारी अधिवक्ता नियुक्त किए गए। वहीं एक महिला ने जमानत के लिए जमानतदार न मिलने की व्यथा बताई, जिस पर विधिक सेवा प्राधिकरण ने तत्काल पहल कर सहायता सुनिश्चित की। इस दौरान राज्य महिला आयोग की सदस्य प्रतिभा कुशवाहा ने महिलाओं से आत्मीय संवाद करते हुए कहा, मिशन शक्ति केवल एक सरकारी अभियान नहीं, बल्कि हर उस महिला की आवाज़ है जो न्याय और सम्मान की हक़दार है। उन्होंने जेल परिसर का निरीक्षण कर बंदियों से उनके हालचाल और कानूनी दिक्कतों की जानकारी भी ली।
कार्यक्रम में उपजिलाधिकारी मंझनपुर एस.पी. वर्मा, क्षेत्राधिकारी मंझनपुर शिवांक सिंह, क्षेत्राधिकारी कौशाम्बी जे.पी. पांडेय, मुख्य सलाहकार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अमित कुमार मिश्रा, सहायक सलाहकार अंकित, संरक्षण अधिकारी अजीत कुमार, महिला काउंसलर मालती देवी तथा जेल अधीक्षक और अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे। इस आयोजन ने साबित किया कि मिशन शक्ति की असली ताकत वही है जो बंद दरवाज़ों के भीतर भी न्याय और उम्मीद की लौ जला सके।

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