पद की गरिमा को शर्मसार करता अमलाई ओपन कास्ट माइंस का घोटाला
खुलेआम रिश्वतखोरी, 'पर्ची के बदले पैसे' का खेल, जिम्मेदार अधिकारी मौन
पद की गरिमा को शर्मसार करता अमलाई ओपन कास्ट माइंस का घोटाला
खुलेआम रिश्वतखोरी, ‘पर्ची के बदले पैसे’ का खेल, जिम्मेदार अधिकारी मौन
ज्ञानेंद्र पांडेय 7974034465 शहडोल::कोल इंडिया की छत्रछाया में संचालित एसईसीएल की सुहागपुर एरिया अंतर्गत अमलाई ओपन कास्ट माइंस इन दिनों विवादों के केंद्र में है। यहां कोयला उत्पादन से ज्यादा चर्चा में है वो गंदा भ्रष्टाचार, जिसने न सिर्फ विभागीय मर्यादा को तार-तार किया है, बल्कि पूरे सिस्टम की ईमानदारी पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।
‘पैसे दो, पर्ची लो’ – खुलेआम चल रही वसूली
सूत्रों की मानें तो माइंस में काम करने वाले ट्रांसपोर्टरों से ₹50, ₹100, ₹500 और ₹1000 तक की अवैध वसूली की जा रही है। यह काम इस तरह खुलेआम हो रहा है कि मानो यह कोई स्थापित प्रक्रिया हो। ट्रांसपोर्टरों को साफ तौर पर कहा जाता है कि “सिस्टम सेट करो, तभी काम चलेगा।” जो इसका विरोध करता है, उसे काम से बाहर कर दिया जाता है।
‘पंडित जी’ का कैमरे पर कबूलनामा इतना हक तो बनता है
मामले को और गंभीर बनाता है माइंस में पदस्थ एक कर्मचारी ‘पंडित जी’ का कैमरे पर दिया गया बयान, जिसमें वह स्पष्ट रूप से रिश्वत लेने की बात स्वीकार करते हैं और दावा करते हैं कि पैसा ऊपर तक जाता है। उनका यह बयान न केवल कोल इंडिया की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि उन्हें किसी भी जांच या कार्रवाई का कोई भय नहीं है।
प्रबंधन मौन, सवाल खड़े
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या माइंस के उप क्षेत्रीय प्रबंधक और महाप्रबंधक इन गतिविधियों से अंजान हैं? या फिर ‘ऊपर तक हिस्सा’ वाला दावा सही साबित हो रहा है? यदि एक कर्मचारी कैमरे पर इस हद तक खुलकर बोल रहा है, तो निश्चित ही उसे किसी ‘प्रशासनिक छत्रछाया’ का भरोसा है।
“पहले दो दाम, फिर खुलेगा बूम बेरियल” – द्विवेदी महाराज की टिप्पणी
माइंस से जुड़े एक अन्य व्यक्ति द्विवेदी महाराज ने कटाक्ष करते हुए कहा – “पहले दो दाम, फिर खुलेगा बूम बेरियल, तब कर पाओगे काम।” यह टिप्पणी स्पष्ट करती है कि वसूली के बिना यहां काम संभव नहीं है।
कोल इंडिया की साख पर गंभीर आघात
कोल इंडिया जैसी संस्था, जो देशभर में अपनी कार्यप्रणाली और कर्मचारी सुविधाओं के लिए जानी जाती है, उसी के तहत चल रही यह घोर अनियमितता उसकी प्रतिष्ठा को कलंकित कर रही है। यदि जल्द ही कठोर जांच और निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हुई, तो यह संदेश जाएगा कि भ्रष्टाचार को यहां मौन स्वीकृति प्राप्त है।
क्या वाकई कोई सुनवाई होगी? या फिर यह मामला भी ‘फाइलों’ में दफन हो जाएगा?
अब यह देखना बाकी है कि क्या कोल इंडिया, एसईसीएल और संबंधित प्रशासन इस गंभीर प्रकरण पर संज्ञान लेकर कार्रवाई करेंगे, या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह धीरे-धीरे दबा दिया जाएगा?
