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निकल गया सरकारी खजाने से करोड़ों का बजट ठेकेदार और अधिकारी कर रहे हैं मौज

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हिमांशु उपाध्याय/ नितिन केसरवानी

*कार्य पूर्ण होने की समय सीमा बीत जाने के डेढ़ वर्ष बाद भी नहीं पूर्ण हुआ कार्य*

*मॉनिटरिंग के नाम पर बैठक मीटिंग और केवल धमकी तक सीमित रह गए अधिकारी*

*कड़ा कौशाम्बी* जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत सिराथू तहसील क्षेत्र के सैनी में हर घर जल योजना में 2 करोड़ 38 लाख रुपए की लागत से पानी टंकी का निर्माण कराया जाना था इस परियोजना की शुरुआत 19 अक्टूबर 2022 को हुई और कार्य की जिम्मेदारी कल्पतरु प्रोजेक्ट इंटरनेशनल लिमिटेड को दी गई और पानी टंकी निर्माण का कार्य पूर्ण होने का समय 11 अप्रैल 2024 निर्धारित किया गया लेकिन कार्य पूर्ण होने का समय बीत गया विभागीय अधिकारियों और ठेकेदारों की बड़ी लापरवाही के चलते पानी टंकी का निर्माण पूरा नहीं हो सका सरकारी खजाने से बजट निकल गया अधिकारी मीटिंग बैठक करते रहे धमकी देते रहे लेकिन कार्यदाई संस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ा देखते देखते कार्य पूर्ण होने की अवधि को डेढ़ वर्ष अधिक बीत गए हैं लेकिन अभी तक 30 प्रतिशत भी काम नहीं हुआ है पानी टंकी का निर्माण न होने के मामले में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही उजागर हो रही है जिसके चलते लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच सका है लोगों के घरों के नल खूँटा की तरह खड़ा रह गया है हर घर जल योजना के नल से एक बूंद पानी नहीं निकल रहा है इस योजना में सरकार ने गांव-गांव करोड़ों रुपए खर्च कर दिया अधिकारियों के भ्रष्टाचार में शामिल होने के चलते योजना पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुई है हर घर जल योजना के तहत साढ़े छह हजार लोगों तक पानी पहुंचाए जाने की योजना बनाई गई थी योजना के नाम पर सरकारी खजाने से करोड़ों का बजट तो खर्च कर दिया गया है लेकिन साढ़े छह हजार लोगों के बीच एक भी बूंद पानी नहीं पहुंच सका है कार्य पूर्ण हो जाने के समय को डेढ़ वर्ष से अधिक बीत जाने के बाद भी अभी तक लापरवाह ठेकेदार पर मुकदमा दर्ज करा कर उसकी गिरफ्तारी अधिकारियों ने नहीं कराई है समय से कार्य ना पूर्ण करने वाले ठेकेदार को ब्लैकलिस्टेड नहीं किया गया है सरकारी खजाने से बजट निकाल करके फरार हो जाने वाले ठेकेदार को खोजने का भी प्रयास अधिकारियों ने नहीं किया है जिससे अधिकारियों की भी लापरवाही कम नहीं है लेकिन मीटिंग बैठक के नाम पर बंद बोतल का पानी पीकर लंबी चौड़ी बात करने वाले अधिकारी योजना की हकीकत जमीन पर नहीं उतार पा रहे हैं आखिर इसके पीछे क्या मकसद है भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के सामने कही बड़े हुजूर ने भी घुटने तो नहीं टेक चुके हैं इस बिंदु पर शासन को जांच कराए जाने की जरूरत है।

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