बादल फटने से मंडी में तबाही का मंजर: घर-दुकानों में भरा मलबा, सड़कों पर यातायात ठप, कॉलोनियां जलमग्न
नाला उफान पर, ग्रामीण क्षेत्रों से संपर्क टूटा, कंपनी, कॉलोनी हुई तबाह, स्कूलों में छुट्टी घोषित
बादल फटने से मंडी में तबाही का मंजर: घर-दुकानों में भरा मलबा, सड़कों पर यातायात ठप, कॉलोनियां जलमग्न
नाला उफान पर, ग्रामीण क्षेत्रों से संपर्क टूटा, कंपनी, कॉलोनी हुई तबाह, स्कूलों में छुट्टी घोषित
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में शनिवार देर रात बादल फटने की घटना ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया। नगवाई से लेकर औट तक का इलाका तबाही की चपेट में आ गया है। कई घरों में मलबा भर गया है, दुकानों में पानी और कीचड़ घुसने से लाखों का नुकसान हुआ है। लोगों में दहशत का माहौल है।
कंपनी कॉलोनी हुई तबाह, स्कूलों में छुट्टी घोषित
शाला नाल क्षेत्र में बादल फटने से एक निजी कंपनी की कॉलोनी पूरी तरह जलमग्न हो गई, कई क्वार्टरों में पानी और मलबा भर गया। प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया है। एहतियातन स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया गया है।
टकोली फोरलेन बाधित, सब्जी मंडी में भारी नुकसान
टकोली फोरलेन पर मलबा आने से यातायात ठप हो गया। एनएच प्राधिकरण और प्रशासन ने जेसीबी की मदद से मलबा हटाने का कार्य शुरू किया, लेकिन बारिश के चलते काम में देरी हो रही है। स्थानीय सब्जी मंडी में हजारों किलो सब्जियां और व्यापारिक सामान पानी में बह गया, जिससे व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
बागी नाला उफान पर, ग्रामीण क्षेत्रों से संपर्क टूटा
पराशर क्षेत्र का बागी नाला उफान पर है। इसके तेज बहाव के चलते आसपास के गांवों से संपर्क कट गया है। कई ग्रामीण फंसे हुए हैं। NDRF और स्थानीय प्रशासन की टीम लगातार रेस्क्यू में जुटी हैं। प्रशासन ने लोगों से नालों और नदी किनारे न जाने की अपील की है।
प्रशासन अलर्ट, राहत-बचाव कार्य जारी
उपायुक्त मंडी ने बताया कि SDRF, पुलिस और प्रशासन की टीमें मौके पर तैनात हैं। स्थिति पर नजर रखी जा रही है। प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है और राहत शिविरों की स्थापना की जा रही है।
विशेष चेतावनी:
मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों तक और भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत डायल 112 पर संपर्क करें।
यह आपदा एक बार फिर याद दिलाती है कि पहाड़ी इलाकों में अनियंत्रित निर्माण और जल निकासी की व्यवस्था में लापरवाही किस तरह भारी पड़ सकती है।