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सीमा पर उगता ‘गांजा साम्राज्य’, नशे की गिरफ्त में भविष्य

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बुदून महाराज: शहडोल-अनूपपुर

सीमा पर उगता ‘गांजा साम्राज्य’, नशे की गिरफ्त में भविष्य

ज्ञानेंद्र पांडेय

“नशामुक्त मध्यप्रदेश” का नारा आज शहडोल और अनूपपुर जिलों की सीमा पर ध्वस्त होता दिखाई दे रहा है, जहाँ एक कुख्यात तस्कर ‘बुदून महाराज’ अपने नशे के साम्राज्य को खुलेआम विस्तार दे रहा है। यह केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की निष्क्रियता और लचर कानून व्यवस्था की जीती-जागती तस्वीर बन चुका है।

कस्बा जो बन गया ‘क्राइम हब’

शहडोल-अनूपपुर सीमा पर बसा एक शांत गांव, आज पूरे अंचल के लिए भय का पर्याय बन चुका है। यहां से निकलने वाली गांजे की खेप अब सिर्फ प्रदेश नहीं, बल्कि कई राज्यों में पहुंच रही है। बुदून महाराज का नेटवर्क इतना संगठित और चौकस है कि कानून की आंखों में धूल झोंकने के लिए बच्चों तक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
स्कूली ड्रेस में तस्करी,
मोटरसाइकिल से युवाओं की डिलीवरी,
ट्रकों में भरकर माल रवाना,
और गरीब बेरोजगारों को तस्करी में धकेलना ये सब अब इस गिरोह की पहचान बन चुके हैं।

13 से 25 साल तक के युवाओं को चंगुल में फंसाने की चालाकी

यह नेटवर्क बेरोजगारी और गरीबी को हथियार बनाकर युवा पीढ़ी को अपराध की दलदल में धकेल रहा है। कोई रिकॉर्ड नहीं, कोई पहचान नहीं — कानून की पकड़ से बाहर। यह सुनियोजित नेटवर्क आज समाज के ताने-बाने को खोखला कर रहा है।

जयसिंहनगर से झिरिया तक फैला नेटवर्क, लेकिन मुख्य आरोपी गायब

हाल ही में जयसिंहनगर क्षेत्र में बड़ी गांजा जब्ती हुई, लेकिन मुख्य मास्टरमाइंड ‘बुदून’ अभी भी कानून की पहुंच से दूर है। रामपुर, कोटमा, झिरिया, करौंदा जैसे गांवों में इस नेटवर्क की गतिविधियाँ रोजाना चल रही हैं। स्थानीय प्रशासन सबकुछ जानते हुए भी, चुप्पी साधे बैठा है।

डरे हुए ग्रामीण, खामोश प्रशासन

बुदून के गांव में लोग उसका नाम लेने से भी घबराते हैं। एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर कहा,
यहां सब जानते हैं कि पुलिस कुछ नहीं कर सकती। वो जब चाहे आता है, धमकाता है और चला जाता है।”

 

हरियाली के पीछे छुपा करोड़ों का अवैध कारोबार

सूत्रों के अनुसार, बुदून और उसके सहयोगी दिन दूनी रात चौगुनी कमाई कर रहे हैं। गांव के खेत अब फसलों के नहीं, गांजे के उत्पादन केंद्र बन चुके हैं। तस्कर ‘महाराज’ न केवल कानून से खेल रहा है, बल्कि समाज के भविष्य से भी क्रूर मज़ाक कर रहा है।

प्रशासन के लिए अब भी वक्त है सख्ती ज़रूरी

अब समय आ गया है कि प्रशासन न सिर्फ गिरोह के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे, बल्कि—
इन तस्करों की संपत्तियों की जांच शुरू हो,NDPS एक्ट के तहत संपत्ति जप्त की जाए,गांजे के उत्पादन क्षेत्रों की सैटेलाइट निगरानी हो,और युवाओं के पुनर्वास के लिए विशेष अभियान चलाया जाए।

माफिया के खिलाफ अब जन-जागृति का समय

बुदून अब केवल एक तस्कर नहीं, पूरे सिस्टम की परीक्षा है। यदि अब भी आंखें मूंदी रहीं, तो शहडोल-अनूपपुर सीमा जल्द ही मध्यभारत का ‘नशा ट्रायंगल’ बन जाएगी।
बुदून जैसे माफिया को सलाखों के पीछे भेजने और प्रदेश को नशे के अंधकार से निकालने के लिए एकजुट प्रयास की आवश्यकता है — वरना ‘महाराज’ का साम्राज्य हरियाली की आड़ में युवाओं का भविष्य निगलता रहेगा।

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