डायल 100 सेवा में वर्षों से कार्यरत पायलटों को हटाया गया, बेरोजगारी की मार झेल रहे कर्मचारी—कलेक्टर को सौंपा गया ज्ञापन
डायल 100 सेवा में वर्षों से कार्यरत पायलटों को हटाया गया, बेरोजगारी की मार झेल रहे कर्मचारी—कलेक्टर को सौंपा गया ज्ञापन
अनूपपुर, मध्य प्रदेश शासन द्वारा बेरोजगारी मिटाने के लिए बड़े-बड़े वादे किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वर्षों से प्रदेश की आपातकालीन सेवा डायल 100 में कार्यरत पायलट (वाहन चालक) अचानक बेरोजगार कर दिए जाए तो उनके अंदर क्या बीतेगी। इस विषय को लेकर अनूपपुर जिले के पायलटों ने जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर अपनी पुनः नियुक्ति की मांग की है।
ज्ञापन में बताया गया है कि BVG कंपनी के अंतर्गत पिछले लगभग 10 वर्षों से डायल 100 सेवा में कार्यरत पायलटों को बिना किसी अग्रिम सूचना के नई कंपनी GVK द्वारा सेवा से पृथक करने की योजना बनाई जा रही है। साथ ही नवीन नियुक्तियों के लिए कक्षा 10वीं की अंकसूची की अनिवार्यता रख दी गई है, जबकि पुराने पायलट वर्षों से MDT (मोबाइल डेटा टर्मिनल) जैसे तकनीकी उपकरणों के साथ दक्षता से कार्य कर रहे है।
सेवा भावना और ईमानदारी से किया काम, फिर भी उपेक्षा
पायलटों ने अपने ज्ञापन में उल्लेख किया कि:
कोरोना काल जैसे संकट में भी उन्होंने पूरी निष्ठा से ड्यूटी निभाई।
महीनों तक वेतन नहीं मिलने के बावजूद काम नहीं छोड़ा।
कम शैक्षणिक योग्यता के बावजूद तकनीकी उपकरणों का उपयोग सीखा और किया।
समय पर इवेंट क्लियर कर, पीड़ितों से सम्मानजनक व्यवहार किया।
पुलिस प्रशासन की छवि को सदा सकारात्मक बनाए रखा।
इसके बावजूद, उन्हें सेवा से हटाकर अब शैक्षणिक अर्हता की शर्त लगाकर बाहर का रास्ता दिखाना सही नहीं है। पायलटों का कहना है कि जब 2015 में उन्हें भर्ती किया गया था, तब कक्षा 8वीं की पात्रता पर्याप्त थी। ऐसे में अब 10वीं की पात्रता की शर्त लागू करना अव्यावहारिक और अन्यायपूर्ण है।
मानसिक व आर्थिक संकट में कर्मचारी
पुराने पायलटों का कहना है कि वे लंबे समय से परिवार का भरण-पोषण इसी नौकरी से कर रहे थे। अब नौकरी छिन जाने के गहरे आर्थिक संकट और मानसिक तनाव में हैं। ज्ञापन में अपील की गई है कि पुराने कर्मचारियों को पुनः सेवा में लिया जाए, जिससे वे अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें।
प्रशासन से न्याय की अपेक्षा
ज्ञापन सौंपते समय पायलट मो. कासिम अंसारी, राम खेलावन, प्रमोद तिवारी उपस्थित थे। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि इस गंभीर विषय को शासन स्तर तक पहुंचाया जाए और 10 वर्षों की सेवा को नजरअंदाज कर बेरोजगार किए जाने वाले कर्मचारियों के साथ न्याय किया जाए।