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750000 रुपये की सायबर ठगी का पर्दाफाश: जैतपुर पुलिस ने किया मास्टरमाइंड को गिरफ्तार, थाना प्रभारी जियाउल हक के नेतृत्व में बड़ी सफलता

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750000 रुपये की सायबर ठगी का पर्दाफाश: जैतपुर पुलिस ने किया मास्टरमाइंड को गिरफ्तार, थाना प्रभारी जियाउल हक के नेतृत्व में बड़ी सफलता

 

 

ज्ञानेंद्र पांडेय

शहडोल,

 

04 जुलाई 2025 — मनेन्द्रगढ़ निवासी एक सेवानिवृत्त वृद्ध महिला के बैंक खाते से 7.5 लाख रुपये की धोखाधड़ी का सनसनीखेज मामला सामने आया था, जिसे जैतपुर पुलिस ने तकनीकी दक्षता और तेज़तर्रार कार्रवाई के माध्यम से सुलझाते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

 

इस जटिल और सुनियोजित सायबर ठगी का भंडाफोड़ करते हुए थाना प्रभारी निरीक्षक श्री जियाउल हक के नेतृत्व में गठित विशेष टीम ने मुख्य आरोपी महेन्द्र उर्फ मोहित सिंह गोड तथा उसके साथी पुष्पराज सिंह गोड को गिरफ़्तार कर न्यायिक प्रक्रिया में प्रस्तुत कर दिया है।

 

शिकायत से शुरू हुई जांच, तकनीकी विश्लेषण बना सफलता की कुंजी

 

पीड़िता सेमला बाई, जो एक सेवानिवृत्त वृद्ध महिला हैं, ने 4 जुलाई को मनेन्द्रगढ़ थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके खाते से अज्ञात व्यक्ति द्वारा 750000 रुपये निकाल लिए गए हैं। मामला गंभीरता से लेते हुए थाना जैतपुर पुलिस ने सायबर सेल की तकनीकी सहायता से जांच प्रारंभ की।

 

मामले की तह तक पहुंचने के लिए मोबाइल नंबर, सिम कार्ड, संदिग्ध खातों और ट्रांजेक्शन डिटेल्स का सूक्ष्म तकनीकी विश्लेषण किया गया। इसी दौरान पुलिस को अहम सुराग मिले, जिनके आधार पर मुख्य आरोपी महेन्द्र की पहचान हुई और उसे धरदबोचा गया।

 

बरामद सामग्री: आरोपी के कब्जे से ₹1,10,000 नगद, मोबाइल फोन, बैंक पासबुक और एटीएम कार्ड जब्त किए गए हैं। ये साक्ष्य सीधे तौर पर अपराध से जुड़े पाए गए हैं।

 

यूट्यूब बना अपराध का गुरू, कियोस्क सेंटर से निकाले पैसे

 

पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि महेन्द्र ने यूट्यूब पर उपलब्ध वीडियो के माध्यम से सायबर ठगी के तरीके सीखे। इसके बाद उसने पीड़िता की सिम और दस्तावेजों का दुरुपयोग कर एक फर्जी यूपीआई आईडी बनाई और धीरे-धीरे पूरी राशि कियोस्क बैंकिंग केंद्रों से निकाल ली।

दूसरे आरोपी पुष्पराज सिंह गोड की भूमिका भी इस साजिश में महत्वपूर्ण पाई गई, जिसे गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि दोनों आरोपी पूर्व से सायबर अपराधों में रुचि रखते थे और योजनाबद्ध तरीके से इस घटना को अंजाम दिया गया।

 

थाना प्रभारी जियाउल हक का नेतृत्व रहा निर्णायक

 

इस सफलता के मूल में रहा थाना प्रभारी निरीक्षक श्री जियाउल हक का नेतृत्व, जिन्होंने मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल तकनीकी और फील्ड टीमों को सक्रिय किया। उनके मार्गदर्शन में टीम ने महज कुछ ही दिनों में न केवल आरोपियों को पकड़ लिया, बल्कि डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर न्यायिक कार्रवाई भी सुनिश्चित की।

 

इस कार्यवाही में प्रआर. मो. जाहिद, आरक्षक जयेन्द्र सिंह, आरक्षक सोनू दुबे, आरक्षक विजय कुमार महरा, तथा सायबर सेल से आरक्षक सत्यप्रकाश मिश्रा ने समर्पण और दक्षता के साथ कार्य कर टीम को सफलता दिलाई।

 

निरीक्षक श्री जियाउल हक की रणनीतिक दृष्टि, तकनीकी समझ, और त्वरित निर्णय क्षमता ने इस संवेदनशील प्रकरण के त्वरित समाधान को संभव बनाया, जो अन्य थाना प्रभारियों के लिए भी प्रेरणास्रोत है।

 

जांच जारी, और भी खुलासे संभव

 

पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस प्रकरण में अभी और धनराशि की बरामदगी संभव है। साथ ही अन्य सहयोगियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। जैतपुर थाना पुलिस एवं सायबर सेल की टीम इस दिशा में गंभीरता से कार्यरत है।

 

म.प्र. पुलिस की सख्त चेतावनी: सायबर अपराधियों के लिए नहीं कोई जगह

 

यह कार्रवाई केवल एक ठगी का पर्दाफाश नहीं, बल्कि सायबर अपराधियों के लिए एक कड़ा संदेश है कि म.प्र. पुलिस हर तकनीकी चुनौती का मुकाबला करने में सक्षम है। त्वरित कार्रवाई, तकनीकी सक्षमता और समर्पित नेतृत्व ने इस मामले को सायबर अपराधों से निपटने की मॉडल कार्यवाही बना दिया है।

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