अमरकंटक के ग्लास प्वाइंट पर नियमों की धज्जियाँ
माँ नर्मदा के उद्गम स्थल पर ठेकेदार की मनमानी, प्रशासन की चुप्पी बनी हादसे की भूमिका
अमरकंटक के ग्लास प्वाइंट पर नियमों की धज्जियाँ
माँ नर्मदा के उद्गम स्थल पर ठेकेदार की मनमानी, प्रशासन की चुप्पी बनी हादसे की भूमिका
ज्ञानेन्द्र पांडेय अनूपपुर
अमरकंटक मध्यप्रदेश की धार्मिक और प्राकृतिक धरोहर अमरकंटक, जहाँ से माँ नर्मदा, सोन और जोहिला नदियाँ उद्गम लेती हैं — आज वही पवित्र भूमि लालच, लापरवाही और शासन-प्रशासन की निष्क्रियता की शिकार होती जा रही है।
ग्लास प्वाइंट, जो आस्था, पर्यावरण और पर्यटन के त्रिवेणी संगम का प्रतीक है, वहाँ ठेकेदार की मनमानी, नियमों का खुला उल्लंघन और अवैध वसूली न केवल श्रद्धालुओं की आस्था के साथ छल है, बल्कि यह आने वाले संभावित हादसे की सीधी भूमिका भी बन रही है।
नियमों की बर्बादी, प्रशासन की चुप्पी
नगर परिषद अमरकंटक द्वारा ठेके की सख्त शर्तें तय की गई थीं, लेकिन जमीनी हकीकत इन नियमों का मखौल उड़ाते हुए साफ दिखाई देती है:
नियम संख्या प्रावधान जमीनी हकीकत
2 ₹10 शुल्क निर्धारित ₹20 जबरन वसूला जा रहा है
10 फोटोग्राफी पूर्णतः प्रतिबंधित पैसे लेकर खुलेआम फोटोग्राफी
11 अधिकतम 5 व्यक्ति एक बार में 10 से अधिक को एक साथ भेजा जा रहा
8, 14 शालीन व्यवहार व पेयजल सुविधा कर्मचारियों का अभद्र व्यवहार, पानी नहीं
21 रात्रिकालीन चौकीदार अनिवार्य चौकीदार नदारद, सुरक्षा शून्य
हादसे की जमीन तैयार — कौन होगा जिम्मेदार?
सबसे गंभीर चिंता सुरक्षा को लेकर है। ग्लास प्वाइंट की संरचना को ध्यान में रखते हुए अधिकतम 5 लोगों की अनुमति तय की गई थी, लेकिन ठेकेदार द्वारा एक बार में 10 से अधिक लोगों को चढ़ाया जा रहा है, जिससे संरचना पर भारी दबाव बन रहा है। यह कोई सामान्य चूक नहीं — एक संभावित त्रासदी की भूमिका है, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन और ठेकेदार पर ही होगी।
आस्था की खरीद-फरोख्त: खुलेआम फोटोग्राफी, अवैध वसूली
जहाँ नियम फोटोग्राफी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाते हैं, वहीं पैसे लेकर फोटो खिंचवाना अब “सर्विस” बन चुका है। क्या आस्था अब व्यापार बन चुकी है? क्या ठेकेदार का लालच और प्रशासन की चुप्पी इस सांस्कृतिक अपराध में बराबर की भागीदार नहीं?
प्रशासनिक मौन — स्वीकृति या संलिप्तता?
नियम 12 और 13 के तहत नगर परिषद को ठेका निरस्त करने और दंडात्मक कार्रवाई का स्पष्ट अधिकार है। फिर भी कार्रवाई न होना प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि संदेहास्पद चुप्पी बन गया है। क्या यह भ्रष्टाचार की संलिप्तता नहीं दर्शाता?
अमरकंटक सिर्फ पर्यटन स्थल नहीं — यह माँ नर्मदा की तपोभूमि है
ग्लास प्वाइंट पर होने वाली यह मनमानी सिर्फ एक अनुबंध का उल्लंघन नहीं, बल्कि यह हज़ारों श्रद्धालुओं की आस्था और पर्यावरणीय संतुलन का सीधा अपमान है। यह स्थल लाभ का नहीं, लोक-कल्याण का केंद्र है।
आम नागरिकों का कहना है कि जिस प्रकार से ठेकेदार धार्मिक स्थल को व्यापार का अड्डा बन रहा है तो ऐसे ठेकेदार का ठेका
ठेका तत्काल निरस्त हो, जवाबदेही तय हो
ठेकेदार द्वारा नियमों का उल्लंघन सिद्ध है
आस्था, सुरक्षा और नैतिकता तीनों से समझौता हो रहा है
नगर परिषद के नियमों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं
जनता और श्रद्धालुओं की ओर से यह मांग है कि:
1. ठेके को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए
2. जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदार पर कानूनी कार्रवाई की जाए
3. ग्लास प्वाइंट पर स्थायी सरकारी निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए
4. सुरक्षा, स्वच्छता और पेयजल की सुविधा तत्काल बहाल हो
धार्मिक स्थलों पर व्यवसायिक लालच और प्रशासनिक निष्क्रियता का गठजोड़, श्रद्धा की आत्मा को घायल करता है। अमरकंटक जैसे पवित्र स्थल को बचाने के लिए, प्रशासन को अब कड़ी कार्रवाई और सच्ची जवाबदेही का परिचय देना होगा वरना यह अपराध केवल मौन से नहीं, हादसे से बोलेगा।
इनका कहना है
आप के द्वारा जो भी जानकारी दी गई है ठेकेदार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाएगा और दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
मुख्य नगर परिषद अधिकारी अमरकंटक