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श्रमिकों की गरिमा के लिए एकजुट आवाज़: 10 सूत्रीय मांगों को लेकर बुढ़ार में मुख्यमंत्री के नाम सौंपा गया ज्ञापन

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श्रमिकों की गरिमा के लिए एकजुट आवाज़: 10 सूत्रीय मांगों को लेकर बुढ़ार में मुख्यमंत्री के नाम सौंपा गया ज्ञापन

“अब नहीं सहेंगे अन्याय, हमें अधिकार चाहिए – रहम नहीं”

शहडोल, बुढ़ार।
प्रदेशभर में वर्षों से अपनी मांगों की अनसुनी पीड़ा सह रहे दैनिक वेतनभोगी और कार्यभारित श्रमिकों की आवाज़ आज एक निर्णायक स्वरूप में सामने आई।
भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध मध्यप्रदेश कार्यभारित कर्मचारी एवं दैनिक वेतन भोगी श्रमिक महासंघ ने आज बुढ़ार में सैकड़ों श्रमिकों के साथ प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम 10 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन अनुविभागीय अधिकारी को सौंपा।

इस आयोजन का नेतृत्व शहडोल जिला संयोजक श्री अशोक चतुर्वेदी ने किया, जिन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा —
“यह सिर्फ ज्ञापन नहीं, हमारे आत्म-सम्मान की पुकार है।”

प्रदेशव्यापी एकता, एक ही समय पर समर्पण

दोपहर 1 से 3 बजे के बीच, पूरे प्रदेश के सभी जिलों में यह ज्ञापन भारतीय मजदूर संघ के शीर्ष नेतृत्व के आह्वान पर एक साथ सौंपा गया, जिसमें हज़ारों श्रमिकों ने भाग लिया।

श्रमिकों की प्रमुख 10 मांगे —

1. स्थायीकरण का अधिकार:
वर्षों से वन विभाग, वन विकास निगम और अन्य विभागों में कार्यरत दैनिक वेतनभोगियों को स्थायी किया जाए और सातवां वेतनमान वर्ष 2016 से लागू हो।

2. बुनियादी सुविधाएं:
सभी पात्र श्रमिकों को चिकित्सा भत्ता, गृह भत्ता, अर्जित अवकाश, भविष्य निधि जैसी न्यूनतम मानवीय सुविधाएं दी जाएं।

3. अनुकंपा नियुक्ति बहाल हो:
चौकीदार, अंशकालीन व मस्टरकर्मियों के परिजनों को पुनः अनुकंपा नियुक्ति का लाभ मिले।

4. समय पर सेवानिवृत्ति लाभ:
पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य रिटायरमेंट लाभ विलंब रहित मिलें – इसे शासन की जवाबदेही माना जाए।

5. सामाजिक सुरक्षा से जोड़ा जाए:
सभी श्रमिकों को ई-श्रम पोर्टल और आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जाए।

6. शोषण पर कार्रवाई:
कृषि विज्ञान केंद्रों सहित अन्य विभागों में चल रहे श्रमिक शोषण पर सख्त कार्रवाई हो।

7. वेतनमान में सुधार:
स्थल सहायकों को 2750 के बजाय लंबित 3050 वेतनमान दिया जाए।

8. सेवा गणना में पारदर्शिता:
दैनिक वेतन सेवाओं को स्थायी सेवा में जोड़ा जाए ताकि पेंशन लाभ सुनिश्चित हो।

9. महिलाओं को समान अवसर:
महिला मस्टरकर्मियों को सुरक्षा और मातृत्व लाभ दिए जाएं।

10. राज्य स्तरीय वार्ता समिति बने:
सभी मुद्दों पर स्थायी संवाद हेतु राज्य स्तर पर एक संयुक्त वार्ता समिति का गठन हो।

“हम सिर्फ भीख नहीं मांग रहे — हम अपना हक मांग रहे हैं”: अशोक चतुर्वेदी

ज्ञापन सौंपते समय श्री अशोक चतुर्वेदी ने कहा:
“सरकार को अब यह समझना होगा कि ये श्रमिक ही प्रदेश की रीढ़ हैं। यदि इन्हें सम्मान नहीं मिला, तो हम प्रदेशव्यापी आंदोलन करेंगे। यह लड़ाई केवल वेतन की नहीं, सम्मान की है।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि शीघ्र कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया, तो संघ बड़ा आंदोलन करेगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।

सैकड़ों श्रमिकों की उपस्थिति — एकजुटता की ऐतिहासिक मिसाल

बुढ़ार में उमड़ी भीड़, श्रमिकों का जोश, और उनके नारों ने यह स्पष्ट कर दिया —

“हमें अधिकार चाहिए, रहम नहीं”

यह केवल एक ज्ञापन नहीं, शोषण के खिलाफ एक संगठित प्रतिरोध का आरंभ था।

सरकार के लिए यह एक अवसर है – संवेदनशीलता और न्याय के साथ वर्षों से उपेक्षित इस वर्ग को उनका हक देने का।
यदि यह आवाज़ अब भी अनसुनी रही, तो आने वाले समय में यह एक व्यापक जन आंदोलन का रूप ले सकती है।

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