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मछली पालन ने दिलाया दुर्गाबाई और गणेश केवट को आत्मसम्मान

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मछली पालन ने दिलाया दुर्गाबाई और गणेश केवट को आत्मसम्मान

 

कसरावद(राजू पटेल)

 

जनपद पंचायत कसरावद की ग्राम पंचायत चीचली की महिला किसान श्रीमती दुर्गाबाई केवट व उनके पुत्र गणेश केवट ने अपनी मेहनत से एक नई पहचान बनाई है। नर्मदा किनारे मछली पकड़ने व मजदूरी से गुजर बसर करने वाली दुर्गाबाई ने अपनी नर्मदा किनारे डेढ़ एकड़ जमीन में मछली पालन शुरू किया है और अब लाखों रुपये की आय अर्जित कर रही है। यह सब संभव हुआ है मनरेगा योजना से। इस योजना का लाभ लेकर वह अपने बेटे के साथ मछली पालन का कार्य कर रही है।

 

दुर्गाबाई बताती है कि डेढ़ एकड़ जमीन में बहुत ही कम आमदनी होने से घर में 04 बच्चों का लालन-पालन करना बहुत ही मुश्किल हो रहा था। ऐसे में परिवार पारंपरिक रूप से नर्मदा नदी में मछली पकड़ने तथा मजदूरी का काम करते थे। दुर्गाबाई के पुत्र गणेश केवट ने बताया कि वह पहले गांव में मनरेगा योजना में मजदूरी व मेट का काम भी करता था। दूसरे के खेत पर तालाब व बगीचा निर्माण की जानकारी होने पर मन में कुछ नया करने का उत्साह जागा। इसके बाद उसने सरपंच श्रीमती कुसुम बाई से संपर्क कर मछली पालन के लिए तालाब बनाने की इच्छा जाहिर की। कुसुम बाई ने मनरेगा योजना के अंतर्गत तालाब की तत्काल स्वीकृति जारी कर तालाब बनाने का अवसर दिया।

 

तालाब की स्वीकृति प्राप्त होते ही परिवार व अन्य 08 से 10 मजदूरों द्वारा मछली पालन के लिए तालाब खुदाई का कार्य किया गया। इसमें 3.37 लाख रुपये मजदूरी व सामग्री के रूप में प्राप्त हुए। कुछ पैसा मोटर पंप खरीदने में खर्च किया गया। प्रथम वर्ष में तालाब में पानी कम रुकने व मछली पालन का अनुभव नहीं होने से आय में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई।

 

फंगेशियस मछली पर खेला दाव

 

गणेश केवट ने बताया कि दूसरे वर्ष फंगेशियस मछली के 20 हजार बीज तालाब में डाले गए जो लगभग 60 हजार रुपये के थे तथा इसमें अन्य खर्च मिलाकर लगभग 01 लाख 30 हज़ार रुपये का व्यय हुआ। 8- 10 महीने बाद इस तालाब से 33 क्विंटल मछली प्राप्त हुई है। जो कि लगभग 115 रुपए किलो के हिसाब से स्थानीय बाजार में आसानी से बिक रही है। इस तालाब से उसे सारा खर्च काट कर लगभग 02 लाख 30 हजार रुपये की शुद्ध आय हुई है। जो पानी तालाब में डाला जाता है इसी पानी को हम सिंचाई के रूप में भी उपयोग कर लेते हैं अर्थात आम के आम और गुठली के भी दाम कहावत सिद्ध हो रही है।

 

दुर्गाबाई ने बताया कि खेत में तालाब को देखकर मन में बहुत ही शांति मिलती है, इतनी सी जगह में कभी हम 20 से 30 हजार ही कमाई कर पाते थे। लेकिन आज हम 02 लाख से अधिक की आय प्राप्त कर रहे है। गांव के लोग तो हमें मछली वाले किसान के नाम से ही जानने लगे हैं। गर्मी में हमारे खेत में बहुत ही ठंडक होती है जिससे गांव के आसपास के लोग भी तालाब देखने आते हैं, इससे हमें बड़ा सुकून मिलता है। सभी लोगों को मछली पालन करके अपनी आय को बढ़ाना चाहिए। मछली पालन तालाब की सफलता व इससे कम समय में मिली की आय को देखकर जनपद पंचायत के अन्य किसान भी दुर्गाबाई और पुत्र गणेश केवट से प्रेरित होकर अपने खेतों में मछली पालन के लिए तालाब बनाने आगे आ रहे हैं।

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