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कृषि और ऋषि परंपरा ही हमारी संस्कृति है=मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल 

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कृषि और ऋषि परंपरा ही हमारी संस्कृति है=मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल

 

*दैनिक प्राईम संदेश जिला ब्यूरो चीफ राजू बैरागी जिला *रायसेन*

 

बरेली – ग्रामीण संस्कृति भारत की उस संस्कृति को कहते हैं जिसे गांवों में रहने वाले लोग अपनाते हैं. यह संस्कृति खेती-किसानी से प्रभावित होती है और प्रकृति से सामंजस्य बिठाए हुए है. ग्रामीण संस्कृति भारतीय समाज का अहम हिस्सा है.

आज़ राज्य सरकार के मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल की भोपाल शहर के बी एस एस कोलेज के लगभग 100छात्र, छात्राओं कए लेकर अपनी विधानसभा के ग्राम सोजनी पहुंचे जहां पर छात्राओं को गांव में रह रहे लोगों की दिनचर्या और संस्कारो का अनुभव कराया। यह पहली बार कोई मंत्री द्वारा अनुठी पहल की गई हैं।

कालेज के छात्र छात्राओं ने गांव पहुचकर ग्रामीण जीवन को देखा और समझा किया पंचायत का भृमण किया साथ ही ग्राम के बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया और गांव के बुजुर्गों ने यहां आयी बेटियों के पाव छूकर उनसे आशीर्वाद लिया कार्यक्रम में पहुचे मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल से बच्चों ने सवाल किया मंत्री ने भी बच्चों के सवालों का वेहतरीन तरीके से जबाव दिया बच्चे गांव का कल्चर देख खुश हुए । बढ़ते शहरी कल्चर ओर टेक्नोलॉजी युग मे आज हमारे युवा और बच्चे ग्रामीण कल्चर को भूलते जा रहे जबकि कभी इनके बुजुर्ग भी ग्रामीण क्षेत्र रहा करते थे ऐसा ही अनुभव और ग्रामीण जीवन से जुड़ी जानकारियां जुटाने भोपाल बीएसएस कालेज के छात्र छात्राएं ग्राम सौजनी पहुचे यहां उन्होंने मा नर्मदा के दर्शन किये साथ ही ग्राम से जुड़ी हर जानकारी ली यहां बने घरों को देखा और लोक स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री से सवाल जबाव किये कालेज की छात्राओं ने ग्रामीण जनों से ओर गाव की महिलाओं से बात की अपनी संस्क्रति के बारे में जाने आज भी गाव में किस तरह से जीवन यापन होता है यहां लोगो मे कितना प्रेम है यह देख छात्र छात्राएं अभिभूत हुए इसे कार्यक्रम आयोजित होते रहे और शहर के बच्चे ग्रामीण जीवन को समझे देखे और अपनी संस्क्रति से जुड़े इसके लिए आगे भी ऐसे डेलिगेशन लाने की बात मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल की छात्र छात्राओं संग नीचे बैठकर खाना खाया तकरीबन 100 से ज्यादा छात्र छात्राएं इस डेलिगेशन में अपने टीचर्स संग आये।

 

मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि और ऋषि परंपरा की विरासत संस्कृति का प्रवाह रचती है जिससे भारतीय आत्मा आलोकित हो भारतीय साहित्य के स्वरूप को जीवंत बना देती है। हमारी ग्रामीण कृषि आधारित उत्सव-शोभित परम्परा ही है जो होली,दिवाली नव-रात्र दशहरा रक्षा-बंधन जैसे त्यौहार आज़ भी हमारे ग्रामों में पुरे संस्कारों से मनाए जाते हैं।

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