हरतालिका तीज पर महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत
लोकेशन गैरतगंज
संवाददाता गौरव व्यास
गैरतगंज। हिंदी पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है इस दिन केले के पत्ते बंधनवार से एक मंडप तैयार किया जाता हैं
इस दिन सुहागन महिलाएं भगवान शिव से अपने अखंड सुहाग की कामना करती हैं और पति की लंबी आयु के लिए तीज व्रत रखती हैं इस व्रत से सिर्फ पार्वती और गणेश जी की पूजा की जाती है हर साल गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले यह व्रत रखा जाता है
हरतालिका तीज के दिन विवाहित और अविवाहित दोनों महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं यानी बिना कुछ खाए और पानी का एक बूंद ग्रहण किये पूरे दिन व्रत रखती हैं
तीज का त्यौहार पत्नी पार्वती और पति शिव के बीच संबंधों का प्रतीक है यह त्यौहार पार्वती के अपने पति के प्रति अटूट समर्पण का प्रतीक है जब भारतीय महिलाएं तीज के दौरान उनका आशीर्वाद लेती है तो वह एक एक मजबूत विवाह और अच्छे पति पाने के संबंध के रूप में करती है
हरतालिका नाम क्यों पड़ा
वैसे मानता है कि इस दिन को हरतालिका इसलिए कहते हैं की पार्वती की सहेली उनका हरण कर घनघोर जंगल में ले गई थी हरत अर्थात हरण करना और अलीका अर्थात सहेली इसलिए इस व्रत का नाम हरतालिका पड़ा।
हरतालिका तीज के पीछे की कहानी यह है कि भगवान शिव के प्रति देवी पार्वती की गहरी भक्ति से जुड़ी हुई है राजा हिमान की पुत्री पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी इसके लिए उन्होंने कई वर्षों तक कठोर तपस्या की कई कठिन कष्ट झेले हालांकि उनके पिता चाहते थे उनका विवाह भगवान विष्णु से हो। मां पार्वती ने हरतालिका व्रत कर भगवान शिव को मांगा और उनकी यह मनोकामना पूर्ण हुई
हरतालिका तीज के दिन महिलाएं सोलह सिंगार एवं नृत्य भजन कर रात्रि जागरण करती है