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पार्ट एक – आदिवासियों की जिंदगी को मध्यप्रदेश के वन विभाग ने बना दिया नर्क

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  • 7 वर्षों से 700 लोग जंगल में जा रहे शौच, बुनियादी सुविधाओं के नाम पर झुनझुना

  • निशाना गांव के आदिवासियों को विस्थापन के नाम पर किया जंगल से दूर
  • मुख्य वन संरक्षक व क्षेत्र संचालक सतपुड़ा टाईगर रिजर्व नर्मदापुरम और बैतूल वन विभाग बना मूकदर्शक

मनीष कुमार राठौर / 810951743

बैतूल / भोपाल । भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की धज्जियां उड़ाता मध्यप्रदेश का वन विभाग 7 वर्षों से 3 गांव का विस्थापन कर भूल गया है, जहा आदिवासियों को आज तक बुनियादी सुविधाओं के नाम पर झुनझुना पकड़ा दिया ।

आपकी जानकारी के लिए बता दे की बैतूल जिलें की घोड़ाडोंगरी तहसील के अंतर्गत ग्राम पंचायत रामपुर के गांव निशाना को वन विभाग ने 2017 में विस्थापित करते हुए बैतूल जिलें की शाहपुर तहसील के अंर्तगत नया निशान गांव बसा तो दिया परंतु उन ग्रामीण को सुविधा के नाम शासन प्रशासन ने दुविधा में डाल दिया ग्रामीणों का कहना है की इससे अच्छे तो वह पुराने गांव में रहकर ही जीवन यापन कर रहे थे । वही प्रदेश सहित देश में बड़े बड़े दावे करने वाले नेता मंत्रियों और अधिकारियों की दावे की पोल खोलती खबर में आज हम आपको दिखाने जा रहे है कि किस प्रकार आदिवासी बहुल इलाकों में रहने वाले लोगों को सुविधाओ का लाभ नहीं मिल रहा है ।

 

क्षेत्र में लोग सात साल बीत जाने के बाद भी जनता खुले में शौच करने जाते है । महिला बच्चों सहित 7 वर्षों से लोग खुले में शौचालय जाते है, आज भी यह की महिलाओं बच्चों को कई मीटर दूर से पानी भी लाना पढ़ता है जिसके लिए 60 परिवार के लोगों को मात्र 6 हैंडपंप दिए गए जबकि कई सालों से 3 हैंडपंप बंद है । जब आदिवासियों को बुनियादी सुविधाओं का लाभ सरकार नही दे सकती तो क्या उम्मीद आप क्या कर सकते है ? आपको जानकर हैरानी होगी की वन विभाग ने विस्थापन कर ग्रामीण के घर उजड़े और अब घर तक बना कर नही दिए वही सबसे बड़ी शर्म की बात है की इस गांव को आज तक वार्ड का दर्जा भी नही मिला है जिसके लिए विधानसभा चुनाव में कोई केंद्र नही होने के कारण दूसरे गांव वोट डालने के लिए जाना पड़ता है । कभी पंचायत वन विभाग को दोषी बताती है तो कभी वन विभाग बैतूल के राजस्व विभाग को आखिर क्या कारण है लगभग 700 लोगों की जिंदगी को उजड़ कर बसने के सपने दिखा कर लूट लिया गया ।

जल जंगल और जमीन से जुड़े होने वाले लोग आज आम सुविधा के लिए तरस रहे है सरकार किसी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दे रही इतने वषों में सरकार और जनप्रतिनिधि आए और चले गए परंतु इन ग्रामीण की परेशानी जस की तस रही । आखिर क्या कारण है की वन विभाग ने विस्थापन समिति बना कर करोड़ों रुपए कहां खर्च कर दिए, सुविधा के नाम पर सिर्फ ग्रामीणों को सिर्फ चुना लगाया जा रहा है । विस्थापन समिति के लोग और ग्रामीण कलेक्टर का दरवाजा खटखटा चुके परंतु कार्यवाही के नाम पर सिर्फ आज तक इन आदिवासियों को आश्वासन मिला है । 

क्या कहना है । 

कॉल नही उठाया गया

SDO वन विभाग टाईगर रिजर्व नर्मदापुरम और विस्थापन प्रभारी नया निशान

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