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हिंदू सम्मेलन में एकजुटता पर दिया गया जोर, वक्ताओं ने सनातन परंपरा, समानता और राष्ट्रनिर्माण में सामूहिक भूमिका

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News By- हिमांशु उपाध्याय / नितिन केसरवानी

प्राचीन संस्कृति ने सामूहिक शक्ति से राष्ट्र को मजबूत बनाया है। महिला सशक्तिकरण और भारतीय संस्कृति की पहचान पर भी हुई चर्चा।

कौशाम्बी: भरवारी नगर स्थित प्राइमरी पाठशाला प्रांगण में रविवार को हिंदू सम्मेलन का आयोजन किया गया। मंच पर मौजूद वक्ताओं ने सनातन परंपरा की एकजुटता, भारतीय चिंतन की समता और राष्ट्रनिर्माण में समाज की सामूहिक भूमिका पर जोर देते हुए हिंदू समाज को अपने मूल्यों और संगठन शक्ति के प्रति सजग रहने का संदेश दिए।

मुख्य अतिथि व वक्ता प्रांत प्रचारक रमेश ने कहा कि भारतीय चिंतन की आत्मा समानता और स्वतंत्रता में बसती है।उन्होंने सियाराममय भाव को भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी पहचान बताया। कहा कि हिंदू समाज में किसी भी प्रकार के भेद की कोई जगह नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि समाज का बिखराव ही भारत के विभाजन, विदेशी आक्रमणों और मंदिरों पर हुए हमलों का कारण बना। ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन भी समाज की असंगठित स्थिति का ही परिणाम था।

मुख्य अतिथि आचार्य महामंडलेश्वर सनातनी किन्नर अखाड़ा कौशिल्या नन्द गिरी माता ने कहा कि ये जेहादी सोच ले कर आगे बढ़ रहे हैं ये कठोरा घात कर रहे हैं, अब हमें जागना होगा, सच्चे सनातन धर्म के लिए जागना होगा, अब नहीं जगे तो कभी नहीं जागेंगे। हमारी संस्कृति शास्त्र का ज्ञान भी देती है, शास्त्र और शस्त्र दोनों का ज्ञान कराता है। अपने बच्चों को अब यही दिखाना होगा। मुगलों ने किन्नर समाज के पतन का कार्य किया,आज हमारी संस्कृति फिर से किन्नरों का सम्मान सनातन धर्म में है। आज हम भगवा झंडा लेकर चल रहे हैं,सभी मातृत्व शक्तियों से निवेदन है कि हमारी संस्कृति को बच्चों को बढ़ाए जिससे वो बढ़ सके।

विशिष्ट अतिथि इलाहाबाद डिग्री कॉलेज के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राजेंद्र त्रिपाठी “रसराज” ने कहा कि भारत की यह पवित्र धरती ज्ञान, विज्ञान और सनातन मूल्यों की जननी रही है। हमारे देश की संस्कृति महाभारत व महर्षि वाल्मीकि की रामायण से चल रहा है, दोनों ग्रंथों से सुख दुख दोनों को पहचान ले, मनुष्य ऐसी ही प्रेरणा मिलती है, आगे बढ़ने का मंत्र मिलता हैं। मुख्य अतिथि पूज्य संत मदन गोपाल जी महाराज ने हिंदू समाज के लोगो को संबोधित करते हुए कहा कि इस देश के विधर्मियों और आक्रांताओं के सामने खड़े होना चाहिए,और एक हाथ में शास्त्र और एक हाथ में शस्त्र लेकर खड़े होना चाहिए जिससे उस विधर्मी का प्रतिकार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि महापुरुषों का जन्म समय-समय पर आसुरी शक्तियों के संहार के लिए होता है।उन्होंने भेदभाव से दूर रहकर सभी को एकजुट रहने का आह्वान किया, ताकि समाज का विभाजन रोका जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि भ्रामक प्रचार से लोग भ्रमित होते हैं और संस्कार विहीन समाज के कारण ही हमारा समाज बंट रहा है। उन्होंने कहा कि भारत को विश्वगुरु बनाना है,इसके लिए सभी को एकजुट रहना होगा।मुख्य अतिथि संतशील मोहन मैत्रेय ने कहा कि भारत की प्राचीन सनातन संस्कृति ने सामूहिक शक्ति के सहारे ही राष्ट्र को सदैव तेजस्वी बनाए रखा है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता व संचालन एडवोकेट राम प्रकाश मिश्रा ने किया। इस मौके पर जिला प्रचारक शिवप्रताप,राधेश्याम, डॉ पीपी शर्मा, राजेश गौतम, करुणेश त्रिपाठी, ज्योति,ऋषभ द्विवेदी जिला प्रचारक भाजपा सहित कई गणमान्य व हिन्दू मौजूद रहे ।

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